#मैं और मेरा जख्म#

Good afternoon friends,

Retiredकलम

कभी – कभी हमारे जीवन में कुछ ऐसीघटनाएँ घट जाती है जिसके कारण मन उदास हो जाता है और हम गुमसुम रहने लगते है | हालांकिउदासी,किसी बड़े दुख के अनुभव का एक छोटा सा हिस्सा मात्र होता है ।

यह एक ऐसा दर्द भरा अनुभव होता है,जिसको किसी से साझा नहीं किया जा सकता है । यह उदासी एक ऐसी आम भावना है,जिसे हर एक इंसान अपनी ज़िंदगी के किसी न किसी दौर में महसूस जरूर करता है| इन्हीं भावनाओं को समेटने का प्रयास है ये कविता…

मैं और मेरा जख्म

कागज़ पर कलम दौड़ता दिखाई देता है

आज जख्म अपना रिसता दिखाई देता है

यूँ तो कोई कमी नहीं है ज़िंदगी में

फिर भी ना जाने क्यूँ

मन तनहाइयों में अटक जाता है

किसी को याद कर, मन भटक जाता है

बीतें दिनों की कुछ घटनाओं से

अपनी तो दिल जली है

वो मेरे ज़िंदगी के साथ पली है

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