
कोई तेरे पंखो को जाकड़ ना सके…
कर बुलंद इतना अपने उड़ान से ..
कर खुद पर भरोसा और बाजुओं पर
सफ़र होंगे तुम्हारे पूरी शान से …
मैं अपनी मुँह बोली बहन को रिक्शे में बैठा कर अपनी धुन में चला जा रहा था तभी उसका पति जो उसके साथ ही बैठा था , मुझसे पूछा …अरे भाई, हमलोग इतने दूर तक एक साथ सफ़र कर लिए. साथ साथ खाना – पीना भी हुआ |
लेकिन अभी तक तो तुमने अपने बारे में कुछ बताया ही नहीं |
क्या करें दोस्त, जब दिन बुरे चल रहे हो तो पल पल घटनाएँ बदलते रहती है और उसी तरह अपने विचार भी …मैं दुखी हो कर कहा |
मैं तो पिछले छह महीने से अपनी पत्नी से मिला भी नहीं हूँ | तुम तो इतने भाग्यशाली हो कि तुम्हारी जीवन संगनी तुम्हारे साथ है और तुम्हारा एक नन्हा मेहमान भी आने वाला है |
मैं दरभंगा जिले के एक छोटे से गाँव “मुरैना” का रहने वाला हूँ | घर में मेरी बीबी और माँ है | मैं यही वाराणसी में रिक्शा चलाता था | अब इस बनारस नगरी को हमेशा के लिए छोड़ कर जा रहा हूँ |
तुम ठीक कहते हो भाई, जब गर्दिश में समय होता है तो अपनी पहचान ही मिटती नज़र आती है |
देखो ना, मैं बनारस में मिस्त्री बन कर लोगों के घर की ईट जोड़ता था और आज ऐसी स्थिति हो गयी है कि अपने ही घर की नीव हिल गयी |
मैं समझा नहीं भाई …मैंने पूछा |
मेरी माँ गाँव में गुज़र गई है | पिता जी हमारा बाँट जोह रहे है कि कब मैं वहाँ पहुँच जाऊँ और क्रिया – कर्म में भाग ले सकूँ | इसीलिए तो मज़बूरी में पैदल ही गर्भवती पत्नी को भी साथ ले जाना पड़ रहा है |
तुम मिल गए तो ऐसा लगा इस गर्मी में भगवान् ने तुम्हे मेरे लिए ही भेजा दिया है | इन्ही सब बातों को करते हुए रास्ता कट रहा था |
चूँकि हमलोग को हाईवे पर आगे जाने से रोक दिया था , इसलिए दूसरी पगडण्डी वाला रास्ता पकड़ लिया जो पास के गाँव से हो कर जाती है |
थोड़ी दूर चलने के बाद हमलोग वापस हाईवे वाले रास्ते पर आ गए और हमलोग का रिक्शा तेज़ गति से आगे बढ़ने लगा |
अचानक मिस्त्री भाई ने कहा ….अरे, रिक्शा रोको भाई |
मैंने हडबडा कर रिक्शा रोक दी , लेकिन समझ में नहीं आयी कि ऐसी क्या बात हो गई |

तभी सड़क के किनारे एक झोपड़ी में चाय की दूकान दिखाई दी |
मिस्त्री भाई रिक्शे से उतर कर बोले …आओ भाई, थोड़ी चाय पी कर थकान को कम करें |
मैं भी रिक्शा चलाते हुए थक चूका था , इसलिए मुझे भी चाय की तलब हो रही थी लेकिन पास में पैसा नहीं होने के कारण चुप चाप चला जा रहा था |
मुझे मिस्त्री भाई की बात सुन कर ही शरीर में स्फूर्ति आ गई |
रिक्शा पर बैठी बहना भी बोल पड़ी…हम भी चाय पियेंगे |
हम तीनो ने चाय पी और अपनी सवारी फिर सड़क पर चल पड़ी |
अभी थोड़ी दूर ही आगे गए थे कि हमलोग ने देखा कि सड़क के किनारे कुछ भीड़ लगी हुई है |
मैं रिक्शा को पास ले जा कर रोका और तभी हमने देखा ….एक बृद्ध आदमी सड़क पर गिरा छटपटा रहा है |
मैंने पूछा…. क्या हुआ बाबा को ?
पास खड़े लोगों ने बताया कि एक गाड़ी धक्का मार कर भाग गया है | काफी खून बह रहा है |
इन्हें ज़ल्दी हॉस्पिटल ले जाना ज़रूरी है | लेकिन कोई भी गाड़ी इधर से गुज़रता है ,वो मदद के लिए रुकता ही नहीं है |
हम लोगों को उनकी हालत देख कर दया आ गई |
मैंने पूछा …यहाँ से हॉस्पिटल कितना दूर है ?
बस दो किलोमीटर ही है यहाँ से | कृपा करके इन्हें पहुँचा दीजिये तो इनकी जान बच जाएगी |
बहना रिक्शे से उतरते हुए बोली …हाँ हाँ, क्यों नहीं |
बहना रिक्शे से उतर गई और बोली …भैया पहले इस बूढ़े बाबा को हॉस्पिटल पहुँचा दो | मैं पीछे से दो किलोमीटर पैदल चल कर वहाँ तक आ जाउंगी |
मैं लोगों की मदद से किसी तरह बूढ़े बाबा को रिक्शा पर बैठाया और तेज़ गति से चलता हुआ हॉस्पिटल पहुँच गया |
डॉ ने उनका इलाज शुरू किया और कहा ..खून काफी निकल गया है | अगर थोड़ी देर और हो जाती तो इनको बचा पाना संभव नही था |
मैंने भगवान् को धन्यवाद् दिया कि मेरे हाथों बूढ़े बाबा की जान बच गई |

