
वैसे तो रिश्ते ज़िन्दगी का अहम हिस्सा होते है | लेकिन कुछ रिश्ते ऐसे होते है जो दिल के बेहद करीब होते है | हम उसे महसूस करते है, उससे बातें भी करते और उसे याद कर के सुकून भी पाते है |
यह कोई ज़रूरी नहीं कि वो हमारे पास हो | दूर रह कर भी उसे करीब महसूस किया जाता है | आज के इस भागमभाग ज़िंदगी में एक फासला तो बन ही जाता है | यह फासला और उसके कारण होने वाली तड़प का एहसास कभी – कभी चंद शब्दों का रूप ले लेता है जो कविता के रूप में प्रस्तुत है |

जाने ये कैसी ज़िन्दगी है,
रोज़मर्रा की मशक्कत और
दिन भर की कशमकश है…
कभी घबरा जाता हूँ ..अपने ही मन से
कभी डर जाता हूँ, छोटी छोटी उलझनों से,
तुम्हें आभास हो ना हो, पर सच है
तेरी सलामती की दुआ करता हूँ
लड़ता हूँ, झगड़ता हूँ, पर प्यार भी करता हूँ..
पता नहीं दूर का है या नजदीक का रिश्ता
पर सदा आस पास ही महसूस करता हूँ,
तुझे खुश देख कर, खुशी का आभास
तेरा दुःख देख कर, दुख महसूस करता हूँ…
वक़्त के हाथों. .. फिसलते ये रिश्ते
यादों के लम्हों में, गिरती और संभलती है..
…………… जाने ये कैसी ज़िन्दगी है ?
( विजय वर्मा )

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Categories: kavita
Beautiful 👌👌
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Achi likhi kavita sir!
Padke Anand aya
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बहुत सुन्दर लिखा आपने सर 🌺
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हौसलाफजाई के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
आपके शब्द मुझे खुशी देते है |
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सुन्दर कविता।
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Thank you so much, dear.
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Acchi Kavita.Ye Roj din ki jindegi.Naa usse chhutti milti hai.Khus hua.
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Thank you so much, dear.
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