
कितना भी पकड़ लो, ….फिसलता ज़रूर है
ये वक़्त है साहब ……बदलता ज़रूर है …
काफी लोगों की भीड़ वहाँ इकट्ठी हो चुकी थी. | सभी लोगों को ऐसा लग रहा था कि खदान में ज़ल्द ही पानी भर जायेगा और उसमे फँसे सभी पचास मजदूर उसी में दफ़न हो जायेंगे |
किसी को भी हिम्मत नहीं हो रही थी कि खदान के अन्दर जाकर ब्लॉक हुए रास्तों को खोलने और मजदूरों को बचाने का प्रयास करे |
इधर कालिंदी ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए खदान में उतरने का फैसला ले लिया |
वहाँ खड़े सभी लोग कालिंदी को खदान के अन्दर जाने से मना कर रहे थे, लेकिन उनलोगों के मना करने के बाबजूद भी उसने मन ही मन अपने पिता को याद किया और फिर खदान में उतर गयी | उसे अपने पिता के आशीर्वाद पर भरोसा था |
उसके साथ ही वहाँ ड्यूटी पर तैनात पुलिस वाले को भी उसके साथ खदान के अन्दर जाना पड़ा |
खदान के अन्दर बिलकुल अँधेरा था | कालिंदी टॉर्च की मदद से किसी तरह उस जगह पर पहुँची जहाँ रास्ता ब्लॉक हो गया था और रास्ते के दूसरी तरफ मजदूर फंसे हुए थे |
उसने उन मजदूर भाइयों को आवाज़ लगाईं और उनका हौसला बढ़ाते हुए कहा .. आपलोग हिम्मत से काम लीजिये |
यह जो सामने बड़े सा पत्थर है उसे किसी तरह एक तरफ हटाना होगा तभी आपलोग सुरक्षित बाहर निकल सकते है |
उधर से आप लोग और इधर से हमलोग एक साथ जोर लगा कर उस पत्थर को हटाने का प्रयास करेंगे |
कालिंदी की बात का असर हुआ और सभी मजदूर जोश से भर गए और सबने मिलकर अपनी पूरी ताकत लगा दी और उस पत्थर को हटा डाला |

