
आज बूढ़े बाबा की बात सुन कर मुझे अलग तरह की अनुभूति हो रही थी | उनको मैं चलते हुए रास्ते में मिला था और उनकी मज़बूरी देख कर अपने रिक्शे पर बैठा लिया |
उनके गाँव के समीप ला कर उन्हें छोड़ दिया | बस इतना ही सम्बन्ध था उनका हमारे साथ |
जब मैंने कहा कि रात हो चुकी है इसलिए किसी ढाबे में रुक कर मैं सुबह अपनी यात्रा आरम्भ करूँगा | तो उन्होंने कहा … अरे, कैसी बात करते हो ? तुम ढाबा में क्यों रात बिताओगे ?
आओ मेरे साथ मेरे घर पर आराम से सो जाओ | कल खाना खा कर अपने यात्रा की शुरुआत करना …उन्होंने मेरे पीठ पर हाथ रखते हुए कहा था |
वो मुझे ठीक से जानते भी नहीं थे, लेकिन अपने घर में ही नहीं अपने दिल में भी जगह दे दी और दूसरी तरफ मैं शहर वालों को भी पिछले दो साल से देख रहा हूँ |
वे लोग वर्षो पास- पास घरों में रहते है लेकिन एक दुसरे को ठीक से जानते तक नहीं हैं | सचमुच कितना अंतर है गाँव और शहर वालों की सोच में |
मैंने श्रद्धा से बूढ़े बाबा के पैर छू लिए और कहा …बाबा आपने मुझे खाना खिलाया, पैसे भी दिए और अब रात बिताने का आसरा भी दे रहे है | आप के स्नेह का मैं हमेशा ऋणी रहूँगा |
लेकिन अभी आप के साथ मैं आप के गाँव में नहीं जाऊंगा क्योकि वहाँ पहुँचते ही मुझे 15 दिनों के लिए quarantine कर देंगे | इसी कारण तो मैं बड़े भाई के गाँव भी नहीं ठहरा |
इस पर बाबा ने कहा ….हाँ, यह समस्या तो है | लेकिन मैं अनजान जगह किसी ढाबे में नहीं ठहरने दूँगा |
फिर कुछ सोचते हुए वे बोले….अरे हाँ, एक काम करते है | वो सामने जो खेत देख रहे हो ना, वो मेरा ही है | उसी में खेतो की रखवाली हेतु वहाँ एक झोपडी भी बना रखा है ।
तुम्हारे लिए वहाँ सोने की व्यवस्था कर देता हूँ | तुम वही चले जाओ, वो तो इस हाईवे के किनारे है और गाँव के बाहर भी | यहाँ quarantine वाली समस्या नहीं होगी | मैं सुबह चाय और खाना भिजवा दूँगा |
और हाँ, तुम मुझे मिले बगैर यहाँ से मत जाना | इतना बोल कर मुझे झोपडी तक छोड़ कर वे अपनी घर की ओर चल दिए |
कुछ ही देर में उनका एक आदमी आया | उसके हाथ में एक लालटेन और लोटा में पीने का पानी था | उसने पास पड़े खाट को बिछा कर उस पर बिस्तर भी डाल दिया और पानी से भरे लोटे को एक तरफ रख दिया |
खाना तो मैं पहले ही खा चूका था | बस जोरो से प्यास लगी थी सो मैंने लोटे से भर पेट पानी पिया और आराम से बिस्तर पर निढाल हो गया | थकान होने के कारण मुझे तुरंत ही नींद आ गई |

सुबह जब नींद खुली तो देखा कि सूर्योदय हो चुका था | रात अच्छी नींद होने से और सुबह में खेतों की हरियाली देख कर मेरा मन प्रसन्न हो गया |
कुछ ही दूर पर वहाँ खेत में पानी पटाने हेतु मोटर पम्प चल रहा था | पानी देखते ही मुझे नहाने की तीव्र इच्छा हुई |
