#लोक आस्था का महा पर्व – छठ पर्व#

दोस्तों,

आज मैं आपको हमारे सबसे पसंदीदा त्योहार “छठ पूजा” के बारे में कुछ बताने जा रहा हूं, जो 28 अक्तूबर से 31 अक्तूबर 2022 तक मनाया जा रहा है। आज 31 अक्तूबर 2022 है, इसलिए आज इसका समापन हो रहा है।

छठ पूजा मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं दुनिया में कहाँ हूँ, लेकिन मैं हमेशा इस समय छठ पूजा में शामिल होने के लिए घर आता हूं और मेरे परिवार के सभी सदस्य हर साल चार दिनों तक इस पूजा का आनंद लेने के लिए एक साथ आते हैं।

छठ पूजा, जिसे सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है, कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाई जाती है। यह त्योहार दिवाली के 6 दिनों के बाद मनाया जाता है और मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

परिवार के साथ छठ पूजा का आनंद

छठ पूजा पर, सूर्य देव और छठ मैया की पूजा करने से अच्छा स्वास्थ्य, धन और सुख की प्राप्ति होती है। पिछले कुछ वर्षों में लोक उत्सव के रूप में छठ पूजा का विशेष महत्व रहा है। यही कारण है कि इस पर्व को बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

लेकिन इस र्ष कुछ विशेष कारणवश मैं अपने पैतृक स्थान पर इस उत्सव में शामिल नहीं हो सका । इसका मुझे बेहद अफसोस हो रहा है |

छठ पूजा शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर सतपमी तिथि तक चलती है।

यह चार दिनों का उत्सव “नहाय खया” से शुरू होता है और “उषा अराघ्य” के साथ समाप्त होता है

आज छठ पूजा का अंतिम दिन है। । आज  अंतिम दिन सुबह सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। वैसे तो हमलोग गंगा नदी के तट पर  सूर्योदय से पहले पहुँच जाते है और हम सभी  उगते सूरज को अर्घ्य देते है | लेकिन आज कल के विपरीत परिस्थिति के कारण घर पर ही पानी का कुंड बना कर उगते सूरज को अर्घ्य दे रहे है |

उगते सूर्य को अर्घ देते हैं

यह पर्व इस मायने में भी अनूठा है कि इसमें कोई लिंग भेद नही है। स्त्री, पुरुष सब इस व्रत को करते है। इसमें जाति-धर्म , ऊंच-नीच, अमीर-गरीब का कोई भेद नही रहता है। सभी लोग एक साथ नदी में एक पंक्ति में खड़े होकर पहले डूबते सूर्य को और फिर अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ देते हैं।

डूबते हुए सूर्य की पूजा इस पर्व को बिशेष बनाती है। क्योंकि सूरज दिन भर अपना सब कुछ देकर संध्या बेला में जब डूबने को होता है तो हम उनकी कृपा के लिए उन्हें कृतज्ञता अर्पित करते है। और डूबता सूरज हमे यह भी संदेश देता है कि आज रात के बाद कल सुबह अवश्य  होगा और नया सूरज निकलेगा जो इस चराचर विश्व का कल्याण करेगा।

इसके बाद व्रती छठी मैया से परिवार के सभी सदस्यों की सुरक्षा और समृद्धि और पूरे परिवार की खुशी की कामना करते हैं। पूजा के बाद, भक्त शरबत और कच्चा दूध पीते हैं, और अपने उपवास को तोड़ने के लिए थोड़ा सा प्रसाद खाते हैं जिसे “पारण” कहा जाता है। इस दिन व्रती सात्विक भोजन करते हैं |

ठेकुआ खाने का विशेष आनंद

छठ पर्व के प्रसाद का बड़ा ही महत्व है। ख़ास कर इस पर्व में ठेकुआ को प्रसाद के रूप में ग्रहण करने का साल भर पहले से इंतज़ार करते है | हमारी ये कोशिश रहती है कि प्रसाद हमारे  सारे रिश्ते – नातो जो पास नहीं होते उन्हें भी समय पर भेजने की विशेष व्यवस्था की जाती है |

प्रसाद का ठेकुआ और लडुआ बहुत दिनों तक भी खराब नही होता है।

डूबते हुए सूर्य की पूजा इस पर्व को बिशेष बनाती है। क्योंकि सूरज दिन भर अपना सब कुछ देकर संध्या बेला में जब डूबने को होता है तो हम उनकी कृपा के लिए उन्हें कृतज्ञता अर्पित करते है। और डूबता सूरज हमे यह भी संदेश देता है कि आज रात के बाद कल सुबह अवश्य  होगा और नया सूरज निकलेगा जो इस चराचर विश्व का कल्याण करेगा।

इस पर्व का एक और विशेषता है | हमलोग पूरे कार्तिक माह को पवित्र मानते  हैं। पुरे  महीने हमारे घर में सात्विक और निरामिष भोजन ही बनता है। जिनके घर में  छठ होता है वे सभी छठ के बाद भी कार्तिक पूर्णिमा तक उसी सुचिता एवं शुद्धता का पालन करते हैं। कार्तिक पूर्णिमा को नदियों, सरोवरों में डुबकी लगाने के साथ ही छठ महा पर्व समाप्त होता है। और फिर इंतजार शुरू होता है अगले साल के छठ व्रत का।

छठ व्रती, सूर्य भगवान और छठी मइया से विनती करते है कि हम सबो पर अपनी कृपा बनाये रखे ताकी अगले साल फिर से उनकी पूजा आराधना कर सके। हमलोग छठ व्रती के पैर छु कर आशीर्वाद लेते है |

आप सभी को छठ पर्व की बहुत बहुत शुभकामनाएं…

और अंत मे मैं अपने दोस्त अरविंद कुमार द्वारा लिखित एक कविता प्रस्तुत कर रहा हूँ :



Categories: infotainment

23 replies

  1. Padke acha laga ☀️
    Apka din subh ho

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  2. Happy Chhath Puja 🙏💐

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  3. बहुत सुन्दर।

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  4. Padhke Achha laga.Jai ho Chhat Maata ki Jai.

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