# किस्मत की लकीरें #– 10

मंगलू के इतिहास और काले कारनामो की  लिस्ट लम्बी थी | कालिंदी बड़े ध्यान से उसके फाइल का अध्ययन कर रही थी तभी उस के  मोबाइल की घंटी बजी |

कालिंदी ने जैसे ही फ़ोन उठाया तो उधर से आवाज़  आया… हेल्लो मैडम, आप ने तो आज फिर कमाल कर दिखाया | यह उसी अनजान आदमी का फ़ोन था जिसने गुप्त सुचना देकर कल कालिंदी की जान बचाई थी |

कालिंदी ने ज़बाब में कहा… मैं कुछ समझी नहीं ?

अभी अभी आपने जिस नेता को बेइज्जत कर भगा दिया और उसके आदमी को भी नहीं छोड़ा … वाकई काबिले तारीफ है | क्या आप को अपने जान की परवाह नहीं है | मैं कब तक आप को बचाता रहूँगा |

पहले तो आप को बहुत बहुत धन्यवाद, मेरी जान बचाने के लिए | लेकिन मैं आप से मिलना चाहती हूँ, | मुझे से कुछ ज़रूरी बातें करनी है |

नहीं नही …अभी आप मुझसे मिलने की कोशिश  मत  कीजिये | पहले आप अपने मकसद में कामयाब हो जाइए फिर आप को बधाई देने के लिए मैं  खुद आपसे मिलने आऊंगा … उस अनजान व्यक्ति ने कहा |

अच्छा ठीक है,  लेकिन मेरे मन में दो सवाल उठ रहे है उसका ज़बाब चाहिए ..कालिंदी ने हँसते  हुए कहा |

ठीक है मैडम , आप पूछ सकती है … उसने कहा |

आप मुझे मरने से क्यों बचाना चाहते है …कालिंदी ने पहला प्रश्न किया |

इस प्रश्न का  ज़बाब वह देना नहीं चाहता था इसलिए कहा …आप दूसरा सवाल पूछिये |

नहीं, पहले मैं  इस प्रश्न का ज़बाब चाहती हूँ …कालिंदी ने जोर देकर कहा |

वह आदमी  पहले तो हँसा , फिर उसने कुछ सोच कर कहा ..अगर सच बता दूंगा तो आप मेरा एनकाउंटर  कर देंगी |

फिर भी मुझे सच जानना है …कालिंदी ने जोर देकर कहा |

 कालिंदी जी, पहले तो मैं आपके काम करने के तरीके से बहुत प्रभावित हूँ  और साथ ही मैंने आपको  बहादुरी पूर्वक अपराधियों से टकराते हुए देखा है |

इसी कारण से  मेरे दिल में आपके प्रति बहुत स्नेह और इज्जत है … और इस रिश्ते को क्या नाम दूँ …मुझे खुद पता नहीं | ..लेकिन हाँ,  आप मुझे बहुत अच्छी लगती है और  मैं नहीं चाहता कि आप का कोई ज़रा सा भी नुक्सान करे |

उसकी बात सुन कर कालिंदी चौक गयी और उसे तो विश्वास ही नहीं हुआ कि जो वह उसके बारे में सोच रही है वही बात वो अपरिचित आदमी कालिंदी के बारे में  सोच रहा है |

आखिर बात क्या है ? वह समझ नहीं पा रही थी | , क्या सचमुच वो भी मुझसे प्यार करने लगा है ?…

तभी कालिंदी ने अपनी जिज्ञासा को विराम देते हुए और अपनी भावना पर नियंत्रण करते हुए  बोली..  अच्छा, मेरा दूसरा प्रश्न … आप  अपनी जान को जोखिम में डाल कर पुलिस की मदद क्यों करना चाहते है ?

वह व्यक्ति तुरंत बोला …. मैं पुलिस की नहीं आप की मदद करना चाहता हूँ |

इसलिए कि आप एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर है और आप के दिल में हम गरीब लोगों के लिए बहुत स्नेह है | और हाँ आप अपने ड्राईवर से सतर्क रहिएगा |

यह सब तो ठीक है पर आप अपने बारे में भी तो  कुछ बताएं …कालिंदी ने फिर पूछा |

समय आने पर आप को सब पता चल जायेगा .. इतना बोल कर उसने फ़ोन काट दिया |

अचानक कालिंदी को ख्याल आया कि वह तो माँ वाली बात उसे बताना ही भूल गयी | यह सोच कर कालिंदी के चेहरे पर मुस्कराहट बिखर गयी |

अगली बार ज़रूर माँ का सन्देश उसे पहुँचा दूंगी और मैं भी अपने दिल की बात कह दूँगी |

 वह इन्ही ख्यालों में खोई थी कि तभी पुलिस के एक आला ऑफिसर कालिंदी के चैम्बर में दाखिल हुआ |

उन्होंने अपना परिचय देते हुए कहा.. मैं राम सिंह, SP खुफिया विभाग | इतना बोल कर कालिंदी के सामने कुर्सी पर बैठ गया |

कालिंदी समझ गई कि साहब ने हमारे ऑफिस की सुचना लीक करने वाले व्यक्ति को पकड़ने के लिए ज़िम्मा  इन्हें सौपा है |

