#किस्मत की लकीरें #.. 2

रास्ते है तो ख्वाब है ,

ख्वाब है तो मंजिले है

मंजिलें है तो फासले है

फासले है तो हौसले है

हौसले है तो विश्वास है .

आज कालिंदी का दिल जोर जोर से धड़क रहा था | वह अपने रूम में पढाई करते हुए आज के समाचार पत्र आने का इंतज़ार कर रही थी क्योकि आज ही UPSC का रिजल्ट निकलने वाला था जिसमे वह भी शामिल हुई थी |

उसने काफी मेहनत से परीक्षा की तैयारी की थी और उसे पूरी उम्मीद थी कि उसे सफलता ज़रूर मिलेगी |

तभी अखबार बांटने वाले ने बरामदे  में आज का अखबार डाल कर चला गया |

अखबार गिरने की आवाज़ सुनकर कालिंदी दौड़ कर वरामदे में गई और ज़ल्दी से अखबार  उठा कर चुप चाप अपने रूम में आ गई |

स्टडी टेबल पर बैठ कर धड़कते दिलों से पेपर के पन्ने खंगालने लगी ताकि वह दिख जाए जिसका वह  बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी |

और भगवान् ने उसकी सुन ली, लिखित परीक्षा में वह सफल हो गयी थी |

अब इंटरव्यू में सफल होना है, फिर तो दुनिया अपने क़दमों में होगी |

कालिंदी दोनों हाथ जोड़ कर भगवान् को धन्यवाद दिया और मन ही मन बुदबुदाई…एक बार मैं कलेक्टर बन जाऊं फिर मैं उनलोगों को अच्छी तरह तरह ज़बाब दे पाऊँगी जो लोग मुझे  घृणा की नज़र से देखते है ..

लेकिन इंटरव्यू के लिए तो खूब अच्छी तरह तैयारी करनी पड़ेगी जो दो महीने बाद होने वाला था |

वह मन ही मन सोचने लगी कि इंटरव्यू के लिए तो स्मार्ट बन कर जाना होगा  और तभी सामने पड़ी शीशे में अपना काला चेहरा  देख कर कालिंदी कुछ उदास सी हो गयी |

वह कुछ सोचते हुए अखबार को समेटने लगी,  तभी अचानक उसकी नज़रे एक विज्ञापन पर पड़ी |

उसने गौर से देखा, जहाँ लिखा था .. १००%  गोरा होने की गारंटी |

उसके उदास चेहरे पर अचानक  एक ख़ुशी की लहर दौड़ गयी |

उसने सोचा कि अगर कलेक्टर बन गयी तो कलेक्टर की तरह दिखने के लिए रंग भी तो गोरा होना चाहिए  और इंटरव्यू में भी अभी दो माह का समय है |

उसने घर में बिना  किसी को बताये  दवा  का वह पैकेज तुरंत मंगवाने  का फैसला किया |

कुल १५०००/- रूपये के उस पैकेज के लिए कालिंदी को अपने  वह पुराने गुल्लक आज तोड़ने पड़े जिसे बचपन से संचय कर रखा था |

वह सोच रही थी कि अपने चेहरे के  रंग के लिए वह ऐसे सैकड़ो गुल्लक कुर्बान कर सकती है, ऐसा सोच कर पैकेज के लिए उसने आर्डर कर दिया |  

और बिना ज्यादा इंतज़ार किये ही दो दिनों के बाद वह पैकेज भी आ गया |

पैकेज में दवा के साथ साथ उसे लेने की विधि बताई गयी थी |

कालिदी ने उसमे बताये विधि के अनुसार दवा लेना शुरू कर दिया |

लेकिन लोग ठीक कहते है …. मनुष्य चाहे जितना भी जतन कर ले , पर ..“वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है” ..

एक महिना तक  दवा के सेवन के पश्चात् भी उसके चमड़ी के रंग में रत्ती भर भी परिवर्तन नहीं हुआ |

उसका चेहरे का रंग गोरा तो नहीं हुआ |

हाँ, उल्टे दवा का साइड इफ़ेक्ट हो गया और उसके शरीर का वजन बढ़ गया |   

उसका छरहरा बदन फुल गया और वह मोटी दिखने लगी |

माँ को अचानक इस तरह के कालिंदी में आये बदलाव से आश्चर्य हुआ और साथ में वह चिंतित भी हो उठी | उसने  कालिंदी से उसके कारण जानना चाहा  और फिर उसे  कालिंदी से हकीकत का पता चला |

माँ ने  तुरंत घरेलु डॉक्टर से संपर्क किया तो डॉक्टर ने कालिंदी की पूरी जांच की और फिर उसे समझाते हुए कहा …कालिंदी, अब तुम बच्ची नहीं हो, इन सब नीम हाकिम के चक्कर में कैसे पड़  गयी ?