उनलोगों को ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा | उन मजदूरों के आँखों में ख़ुशी के आँसू थे क्योंकि उन मजदूरों ने मौत को इतने करीब से जो देखा था | वे सभी खुल चुके रास्ते से सुरक्षित स्थान पर आ गए |
कालिंदी ने ट्राली की मदद से एक एक कर मजदूरों को खदान से बाहर भेजा और अंत में वह खुद भी बाहर आ गई |
कालिंदी ने अपनी सूझ – बुझ और हिम्मत से उन सभी मजदूर भाइयों को सकुशल खदान से बाहर निकाल लाई थी | किसी को एक खरोच भी नहीं आयी |
वहाँ उपस्थित सभी लोग कालिंदी की बहादुरी और सूझ बुझ की तारीफ कर रहे थे | उसके बहादुरी भरे कारनामे की खबर सारे इलाके में आग की तरह फ़ैल गयी |
उस इलाके की जनता में कालिंदी की इज्जत काफी बढ़ गई | वह जनता की चहेती पुलिश ऑफिसर बन गयी | शायद वर्षो बाद ऐसी जाबांज और ईमानदार पुलिस ऑफिसर इस इलाके में आयी थी |
कालिंदी घटना स्थल से वापिस अपने ऑफिस आ गयी और कुर्सी पर बैठते ही चपरासी को चाय लाने को कहा |
कालिंदी चाय पीते हुए अपनी थकान मिटा रही थी | तभी, सामने मेज़ पर एक अपराधी के केस की फाइल पड़ी थी जिसपर उसकी नज़र पड़ी |
यह तो उसी अपराधी की फाइल थी जिसको पहले दिन ही उस पत्रकार पर हमला करने के जुर्म में गिरफ्तार किया था |
तभी अचानक कालिंदी को उस गुप्त सुचना देने वाले शख्स की याद आ गयी | उसकी आवाज़ शायद उस पत्रकार की आवाज़ से मिलती जुलती थी |
वह सोच रही थी कि वह कौन भला इंसान है जो इस इलाके में चल रहे अनैतिक धंधे और अपराधी के बारे में गुप्त रूप से मुझे सही सही-सही जानकारी दे रहा है | वो अपना पहचान गुप्त क्यों रखना चाहता है ?
इस तरह अपने जान जोखिम में डाल कर लोगों की भलाई करने के पीछे उसका मकसद क्या है ?
कालिंदी के मन में तरह तरह के सवाल उठ रहे थे कि तभी उसके फ़ोन की घंटी बज उठी | उसके देखा तो फ़ोन पर अनजाना नंबर था |
कालिंदी ने फ़ोन जैसे ही उठाई तो उधर से उसी आदमी की आवाज़ सुनाई दी , जो गुप्त सूचनाएं दिया करता था | वह हमेशा अलग अलग नंबर से फ़ोन किया करता था, ताकी उसकी पहचान छुपी रहे |
हेल्लो मैडम, मेरा इनफार्मेशन सही था ना ? … उसने पूछा |
लेकिन आज तो आपने जिस दिलेरी से उन असहाय मजदूरों की जान बचाई, उससे मेरे दिल में आपके प्रति इज्जत और बढ़ गई |
अगर आप इसी तरह ईमानदारी और निडरता से काम करती रही तो जल्द ही यहाँ अमन – चैन कायम हो जायगा और यहाँ के मजदूर भाइयों को माफिया के चंगुल से छुटकारा मिल सकेगा |
लेकिन आप अपना पहचान गुप्त क्यों रखना चाहते है ? आप पुलिस का मुखबिर बनकर काम क्यों नहीं करते ? हमारे विभाग से आप को तो सम्मान के साथ उचित ईमान भी मिलेगा |
मुझे ईनाम और सम्मान की चाहत नहीं है | मेरा आपको सुचना देने के पीछे एक मकसद है जिसे मैं आपसे मिलकर फिर कभी बताऊंगा | इतना बोल कर उसने फ़ोन काट दिया |

इधर बड़े साहब को खदान वाली घटना की जानकारी मिली तो उन्होंने कालिंदी को अगले दिन अपने ऑफिस में उपस्थित होने का फरमान भेज दिया |
कालिंदी जब ऑफिस से अपने घर पहुँची तो माँ देखते ही दौड़ कर आयी और उसे गले लगा लिया .. उसके आँखों से झर झर आँसू गिरने लगे |
माँ को इस तरह रोता देख कालिंदी ने आश्चर्य से उसे देखते हुए पूछा… क्या हुआ माँ ? तुम रो क्यों रही हो ?
यह तो ख़ुशी के आँसू है पगली | तुमने आज बहुत पुण्य का काम किया है | लेकिन मेरा दिल तो यह सोच कर बैठा जा रहा था कि कहीं तुमको कुछ हो जाता तो हमलोग का क्या होगा ?
तुम्हारा आशीर्वाद जब मेरे सिर पर है तो मुझे किसी बात से डर नहीं लगता है और यही मेरी सफलता का राज़ भी है |
तुम युग युग जिओ बेटी … और फिर माँ ने प्यार से उसके सिर पर हाथ रखा |
मुझे बड़े जोर की भूख लगी है माँ, आज दिन भर की भाग – दौड़ से थक गई हूँ | मैं थोड़ा आराम करना चाहती हूँ … कालिंदी ने उबासी लेते हुए माँ से कहा |
हाँ – हाँ , अभी तुम्हारे लिए खाना लाती हूँ |
आज तो तेरे मन पसंद का गाजर का हलवा भी बनाया है | तुम ज़ल्दी से खाना खा कर आराम करो .. माँ ने कहा और रसोई में चली गयी |
गज़र का हलवा तो बहुत स्वादिष्ट है माँ… कालिंदी खाना खाते हुए माँ की तारीफ की |
खाना खाकर बिस्तर पर जाते ही कालिंदी खर्राटे भरने लगी |
सुबह ज़ल्दी उठ कर कालिंदी को तैयार होता देख कर माँ ने पूछा … आज इतनी ज़ल्दी तैयार क्यों हो रही हो | आज भी कोई गुप्त सुचना मिली है क्या ?
नहीं माँ, आज बड़े साहब ने हेड क्वार्टर में बुलाया है तो समय पर पहुँचना है |
ठीक है, मैंने तुम्हारा टिफ़िन तैयार कर के गाडी में रखवा दिया है |
ठीक है माँ , अब मैं चलती हूँ | किसी चीज़ की ज़रुरत हो तो ड्राईवर को बता देना , लौटते में लेती आउंगी |