मैंने पास के पेड़ की टहनी को तोड़ कर दातुन बनाया और मुँह धोकर नहाने के लिए पम्पसेट की ओर चल पड़ा | मैं वहाँ मोटर पम्प के गिरते हुए ठन्डे पानी में मन भर कर नहाया |
इस तरह पम्प पर बहुत दिनों बाद नहाने का मौका मिला था | मुझे नहाते हुए अपने गाँव की याद आ गई | बचपन में मैं रोज पम्प पर ही दोस्तों के साथ नहाता था और मस्ती करता था |
आज भी मुझे पानी से बाहर निकलने का मन नहीं कर रहा था |
लेकिन उसी समय झोपडी में बाबा आ चुके थे और उन्होंने आवाज़ लगा दी …आओ बेटा… नास्ता और चाय तैयार है, ..आकर खा लो वर्ना ठंडी हो जाएगी |
मैं जल्दी जल्दी पम्प से बाहर निकला और कपडे बदल कर बाबा के सामने पहुँच गया | बाबा खाट पर ही पेपर बिछा कर नास्ता लगा दिए और खुद भी पास में बैठ गए |
नास्ते में रोटी – साग और छाली वाला दही खाकर बहुत मज़ा आया | ऐसा गाँव का खाना बड़े नसीब से मिलता है | और फिर इलायची वाली लाल चाय पीकर तो मन मस्त हो गया |
मैं बाबा की ओर देख कर हँसते हुए बोला ….कल जब मैं पहली बार देखा था तो समझा कि आप भी एक प्रवासी मजदूर है, लेकिन यहाँ आकर पता चला कि आप तो एक बड़े किसान है |
हाँ बेटा, मैं एक काम के सिलसिले में दुसरे गाँव गया था और लौटते हुए मेरी मोटर साइकिल का एक्सीडेंट हो गया और मेरा पैर ज़ख़्मी हो गया था |
तुम मिल गए और मेरी सहायता की तो मैं समझ गया कि तुम एक नेक इंसान हो |
अब मैं चलने को तैयार हुआ और बाबा के पैर छू कर उनका आशीवाद लिया |
बाबा ने आशीर्वाद देते हुए कहा …अब तुम अपनी यात्रा शुरू करो | भगवान् तुम्हारी यात्रा को सुखद बनाये |
मैं रिक्शा चलाता रहा | इसी तरह समय बीतते गए और मैं आगे बढ़ता गया | मैं गंगा नदी पर बनी पूल पार करता हुआ “छपरा” पहुँच गया |
इतनी दुरी तय करने के बाद, अब मुझे आशा हो चली थी कि बाकी बची दुरी भी जल्द ही आराम से तय कर लूँगा |
मुझे लगा कि भगवान् को जितनी परीक्षा लेनी थी वो ले चुके है और अब मेरे अच्छे दिन शुरू हो जायेंगे |
मैं इन्ही बातों को सोचता हुआ कुछ दूर आगे बढ़ा तो मुझे रास्ते के किनारे में एक ढाबा नज़र आया | मुझे रिक्शा चलाते हुए करीब तीन घंटे हो चुके थे,| धुप भी काफी तेज़ हो गया था और प्यास भी जोरो की लगी थी |

इसलिए मैं अपनी रिक्शा उस ढाबे के पास लगा दिया और पसीना पोछते हुए ढाबे में बैठ चाय का आर्डर दिया | थोड़ी देर में ही अदरक वाली अच्छी चाय आ गई और मैं चाय के स्वाद में खो गया |
तभी ढाबे वाले ने मुझसे पूछा ….भाई, कहाँ जा रहे हो ?
मैंने जैसे ही बताया कि मुझे दरभंगा के पास मेरा गाँव है मुरैना …वही जाना है |
इस पर उसने आश्चर्य से मेरी ओर देखते हुए पूछा ….क्या तुम्हे उस इलाके के बारे में कोई समाचार नहीं मिला है ?
मैंने आश्चर्य से पूछा …क्यों, क्या बात है ?
