#मुश्किलों से गुज़रता आम आदमी#

हां , यह बात बहुत हद तक सही है कि हम आज के समय में बनावटी एवं दिखावे का जीवन जी रहे है। हालांकि इस बात को स्वीकार करने से लोग झिझकते है, लेकिन मन ही मन इस बात को स्वीकार करते है कि दुनिया की रेस बने रहने के लिए दिखावा ज़रूरी है, वरना लोग वो सम्मान नहीं देते जिसकी वो चाहत रखते है |

दिखावटी जीवन को छोड़कर असल जिंदगी में जीना सीखे तभी आपको सच्ची खुशी मिलेगी। सच्ची मुस्कान आपको उन बच्चों में अवश्य मिलेगी जो दिखावटी जीवन से बहुत दूर हैं।

ज़िंदगी की जद्दोजहद के बीच इन्हीं भावनाओं को दर्शाता एक आम आदमी की विवशता है यह कविता

मुश्किलों से गुज़रता आम आदमी

बनावटी जीवन जीने को मजबूर है आम आदमी

आज के जमाने में अजीब हो गया है आम आदमी

ज़िंदगी में अनेकों जद्दोजहद से जूझता है फिर भी

साख बचाने को बस दिखावा करता है आम आदमी

जब झूठ और फरेब से गुज़रता है आम आदमी

ज़िंदा होते हुए  भी मर जाता है आम  आदमी

क्यों जमा करने की जद्दोजहद में लगा है आदमी

कुछ भी साथ नहीं जाएगा , यह जानता है आदमी

नाउम्मीद और तिरस्कार जब अपनों से पाता है

तब रोता है  बिलखता है बिखरता है आदमी

भ्रम टूट जाता है और  खुदा याद आता है

जिस वक्त मुश्किलों से गुजरता है आदमी

एक दिन जाना तो सभी को है खुदा के पास  

खुदा से नहीं, यहाँ आदमी से डरता है आदमी

 कुछ इस तरह के हालात हो गए है दोस्तों

आज प्रेम का मतलब ही भूल गया है आदमी,

                         (विजय वर्मा)

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Categories: kavita

56 replies

  1. Active, focused and alive. This is very good advise indeed. Cheers Sir for reminding us of wisdom. Have a great day!

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  2. Aam aadmi ki jindagi kuch aisi hi he

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  3. अच्छी कविता।

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  4. वाह भाई! आपने तो इस कविता में भावनाओं की अभिव्यक्ति की छलांग मार दी! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति।
    :– मोहन “मधुर”

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  5. Kavita padhi khus hua.Har Aadami jindgi muskil me gujarata hai Na Raja Na Rank.Yehi hai Jindegi.

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  6. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Good afternoon friends,

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