#आज मुझे रो लेने दो#

हम सभी लोग जमीन से जुड़े रहना चाहते है,  और अच्छी या बुरी  जो भी परंपरा है उसे निभाने के चक्कर में हम वो सभी कार्य भी करते है जिसे हम करना पसंद नहीं करते है |

आज के युग में इसी परंपरा का फायदा उठा कर  कुछ दबंग लोग अपनी मनमानी करते है |

आज हमारा विद्रोही मन इन्हीं गलत परम्पराओं के विरूद्ध इस कविता के माध्यम से कुछ कहने की कोशिश कर रह है …

आज मुझे रो लेने दो

परंपरा की इस अंधी दौड़ में

सर अपना मत पीटो तुम

जो जीने के लिए ज़रूरी है

वो हक़ मेरा मत छीनो तुम

बहता है पानी तो रोको 

बाँध बनाना सीखो तुम 

लग जाए आग अगर

सूखे पत्ते जल जाने दो तुम

मगर फुल खिले है जो

उन्हें फल  बन जाने दो तुम

इन खून खराबा से क्या हासिल

प्यार के फुल खिलने दो तुम

आज न कहा तो कह न पाऊँगा

आज मुझे  कह लेने दो तुम

मन की वेदना  से नम है आँखें

आज  मुझे  रो ले ने  दो तुम

(विजय वर्मा)

पहले की ब्लॉग  हेतु  नीचे link पर click करे..

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments

Please follow the blog on social media … visit my website to click below.

        www.retiredkalam.com



Categories: kavita

21 replies

  1. बहुत बहुत बढ़िया लिखा है आप ने |अति उत्तम और हृदयस्पर्शी कविता है आप की | You are an inspiration for us, Sir. Your blogs are amazing and very enthusiastic towards life. ♥️♥️♥️♥️

    Liked by 2 people

  2. Wah wah sir wah wah!!!
    Sir ap thek ho?
    Apse bat kare kafi din ho gae

    Liked by 1 person

  3. आज न कहा तो कह न पाऊँगा

    आज मुझे  कह लेने दो तुम

    Just too amazing 👌🏼

    Liked by 1 person

  4. Most heart touching poem.Really a informative post❣️🙏❣️

    Liked by 1 person

  5. अच्छी कविता।

    Liked by 1 person

  6. भावना प्रधान कविता।

    Liked by 1 person

  7. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Good afternoon,
    “When you have a dream, you’ve got to grab it and never let go.” …

    Like

Leave a comment