तो उसने बताया …अरे भाई, तुम तो जानते ही हो कि हर साल इस बरसात के मौसम में पूरा इलाका पानी में डूब जाता है और इस बार तो नेपाल से बहुत पानी छोड़ा गया है तो सारा इलाका समुन्द्र सा बन गया है |
उसने यह भी बताया कि पानी का बहाव इतना ज्यादा था कि बहुत से आदमी और पशु पानी के बहाव में बह भी गए है |
अभी भी दरभंगा ,,मधुबनी और सीतामढ़ी के सारे इलाके पानी में डूबे हुए है और लोग राहत – शिविर में शरण लिए हुए है | वैसे कुछ इलाके अभी भी पानी से बचे हुए है | हो सकता है तुम्हारा भी गाँव बचा हुआ हो |
तुम चिंता मत करो और भगवान् का नाम लेकर यात्रा की शुरुआत करो |
उसकी बातों को सुन कर मेरा तो जैसे दिमाग ही घूम गया |
मैं जल्दी से चाय के पैसे चुकाए और भगवान् का नाम लेकर आगे की यात्रा शुरू की |
मैं रिक्शा तो चला रहा था लेकिन किसी अप्रिय घटना की आशंका में मेरा दिल जोर जोर से धड़क रहा था |
मैं बेतहासा रिक्शा को भगाए जा रहा था | इसी तरह मैं भागते हुए दरभंगा से कुछ पहले उस चौराहे तक पहुँच गया जहाँ से मेरे गाँव की तरफ एक अलग सड़क जाती है |
हालाँकि यह सड़क भी पक्की है लेकिन यह हाईवे से थोड़ी नीची है और पुरानी भी | मैं अपने रिक्शे को उसी सड़क पर उतार दिया | भगवान् को याद करता हुआ और अपने पसीने को पोछता हुआ आगे बढ़ रहा था |
करीब पाँच किलोमीटर आगे जाने पर एक चाय की दूकान दिखी जहाँ कुछ लोग भीड़ लगाए खड़े थे | मुझे देखते ही बोल पड़े ….आगे पुलिया पर पानी ओवरफ्लो कर रहा है | उसे पार करने में खतरा है |
कुछ भाइयों ने मुझे हिम्मत भी देने लगे ..अगर बहुत ज़रूरी है तो जल्दी से निकल जाओ | सुना है पानी का बहाव और ज्यादा होने वाला है | शायद नेपाल की ओर से पानी आ रहा है | इसलिए अभी रिस्क लिया जा सकता है |
मुझे और कुछ नहीं सूझ रहा था, मुझे मेरी माँ और पत्नी का ध्यान आ रहा था | ना जाने वो लोग किस हाल में होंगे |

मैं तो बस रिक्शा लेकर पुल तक पहुँच गया | सचमुच पुलिया के ऊपर से पानी का बहाव काफी तेज था | तभी मैंने एक ट्रक को पुलिया पार करते हुए देखा तो मुझे में भी हिम्मत आ गई और मैं भी रिक्शा लेकर पुलिया को पार करने लगा | और कोई चारा भी तो नहीं था गाँव तक पहुँचने का |
मैं धीरे धीरे बढ़ता रहा और भगवान् का नाम जपता रहा | जैसे ही मैं पुलिया के बीचो-बीच पहुँचा मुझे पानी की तेज़ धारा का अनुभव हुआ और देखते ही देखते मेरी रिक्शा पानी के उस तेज़ बहाव में बहने लगा |
मैं रिक्शे को पकड़ कर अपने ओर खीचने का प्रयास कर रहा था तभी किनारे पर खड़े लोग जोर से चिल्ला कर बोले …अरे भाई, रिक्शा को छोड़ दो और अपनी जान बचाओ | पानी की धारा अचानक बढ़ गई है |
सचमुच मैं भी रिक्शा के साथ बहने लगा था | मैं हिम्मत हार कर रिक्शे को छोड़ दिया और किसी तरह तैर कर किनारे आ सका |
मैं किनारे पर पहुँच कर अपनी रिक्शा को बहता देख रहा था | मुझे बहुत पीड़ा हो रही थी और मैं वही पर बैठ कर बच्चो की तरह रोने लगा , जैसे मेरा वर्षो का साथी हमसे बिछड़ गया हो |
वहाँ पर जमा हुए लोग मुझे समझा रहे थे …..जाने दो, रिक्शा ही गया है ना, तुम्हारी जान तो बच गई.. …(क्रमशः ) (Pic Source: Google.com)
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हैलो, मैं आज मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद. मुझे खेद है, मैं आपकी पूरी पोस्ट नहीं पढ़ सकता क्योंकि मैं इसका अनुवाद नहीं कर सकता। आपका दिन अच्छा हो। मुझे आशा है कि आपकी भाषा में यह अनुवाद सही है।
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I am glad that you tried it successfully.
You can read my English articles on my blog.
https://wp.me/pbyD2R-7J1
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Thank you.
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Good morning,
Have a nice day.
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सुप्रभात 🙏🌷बहुत शानदार तस्वीर 👍🏻बधाई 👏✌🏼
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बहुत बहुत धन्यवाद ,
आप हमेशा खुश रहें स्वस्थ रहें |
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बहुत शुक्रिया और जी🙏 आप को भी 🌹
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Are you in any professional job?
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Few years back I gave tuition for children , now my home resting only 🌹
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You should do something to justify your education and talent so that society can be benefited.
I like your morning messages and pic.
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Thank you so much for this beautiful advice Varma ji 🙏👍🏼💓 Good night 😴🌹
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Good night.
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