उन्होंने साफ़ साफ़ शब्दों में कहा …तुम्हे कम से कम छः माह हमारी दवा लेनी होगी …. तभी तुम्हारा बढ़ा हुआ वज़न कम हो पायेगा |

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जब पैकेज वाली दवा की बात पिता जी को मालुम हुआ तो उन्होंने भी काफी डांट लगाईं |  और इस तरह के विज्ञापनों से दूर रहने की हिदायत दी |

कालिंदी को अपने किये पर पछतावा हो रहा था | वह दो दिनों तक तकिये में मुँह छिपा कर रोती रही |

उसे अब घबराहट हो रही थी कि चेहरे से सांवली तो हूँ ही और मोटापा के कारण कही मैं  इंटरव्यू में असफल न हो जाऊं |

माँ ने समझाते हुए कालिंदी से कहा ….हिम्मत से काम लो बेटी और अपमे मिशन में पूरी ताकत से जुट जाओ |

 कालिंदी को माँ की बातों से थोडा हिम्मत हुआ | उसने अपने आप को संभाला और डॉक्टर के कहे अनुसार दवा के साथ साथ खाने पीने पर भी ध्यान देने लगी |

लगभग महीने भर के बाद नतीजा सामने आ गया और फिर से उसका वज़न कुछ कम होने लगा  परन्तु  उसके चेहरे के रंग में अब भी कोई फर्क नहीं पड़ा |.

और इधर उसके इंटरव्यू का दिन भी आ गया |

कालिंदी मन ही मन आशंकित हो कर इंटरव्यू का सामना किया और रिजल्ट वही हुआ जिसकी उसे आशंका थी |

कालिंदी इंटरव्यू में असफल हो गयी |  इतना सारा किया गया मेहनत बेकार हो गया |

उसका मन बहुत दुखी हुआ | भगवान् ने कितना अच्छा मौका दिया था लेकिन थोड़ी सी लापरवाही के कारण मेरे हाथ से  इतना अच्छा  मौका चला गया |

अफ़सोस के कारण दो दिनों तक तो उसने खाना पीना ही त्याग दिया था, बस अपने कमरे में बैठ कर रोती रहती थी |

उसकी तकलीफ को देख कर पिता जी उसके कमरे में आये और कालिंदी के पास बैठ कर प्यार से समझाने लगे |

एक बार असफल होने से ज़िन्दगी की हार नहीं होती बल्कि दूसरी बार प्रयास ना करना हार कहलाएगी |

कालिंदी को पिता जी की बात बिलकुल सही लगी | जब माँ बाप अपने औलाद की हिम्मत बढाते है तो वह औलाद और ज्यादा ताकत से सफलता पाने की कोशिश करता है |

उसने मन ही मन सोचा ..एक बार की हार से ज़िन्दगी ख़त्म नहीं हो जाती |

मैं फिर से कोशिश करुँगी और अपने मिशन को जब तक प्राप्त नहीं करुँगी तब तक हार नहीं मानूगी |

पढाई और अच्छी तरह हो उसके लिए वह अपने कॉलेज के हॉस्टल में शिफ्ट हो गयी ताकि वहाँ के लाइब्रेरी और अपने प्रोफेसर के संपर्क में रह सके |

कालिंदी की पढाई में कोई रूकावट ना हो इसलिए उसके माता – पिता भी उसे हर तरह से उसकी मदद कर रहे थे | इसलिए उन्होंने हॉस्टल में रहने की इजाजत दे दी |

कालिंदी को पूरी उम्मीद थी कि इस बार UPSC में सफलता ज़रूर मिलेगी | वह दिन रात मेहनत  में जुट गयी और ज्यादा समय कॉलेज लाइब्रेरी में बिताने लगी |

उसके मिहनत और पढाई में लगन को देख कर उसके  प्रोफेसर साहब ने भी उसे हर तरफ से मदद करने लगे |

इधर दवा और संतुलित खान-पान से उसके शरीर  में भी स्वाभाविक परिवर्तन होने लगा और उसका मोटापा गायब हो गया |

कालिंदी के चेहरे का रंग भी साफ़ हो गया | यह किसी चमत्कार से कुछ कम नहीं था | कालिंदी मन ही मन रोज़ भगवान् को धन्यवाद देती |

इस बार की परीक्षा में सफल होने के लिए ज्यादा ही आत्मा विश्वास (confidence) आ गया था |……(क्रमशः)

आगे की घटना हेतु नीचे link पर click करे.

# किस्मत की लकीरें # – 3

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6 replies

  1. अच्छी कहानी।

    Liked by 1 person

  2. Achi jaa rhi he story.
    Ab agla bhaag padunga 😁

    Liked by 1 person

  3. Acchi kahani.Sahi likha jo bhagwan ko manjur hai vohi hota hai.Gorapan hamara desh ki samasya hai.

    Liked by 1 person

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