
दोस्तों,
वैसे तो दुनिया में बहुत सारे दर्शनीय स्थान है, जिसके बारे में जानने की जिज्ञासा रहती है | आज हम बिहार राज्य में स्थित कुछ दर्शनीय स्थान की चर्चा करना चाहते है |
वैसे तो बिहार महात्मा बुद्ध और 24 वें जैन तीर्थंकर की कर्म-भूमि रही है, इसलिए बिहार का उल्लेख पुराण और प्राचीन महाकाव्यों में भी मिलता है। हिंदू पुराणों के अनुसार माता जानकी यानी सीता माता का जन्म भी बिहार में हुआ था और बिहार में ही भगवान राम और माता सीता का मिलन भी हुआ था।
इसके अलावा बिहार से ही जैन धर्म की उत्पत्ति हुई थी इसी राज्य में भगवान भगवान महावीर का जन्म भी हुआ था। आज हम उसी से संबन्धित पावापुरी के जल मंदिर के बारे मे कुछ जानकारी शेयर कर रहे है |
पावापुरी का जल मंदिर
बिहार के नालंदा जिले में राजगीर के पास पावापुरी में एक जल मंदिर है।
यह जल मंदिर जैन धर्म के अनुयायियों के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। ऐसा माना जाता है कि भगवान महावीर को इसी स्थल पर मोक्ष यानी निर्वाण की प्राप्ति हुई थी। जैन धर्म के लोगों के लिए पावापुरी एक पवित्र स्थान है।
यह वही जगह है जहां भगवान महावीर ने ज्ञान प्राप्ति के बाद अपना पहला और आखिरी उपदेश दिया था। भगवान महावीर ने इसी जगह से विश्व को अहिंसा के साथ जिओ और जीने दो का संदेश दिया था।

एक रोचक कहानी
इस जल मंदिर का बहुत ही रोचक कहानी है | यह वही स्थान है जहां भगवान महावीर का अंतिम संस्कार किया गया था। लोगों का कहना है कि भगवान महावीर के अंतिम संस्कार में लाखों लोग शामिल हुए थे। उनके अंतिम संस्कार के बाद लोग उस जगह से उनके शरीर का पवित्र भस्म उठाकर अपने साथ ले जाने लगे।
लेकिन लोगों की संख्या इतनी ज्यादा थी कि भस्म खत्म होने पर वे लोग उस जगह की मिट्टी अपने साथ ले जाने लगे | इस दौरान इतनी मात्रा में मिट्टी उठ गई कि वहाँ बड़ा सा गड्ढा हो गया और ज़मीन से जल निकल आया | देखते देखते वह एक सरोवर का रूप ले लिया और अंततः यह स्थल 84 बीघे के सरोवर में बदल गया।
दीपावली के दिन पावापुरी में उनका महापरिनिर्वाण हुआ
जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म ईसा से 599 वर्ष पूर्व बिहार में कुण्डलपुर में हुआ था। तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राजकाज त्याग संन्यास धारण कर लिया था। 72 वर्ष की आयु में दीपावली के दिन पावापुरी में उनका महापरिनिर्वाण हुआ। इसलिए जैन धर्म के अनुयायी भी दिवाली काफी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाते हैं। लोगों का कहना है कि भगवान महावीर के निर्वाण के बाद उनका अंतिम संस्कार देवताओं ने किया था।

मनोकामनाएँ पूर्ण होती है
लोगों की ऐसी धारणा है कि पावापुरी में आने मात्र से लोगों के सारे पाप मिट जाते हैं। हालांकि आज पावापुरी के आस पास जैन धर्म के मानने वाले नहीं के बराबर लोग हैं, लेकिन भगवान महावीर के प्रति श्रद्धा में कोई कमी नहीं है। दुनिया भर से पर्यटक और श्रद्धालु यहां आस्था के साथ शीश झुकाने आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां हृदय से की गई मनोकामनाएं ज़रूर पूरी हो जाती हैं। यहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।
जैसा कि नाम से विदित है कि जल मंदिर का भव्य सरोवर कमल के फूलों से भरा रहता है और इस पवित्र कमल सरोवर के बीच में एक भव्य मंदिर है। यह बड़ा ही मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है |
यह जल मन्दिर काफी प्रसिद्ध और दर्शनीय है। इस शानदार और खूबसूरत मंदिर के पूजा स्थल में भगवान महावीर की एक प्राचीन चरण पादुका है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई राजा नंदीवर्धन ने करवाया था। सं
गमरमर से बने यह दिव्य मंदिर देखने में बहुत खूबसूरत है | इसके अलावा भी भगवान महावीर से संबन्धित अन्य 18 मंदिर है जो दर्शनिए है |
एक बार इस खूबसूरत जगह का ज़रूर दर्शन करना चाहिए | लाल कमल के फूल से भरे जल मंदिर के तालाब के पास थोड़ी देर बैठने पर असीम शांति का अनुभव होता है । सब कुछ भूलकर आप अपने-आप में दिव्यता का एहसास करेंगे।
इस जल मंदिर की वास्तुकला, कलाकृति अतुलनीय है। इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है। चांदनी रात के समय इसका निखरा रूप मन को मोह लेता है । लाल-लाल कमल के फूलों के बीच सफेद संगमरमर से बना यह जल मंदिर चांद की रोशनी में चमकता हुआ सुंदर दिखता है। धर्म में आस्था नहीं रखने वाले लोग भी इस मंदिर का आकर्षण और दिव्यता को देखने के लिए यहां आते हैं।
बिहार की राजधानी पटना से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर पावापुरी नगर स्थित है । पटना से रेल, बस या टैक्सी से यहाँ आया जा सकता है | लोगों के ठहरने के लिए कई धर्मशालाएं हैं।
वैसे तो बिहार में सर्दी या गर्मी काफी पड़ती है। इसलिए यहां आने के लिए सबसे अच्छा समय फरवरी से मार्च और सितंबर से नवंबर के बीच का होता है।

