किस्मत की लकीरें #- 5

सारा इलज़ाम अपने सर लेकर

हमने “किस्मत” को माफ़ कर दिया ..

आज का दिन कालिंदी के लिए बहुत बड़ा दिन था क्योकि अंततः आज उसका वर्षों का सपना पूरा होने जा रहा था | उसे UPSC में सफलता ही नहीं मिली  बल्कि उसे मनचाहा ब्रांच भी मिला |

जी हाँ, उसके द्वारा  चाही गयी आईपीएस  (IPS) कैडर उसे मिला था |

आज उसकी छः महीने की ट्रेनिंग शानदार ढंग से पूरी हुई थी  और उस ट्रेनिंग में अपने  प्रदर्शन (performance)  से  ना सिर्फ ट्रेनर को प्रभावित किया बल्कि अपने साथियों का भी दिल जीत लिया |

लड़की होते हुए भी कालिंदी ने  काफी जोश – खरोश के साथ हर प्रतियोगिता  में भाग लिया और  सभी में काफी बेहतर प्रदर्शन किया |  

इसके लिए उसे  बेस्ट आईपीएस ट्रेनी (best  IPS trainee)  का अवार्ड भी मिला |

इससे कालिंदी का  मनोबल काफी ऊँचा हुआ था | वह शारीरिक रूप से मजबूत तो थी ही  दिमाग भी उसका बड़ी तेज़ चलता था |

ट्रेनिंग  पूर्ण (complete ) होने के दुसरे दिन ही पोस्टिंग का लेटर भी उसे प्राप्त हो गया |  उसकी पहली पोस्टिंग  महेश पुर इलाका में ASP के पद पर हुआ  था |

इस पोस्टिंग  से कालिंदी बहुत खुश थी  क्योंकि  अब उसे मन में लिए गए संकल्पों को पूरा करने का मौका मिल रहा था |

चूँकि नयी जगह थी और सरकारी बंगला भी काफी बड़ा था इसलिए उसने माँ को भी साथ ले जाना उचित समझा |

कालिंदी ने  पिता जी से पूछा तो उन्होंने इसकी सहर्ष इज़ाज़त दे दी और कहा .. तुम्हारी माँ वहाँ तुम्हारे रहने और खाने पिने का सारा  इंतज़ाम कर देगी |  अतः उन्हें  कुछ दिनों के लिए अपने साथ ही रखो |

कालिंदी को पुलिस की वर्दी पहने देख कर माँ  बहुत खुश थी | बेटी अब बड़ा पुलिस – ऑफिसर बन चुकी थी और इस पर माँ को गर्व महसूस हो रहा था |

उसने  ज़ल्द ही बेटी के साथ जाने की सारी तैयारी पूरी कर ली |

तभी ऑफिस की गाड़ी आयी और माँ – बेटी जीप में बैठ कर स्टेशन रवाना हो गये  |  उसके बाद ट्रेन पकड़ कर महेश पुर पहुँचना था |

ट्रेन के पुरे सफ़र में माँ बेटी बातें करती रही | ट्रेन की खिड़की से ठंडी हवा का झोका आ रहा था और तभी कालिंदी अपनी आँखे बंद किये अपने सुन्दर भविष्य की कल्पना में खो गयी |

उसके मन में तरह तरह के विचार उठ रहे थे | अचानक कुछ सोचते हुए उसके चेहरे पर हँसी बिखर गई |

कालिंदी को इस तरह आँखे बंद किये हँसता देख  माँ ने समझा कि उसे नींद आ रही है इसलिए  माँ ने उसे जगाते हुए कहा… कालिंदी,  अब तुम खाना खा लो | मैं घर से बना कर खाना साथ लेती आयी हूँ | खाना खा कर फिर आराम करना |

इसकी क्या ज़रुरत थी माँ, यहाँ ट्रेन में ही खाना उपलब्ध है … माँ की तरफ देखते हुए कालिंदी ने कहा |

नहीं बेटी , घर का खाना अच्छी सेहत के लिए ज़रूरी है | ऐसा कहते हुए  माँ के अपने बैग से टिफ़िन निकाला और सीट पर ही अखबार बिछा कर दोनों माँ – बेटी ने खाना खाया |

खाना खाने के बाद  कालिंदी ट्रेन की खिड़की पर अपना सिर  टिकाए थोडा  आराम करने लगी |

ट्रेन अपनी तेज़ गति से भाग रही थी और खिड़की से ठंडी – ठंडी हवा आ रही थी तो ऐसे समय में झपकी आना लाज़मी था |

कालिंदी  इसी तरह खिड़की पर सिर टिकाये झपकी ले रही थी और इधर माँ भी ट्रेन की बर्थ पर सो गयी |

अभी आधा घंटा ही बीता था तभी एक यात्री ने आवाज़ लगाया … महेश पुर आने वाला है और वह अपना सामान जो सीट के नीचे रखा हुआ था उसे निकालने लगा |

यात्रियों के हल चल से कालिंदी की नींद खुल गयी और उसने माँ को धीरे से उठाया और कहा …, माँ, हमलोग को अगले स्टेशन में उतरना है |

और थोड़ी देर में वह स्टेशन आ गया जहाँ उन दोनों को उतरना था |

महेश पुर एक छोटा सा स्टेशन था और इक्के – दुक्के लोग ही प्लेटफार्म पर नजर आ रहे थे |

हालाँकि, कालिंदी के पास सामान ज्यादा नहीं थे |

वह माँ के साथ अपना सामान लेकर प्लेटफार्म पर उतर गयी |

कालिंदी प्लेटफार्म के मेन गेट की ओर बढ़ रही थी तभी वहाँ कुछ पुलिस वालों  को फूल के  गुलदस्ते लिए किसी का इंतज़ार करते हुए देखा |

कालिंदी ने सोचा कि  शायद कोई नेता आने वाला होगा  और वे लोग उसी के स्वागत के लिए फुल लेकर आये है |

तभी एक स्मार्ट सा इंस्पेक्टर कालिंदी के पास आकर पूछा .. . क्या आप ही कालिंदी जी है ?