सुबह के ठीक दस बज रहे थे और कालिंदी साहब के चैम्बर में दाखिल हुई और सैलूट मार कर उनका अभिवादन किया |
कालिंदी को देख कर बड़े साहब मुस्कुराये और अपनी कुर्सी से उठ कर उसके पास आये और प्यार से उसके सिर पर हाथ रखते हुए कहा ...well done kalindi, I am proud of you ..
तुमने तो कमाल ही कर दिया | इतने लोगों की जान अकेले दम पर बचा लिया | इसीलिए न सिर्फ तुम्हारा बल्कि सारे पुलिस महकमे की बड़ाई हो रही है |
हमलोग ने तो फैसला किया है कि तुम्हारा नाम अवार्ड प्राप्ति हेतु अपने उच्च अधिकारीयों से सिफारिस करूँगा |
तुम्हारी ड्यूटी के प्रति लगन और निष्ठां देख कर मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है और तुम हमारे डिपार्टमेंट के लिए एक आदर्श बन गयी हो |
तभी साहब के चैम्बर में बिक्रम सिंह प्रवेश कर साहब को सैलूट किया |
आओ आओ, विक्रम | तुम्हे मैंने एक खास काम से बुलाया है |
चाय पीते हुए कालिंदी की ओर देख कर साहब ने कहा …. यह है सब इंस्पेक्टर (sub inspector) विक्रम सिंह | इसे तुम एनकाउंटर स्पेशलिस्ट भी कह सकती हो | यह अपराधियों का एनकाउंटर करके सफाया कर देता है |
हेल्लो मैडम …, मैं विक्रम सिंह, रायगढ़ थाने का सब इंस्पेक्टर हूँ | अगर आपके इलाके में भी ऐसे अपराधी हो तो हमें याद कीजियेगा |
धन्यवाद, लेकिन इसके लिए आप की सहायता की ज़रुरत नहीं पड़ेगी |
हमारा काम करने ढंग कुछ अलग तरह का है …. कालिंदी इंस्पेक्टर की तरफ देख मुस्कुराते हुए बोली |

हाँ, यह सही है कि हर किसी के काम करने का तरीका अलग अलग होता है | फिर भी हमलोगों का काम ही कुछ इस तरह का है कि हमें हर समय चौकन्ना रहना पड़ता है .. बड़े साहब ने कहा |
दोनों के चाय समाप्त हो चुके थे तभी कालिंदी ने बड़े साहब की ओर देखा |
साहब ने कहा…अच्छा कालिंदी, अब तुम जा सकती हो |
और इसी तरह देखते देखते छः महीने का समय बीत गए ..
रात दिन काफी प्रयास करने के बाद “लॉ एंड आर्डर” की स्थिति में कुछ सुधार हुआ |
चोरी, जुआ और फिरौती जैसे अपराध करीब करीब बंद हो गए | उस इलाके के व्यापारी और आम जनता हालात सुधरने से काफी खुश थे | लोकल समाचार पत्रों में भी कालिंदी की खूब तारीफ होने लगी |
सचमुच, कालिंदी की मेहनत रंग लाई और थोड़े दिनों में ही उसे अपने मिशन में सफलता मिल रही थी | लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी था |
क्रमशः

किस्मत की लकीरें -8 हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….FEEL ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments
Please follow the blog on social media … links are on the contact us page..
Categories: story
बहुत अच्छा।
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद |
LikeLike
Beautiful sir
LikeLiked by 1 person
Thank you so much.
LikeLike
Accha kaam ka acchha natija hota hai.Kahani badhiya.
LikeLiked by 1 person
Absolutely correct.
LikeLike