Good afternoon Friends,

कभी कभी संघर्ष भरी जिंदगी से हम ऊब जाते है | ऐसे में बचपन की बिंदास ज़िंदगी याद आने लगती है और तब चेहरे पर मधुर मुस्कान बिखर जाती है |
सच, मेरे मन में एक ख्याल आता है कि क्यों न सारे गमों पर पर्दा डाल दिया जाये, और बचपन के उन लम्हों को फिर से जिया जाये | चलो , इस खूबसूरत ज़िंदगी को बचपन की चासनी में डाल उसका आनंद लिया जाये —
ज़िंदगी फिर से जिया जाये
चले कहाँ से थे ,
कहाँ पहुँच गए हम
देखते ही देखते
क्या हो गए हम |
सोचते है आज
क्या वही “विजय” है हम
जो कभी बचपन से जवानी तक,
खुशियाँ ही खुशियाँ बाटते थे हम ..
आज उन लम्हों की चाह में,
ज़िन्दगी गुज़र रही है ,
कब आया जवानी , कब ढह गया ..
महसूस भी हुआ तब,
जब टाइम अपना निकल गया |
सोचता हूँ…
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