कालिंदी ने उस इंस्पेक्टर को देखते हुए ज़बाब दिया .. यस, मैं ही हूँ  |

तभी वह इंस्पेक्टर  ने सावधान की मुद्रा बनाई और कालिंदी को सैलूट किया और फिर अपना परिचय दिया |

उसके बाद कालिंदी और उसकी माँ को फुल का गुलदस्ता देकर उनलोगों का स्वागत किया |

फिर कालिंदी  की ओर मुखातिब हो कर कहा … मैडम, आपलोगों  के लिए गाड़ी बाहर खड़ी है | आप माँ जी के साथ अपने बंगले में प्रस्थान करें |

किसी भी सामान की ज़रुरत हो, तो आप  हमें बता दीजियेगा |

माँ जी इस तरह के आव-भगत देख कर अपनी बेटी पर गर्व का अनुभव कर रही थी |

कालिंदी माँ के साथ  गाड़ी में बैठ कर अपने सरकारी बंगले में आ गई  |

वैसे महेश पुर छोटी जगह थी | लेकिन ज़रुरत के सभी वस्तुएं आस पास में ही उपलब्ध थे |

इसलिए घर में ज़रुरत की सारी वस्तुएं जमाने में ज्यादा परेशानी नहीं हुई |

माँ तो इतना बड़ा बंगला देख कर बहुत खुश थी और ज़ल्द ही सभी सामान को सलीके से सजा दिया और खान बनाने की तैयारी में जुट गयी |

आज का दिन तो बिना किसी ज्यादा परेशानी के कट गया |   अब कल तो अपने सीनियर ऑफिसर को रिपोर्ट करनी है….कालिंदी बिस्तर पर सोते हुए सोच रही थी | थोड़ी देर में वह नींद की आगोश में चली गयी |

कालिंदी की नींद  सुबह जल्दी ही खुल गई | उसने देखा कि माँ रसोईघर में ब्रेकफास्ट तैयार कर रही है |

कालिंदी ने माँ के पास आकर उसके पैर छुए और उनका आशीर्वाद लिया |

आज का  दिन कालिंदी के लिए ख़ास है क्योकि आज उसके ड्यूटी का पहला दिन है |

कालिंदी पुलिस हेड क्वार्टर में  योगदान देने के लिए तैयार हो रही थी तभी ड्राईवर अपनी डिपार्टमेंट की जीप के साथ रिपोर्ट किया |

कालिंदी जल्दी से ब्रेकफास्ट  समाप्त किया और जीप में बैठ कर अपने हेड क्वार्टर के लिए रवाना हो गयी |

    कालिंदी बड़े साहब के चैम्बर में पहुंची और सैलूट मार कर अपना परिचय दिया |

साहब उसे देखते ही खुश हो गए और  हँसते हुआ कहा …आओ कालिंदी, मैं अभी तुम्हारी ही फाइल पढ़ रहा था |

तुम तो सचमुच बहादुर और बुद्धिमान (intelligent) ऑफिसर  हो | मुझे  महेश पुर इलाके के लिए तुम जैसे बहादुर और तेज़ तर्रार ऑफिसर की ज़रुरत है |

इस इलाके में कोयला खदानों  की वजह से  माफिया लोगों का बोल बाला है | मुझे ऐसी खबर मिली है कि हमारे डिपार्टमेंट के कुछ लोगों की भी मिली भगत है |

     महेशपुर में लॉ एंड आर्डर को सुधारना तुम्हारी पहली प्राथमिकता होगी |

तब तक चाय आ गयी और कालिंदी भी साहब के साथ चाय पीने लगी |

तभी साहब ने कालिंदी को एक फाइल दिया जिसमे उसके इलाके में चल रही अवैध ( illegal) गतिविधियों की सारी  जानकारी उपलब्ध थी |  उस इलाके के सारे माफिया लोगों के काले चिट्ठे थे उस फाइल में |

इसमें वो सारी जानकारी है जो वहाँ प्रशासन व्यवस्था दुरुस्त रखने में तुम्हारी मदद करेगी…बड़े साहब कालिंदी को समझाते हुए कहा |

कालिंदी ने चाय समाप्त किया तभी  चपरासी ने आकर बड़े साहब को बताया कि सम्मलेन (conference) हॉल में सभी अधिकारी आ चुके है और आप का इंतज़ार कर रहे है |

साहब ने उसे कहा…ठीक है मैं अभी आ रहा हूँ |

और तभी कालिंदी की तरफ देखते हुए उन्होंने कहा … आज हमने आस पास के सभी थाना अधिकारी की मीटिंग बुला रखी है | वे कालिंदी के साथ मीटिंग हॉल में पहुँच गए |

बड़े साहब ने मीटिंग शुरू करते हुए सभी लोगों का कालिंदी से परिचय कराया |

कालिंदी की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा … यह जाबांज ऑफिसर आज ही  हमारे डिपार्टमेंट में ज्वाइन की है |

कालिंदी बहुत ही बहादुर और intelligent ऑफिसर है |

…(क्रमशः)

किस्मत की लकीरें – 6 हेतु नीचे link पर click करे..

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4 replies

  1. बहुत अच्छा।

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  2. Antme mehnat ki phal mili.Kalindi bada officer ban gayi.Badhia kahani.Aage dikhana padega.

    Liked by 1 person

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