
प्रकृत्ति के ऐसे तीन अटूट नियम जो सार्वजनिक सत्य है | इसे झुठलाया नहीं जा सकता है। आइए विचार करते है |
प्रकृत्ति का पहला नियम :
यदि खेतों में बीज न डाला जाए तो प्रकृत्ति उसे घास फूस और झाड़ियों से भर देती है। ठीक उसी प्रकार से यदि दिमाग में अच्छे एवं सकारात्मक विचार न भरे जाएं तो बुरे एवं नकारात्मक विचार उसमें अपनी जगह बना लेते हैं।

प्रकृत्ति का दूसरा नियम :
जिसके पास जो होता है, वो वही दूसरों को बाँटता है। जिसके पास सुख होता है, वो सुख बाँटता है। जिनके पास दुख होता है, वो दुख बाँटता है।
जिसके पास ज्ञान होता है, वो ज्ञान बाँटता है | जिसके पास मुस्कुराहट होता है, वो लोगों में मुस्कुराहट बाँटता है । जिसके पास क्रोध होता है, वो क्रोध बाँटता है। जिसके पास नफरत होती है वो नफरत बाँटता है और जिसके पास भ्रम होता है वो भ्रम फैलाता है।
मैं मुस्कुराहट फैलाना चाहता हूँ, आइये चुटकुला सुनें॥ |

प्रकृत्ति का तीसरा नियम :
भोजन न पचने पर रोग बढ़ जाता है। ज्ञान न पचने पर प्रदर्शन बढ़ जाता है। पैसा न पचने पर अनाचार बढ़ जाता है। प्रशंसा न पचने पर अहंकार बढ़ जाता है। सुख न पचने पर पाप बढ़ जाता है। और सम्मान न पचने पर अभिमान बढ़ जाता है।
प्रकृत्ति का चौथा नियम :
हमारे समझ से एक चौथा भी नियम होना चाहिए | और वह ये कि आप हमेशा अपने को खुश रखने का प्रयास करें | अगर आप प्रकृति की गोद में कुछ पल समय बिताते है तो आपको सुकून महसूस होता है, खुशी महसूस होती है | सुख दुख तो ज़िंदगी में आते ही रहते है, हमें उसके लिए मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए |
प्रकृति में हँसते ये पेड़ पौधे भी कभी आँधी तूफान का सामना करते है तो कभी पतझर भी उसके जीवन में आते है | इसके बावजूद वो फिर से हरा – भरा होकर मुसकुराता रहता है और हम इनसानों को विभिन्न रूपों में उपहार देती रहती है , चाहे वह फल हो, ऑक्सीजन हो या छांव |
इसलिए अब मुसकुराने की कोशिश कीजिये , इसके लिए मैं कुछ चुट्कुले सुना रहा हूँ ॥

सच, प्रकृत्ति अपने आप में एक विश्वविद्यालय ही है । हमें प्रकृत्ति की विभिन्न सीखों को जीवन में उतार कर अपने जीवन को खुशहाल, आनंदमय और श्रेष्ठ बनाने हेतु सतत प्रयासरत होना चाहिए।।
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Categories: infotainment
मजेदार।पढ़ कर अच्छा लगा।
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Very interesting blog.I pleased to read this.👌
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Thank you dear.
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Thank you so much dear.
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Good afternoon friends.
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