तभी उन्होंने कहा … कालिंदी, हम सब मिल कर एक प्लान बनाते है और कल ही उस पर अमल  करेंगे |  मैंने बड़े साहब से इस विषय में बात कर ली है |

कालिंदी अपनी सहमती जताते हुए हामी भरी और कुछ देर के आपसी बात – विचार के बाद प्लान को अंतिम रूप दे दिया गया जिसे कल ही लागू करना होगा |

आज कालिंदी सुबह सुबह ऑफिस आयी और अपने चैम्बर में स्थान ग्रहण करते ही बड़े साहब को फ़ोन लगा कर जोर जोर से  बात करने लगी |  बात करते हुए उसने बड़े साहब को बोली … …. सर, लखनपुर पुलिया ब्लास्ट करने वाले लोगों का पता चल चूका है, इसलिए मैं अभी वहाँ जा रहीं हूँ उसे गिरफ्तार करने |

 आपकी परमिशन चाहिए |

कालिंदी का ड्राईवर जो चैम्बर के बाहर स्टूल पर बैठा था,  कालिंदी की साहब से बाते करते हुए सुन कर उसके कान खड़े हो गए | वह जल्द से जल्द यह खबर उन बदमासो तक पहूँचाने  की सोचने लगा |

तभी कालिंदी ने उस ड्राईवर  को आवाज़ लगाईं |  वह भाग  कर कालिंदी के सामने आ गया | उसके चेहरे पर चिंता के भाव दिख रहे थे | कालिंदी को तो पहले से ही उस पर शक था क्योकि उस गुप्त सुचना देने वाले शख्स ने भी उस पर शंका ज़ाहिर की थी |

फिर भी अनजान बनते हुए कालिंदी ने  कहा … अभी लखनपुर चलने की तैयारी करो |

कुछ ही देर में पाँच  सिपाही को लेकर  कालिंदी लखनपुर के लिए रवाना हो गयी |

रास्ते  में ड्राईवर मन ही मन सोच रहा था कि अगर वह उन तक खबर नहीं पहुँचाया तो वे लोग पकडे जायेंगे |

तभी उसके दिमाग में एक आईडिया आया और उसने मैडम से कहा .. अगर आप इज़ाज़त  दे तो रुक कर थोडा चाय पी लूँ, … मुझे थोड़ी नींद की झपकी आ रही है |

कालिंदी तो उसके चेहरे को पढ ली थी और उसे पता था कि उसके मन में क्या चल रहा है |

कालिंदी के प्लान के मुताबित ही सब कुछ हो रहा था | उसके ड्राईवर को  इज़ाज़त देते हुए कहा .. हाँ हाँ, तुम चाय पीकर आओ, तब तक पास वाले  थाना का मैं निरक्षण कर लेती हूँ |

फिर क्या था .. ड्राईवर पेशाब करने के बहाने पेड़ की ओट में चला गया और अपने मोबाइल से उन अपराधियों को सूचित कर दिया, जिन्होंने पुलिया को उड़ा दिया था |

और बातों – बातों में यह भी बताया कि मैडम दो बजे शंकर ढाबा में हमलोगों के साथ ही खाना  खाएँगी  |

उन बदमाशों को अपनी गिरफ़्तारी का डर  सताने लगा | तभी उनलोगों ने प्लान बनाया कि शंकर ढाबा में मैडम को घेर लिया जाए | और मैडम  हमें आकर गिरफ्तार करें उससे पहले ही वहाँ गोली मार कर उन्हें वही ढेर कर दिया जाए |

उनके साथ जो पुलिस है वो भी तो हमलोगों से मिली हुई है, इसलिए वह ज़बाबी करवाई भी नहीं करेगी |  

उन बदमाशों के द्वारा प्लान को अंजाम देने के लिए पूरी तैयारी हो चुकी थी |

ड्राईवर अपनी गति से जीप को भगा रहा था लेकिन उसके चेहरे पर चिंता के भाव साफ़ झलक रहे थे | वह तो मन ही मन सोच रहा था कि आज मैडम का मरना तय है |

पहले से बनाए प्लान के अनुसार कालिंदी करीब दो बजे शंकर ढाबा के पास पहुँची |

जैसे ही कालिंदी अपने गाड़ी से उतर रही थी तभी देखा कि कुछ बदमाश उस पर हमला करने  का प्रयास कर रहे थे |

वह तुरंत एक्शन में आयी और अपनी गाड़ी की ओट में पोजीशन ले ली | कुछ देर ही फायरिंग चली कि पहले से वहाँ  छुपे सादे वेश  में पुलिस वाले ताबड़तोड़ फायरिंग कर पाँचो बदमाश को ढेर कर दिया |

वहाँ उपस्थित लोगों को कुछ समझ में नहीं आया कि अचानक यह क्या हो गया | उस इलाके के खतरनाक अपराधियों की लाशें वहाँ पड़ी थी |

थोड़ी ही देर में बड़े साहब और SP, खुफिया विभाग भी घटनास्थल पर पहुँच गए और सबसे पहले कालिंदी के ड्राईवर को गिरफ्तार कर लिया |

उसके बाद  पांचो अपराधियों का पंचनामा कर आवश्यक कार्यवाही की गयी…….

(क्रमशः)

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# किस्मत की लकीरें # – 11

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2 replies

  1. पढ़ कर मजा आ रहा है।

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