तभी उनके साथ आये व्यक्ति जो शायद उनका बेटा था, मेरे हाथ में कुछ पैसे देते हुए कहा …आप इसे रख लीजिये, रास्ते में आपके काम आयेंगे | आप ने मेरे बाबा की जान बचने में मदद की |
मैं हाथ जोड़ कर उनको नमस्कार किया और हॉस्पिटल से बाहर निकला तो देखा मिस्त्री भाई अपनी पत्नी को लेकर पहुँच गए हैं |
मिस्त्री भाई ने पूछा …बाबा की हालत कैसी है ?
डॉक्टर साहेब ने कहा है कि … अब खतरे से बाहर है | बिलकुल सही समय पर उनको इलाज़ मिल गया वर्ना देर होने से बचना मुश्किल था | भगवान् का लाख – लाख शुक्र है |
चलो अच्छी बात है, आपको इसका पुण्य मिलेगा …बहना ने हँसते हुए कहा |
इस पर मिस्त्री भाई भी बोल पड़े …हमलोग को रिक्शा में ले जा रहे है, उसका भी तो पुण्य मिलेगा ?
हाँ ..सही है, इन्ही सब पुण्य के बदौलत भैया जी अपने गाँव आराम से पहुँच जायेंगे और वहाँ सब लोग को कुशल मंगल पाएंगे …बहना ने कहा |
देखते देखते रास्ता कट गया और अब समय आ गया कि मिस्त्री भाई अपने गाँव में दाखिल होने जा रहे थे |
हमारा गाँव तो आ गया भाई | अब यहाँ से हमारा – तुम्हारा साथ छुट जायेगा ..मिस्त्री भाई ने कहा |
इस हाईवे रोड से कितना अन्दर है आप का गाँव …..मैंने पूछा |
बस यहाँ से दो किलोमीटर ही अन्दर है | लेकिन यहाँ से दूसरी कोई सवारी नहीं मिलेगी इसलिए पैदल ही जाना होगा ,,,मिस्त्री भाई ने कहा |
इतनी रात में ऐसी सुनसान रास्तो पर पत्नी को ले जाने में आपको डर नहीं लगेगा ..हमने फिर पूछा |
नहीं नहीं, यह तो अपना गाँव है , सभी लोग एक दुसरे को जानते है |
तभी बहना बोल पड़ी …चलो ना भैया आप भी मेरे घर | खाना खा कर रात में वही आराम करना और सुबह फिर अपने रास्ते चले जाना |
मुझे उसका सुझाव सही लगा | इसलिए वापस उनलोगों को रिक्शा पर बैठा कर उनके गाँव की ओर चल दिया |
करीब एक किलोमीटर चलने के बाद, रास्ते में एक आदमी आता दिखाई दिया |
उसने पास आ कर हमलोग को रोक कर तहकीकात करने लगा कि कोई बाहरी आदमी तो नहीं गाँव में घुस रहा है |

तभी मिस्त्री भाई उसको देख कर बोल पड़े…अरे पकिया, इतनी रात को इधर कहाँ जा रहा है ?
अरे भैया, आप है | अच्छा हुआ आप जल्दी पहुँच गए, अभी तो सात दिन तक आपको quarantine में रखा जायगा | यही गाँव के स्कूल में सेंटर बनाया गया है |
सात दिनों के बाद ही अपने घर में घुस पाएंगे | ऐसा यहाँ सरकार का आदेश है |
तब तो हमें आप के साथ जाना ठीक नहीं होगा , वर्ना हमें भी सात दिनों तक बंधक बना लेंगे …मैं ने आशंकित हो कर कहा |
तुम ठीक कहते हो भाई, हमलोग को यहाँ उतार दो और तुम अपने रास्ते लौट जाओ |
हमलोग यहाँ से पैदल ही चले जायेंगे …मिस्त्री भाई रिक्शे से सामान उतारते हुए कहा |
रात काफी हो चुकी थी और थकान भी हो रही थी | इसलिए हमने सोचा, आगे कुछ दूर हाईवे पर ही कही रुक कर आराम कर लूँगा |
रिक्शा वापस घुमाया ही था कि बहना ने आवाज़ लगा दी …रुको भैया | मेरे पास कुछ सत्तू और गुड़ है इसे रख लो | अभी तुम्हे भूख लगी होगी | मुझे तो यहाँ खाना मिल हो जायेगा | तुम्हारी यात्रा शुभ हो |
मैं एक बार फिर आसमान की तरफ देख कर भगवान् को धन्यवाद दिया |
अब तक तो रास्ता ठीक से ही कट रहा था | आगे भी भगवान् इसी तरह कोई ना कोई जुगाड़ भेज ही देंगे | मैं ख़ुशी ख़ुशी रिक्शे पर बैठा और जाते जाते पीछे मुड कर देखा …बहना हाथ हिला कर मुझे सफल यात्रा की शुभकामना दे रही थी …….(क्रमशः)

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सुन्दर कहानी है ये , सचमुच 🌷🙏♥️🌷
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बहुत बहुत धन्यवाद आपका।
आप के शब्द हमारा हौसला अफजाई करते है।
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