सोनगढ़ गुफा का रहस्य
भारत में ऐसे कई जगह हैं, जो खजानों को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। सोने के खजाने से जुड़ा ऐसा ही एक मामला बिहार के ‘सोन भंडार गुफा’ से जुड़ा है | ऐसा माना जाता है कि यहाँ भारी मात्र में सोना छिपा हुआ है । यह गुफा बिहार के छोटे से शहर राजगीर में है। ऐसा माना जाता है कि मौर्य शासक बिन्दुसार ने अपने शासन काल में राजगीर में एक बड़े पहाड़ को काटकर अपने खजाने को छुपाने के लिए यह गुफा बनाई थी।
सोने के भंडार के कारण ही इस गुफा का नाम पड़ा था “सोन भंडार” । इस गुफा के बारे में कहा जाता है कि सोने को सहेजने के लिए इस गुफा को बनवाया गया था। पूरी चट्टान को काटकर यहां पर दो बड़े कमरे बनवाए गए थे। गुफा के पहले कमरे में जहां सिपाहियों के रुकने की व्यवस्था थी। वहीं, दूसरे कमरे में खजाना छुपा था।
दूसरे कमरे को पत्थर की एक बड़ी चट्टान से ढका गया है। जिसे आजतक कोई नहीं खोल पाया। इस तरह की गुफाएं हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रही हैं। सोन भंडार गृह के पास ही उस प्रकार की और भी गुफाएं हैं। इन गुफाओं के कमरे भी सोन भंडार गुफा की तरह ही बनाए गए हैं।
दोनों ही गुफा तीसरी और चौथी शताब्दी में चट्टानों को काटकर बनाई गई हैं। इन गुफाओं के कमरों को पॉलिश किया गया है। इस तरह की गुफा देश में कम पाई जाती हैं।

तोप से उड़ाने की कोशिश भी हुई थी नाकामः
लाख कोशिशों के बाद भी अंग्रेज चट्टानों से ढके इस गुफा को नहीं खोल पाए थे। यहां तक की उन्होंने गुफा पर तोप के गोले भी दागे, लेकिन वे इसमें भी नाकामयाब रहे थे। आज भी इस गुफा पर उस गोले के निशान देखे जा सकते हैं। आखिरकार अंग्रेजों को वहां से खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा था।
अंदर है 10 मीटर लंबा चट्टान का कमरा
सोन भंडार गुफा में अंदर प्रवेश करते ही 10.4 मीटर लंबा चौड़ा और 5.2 मीटर चौड़ा कमरा है। इस कमरे की ऊंचाई लगभग 1.5 मीटर है। यह कमरा खजाने की रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए बनाया गया था। इसी कमरे के दूसरी ओर खाजाने का कमरा है।

शंख लिपि में लिखा है कमरे को खोलने का राज
मौर्य शासक के समय बनी इस गुफा की एक चट्टान पर शंख लिपि में कुछ लिखा है। इसके संबंध में यह मान्यता प्रचलित है कि इसी शंख लिपि में इस खजाने के कमरे को खोलने का राज लिखा है। लेकिन आजतक इसे कोई समझ नहीं पाया।
इसीलिए गुफा के बंद दरवाजे को खोलने की काफी कोशिश की गई, लेकिन कोई कामयाब न हुआ।
दोस्तों, बिहार में ऐसी बहुत सारे अजूबे धरोहर जिसके बारे में जानकारी ज्ञानवर्धक तो है ही, वहाँ पर घूमने जाने का मौका भी देती है | कभी तो पधारो बिहार में |
(Pic Courtesy: Google. com )
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Categories: infotainment
Wah
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Thank you dear.
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सुन्दर लेख ।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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Very nice and informative
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Thank you so much, dear,
Have a nice day.
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Very nice description, I have never been to Bihar but have heard a lot about Bodh Gayaji, and after hearing such a beautiful description of the places mentioned by you, I have to come to the city of God
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Definitely, You are welcome to Bihar.
you will love those places.
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🙏🙏
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Stay connected, Stay happy.
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Bihar ka baareme likhoto kam padegi.Bahut Sundar jaankari.
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You are very correct dear.
I am trying to share more information on Bihar.
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Bahut badhiya Jaankari.
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Thank you so much, dear.
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