जीवन एक संघर्ष है -1

एक लेडी इंस्पेक्टर अचानक हाथ में डंडा घुमाते हुए कुंबला (kumbla) रेलवे पर एक चाट की स्टॉल  पर धावा बोलती है | वहाँ उस स्टॉल पर एक औरत चाट- पापड़ी बना रही थी | अचानक उसके पास  जाकर वो लेडी  इंस्पेक्टर डंडा  दिखाते हुए  उससे कहती है – You are under arrest । आस पास खड़े लोग उत्सुकता से उस ओर देखने लगते है | पता नहीं क्या लफड़ा है ?

तभी चाट बनाते  हुए उस औरत ने इंस्पेक्टर से पूछा – मेरा ज़ुल्म  तो बताओ ? इतना कह वे दोनों ठहाका मार कर हंसने लगे |

लोगों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो लेडी  इंस्पेक्टर पहले तो उस चाट बनाने वाली औरत को गिरफ्तार करने की  बात कहती है और फिर दोनों एक दूसरे को देख कर ठहाका लगाने लगते है, जैसे उन लोगों की  वर्षों की  जान पहचान हो |

हाँ, यह सच है कि  उन दोनों की वर्षों की जान पहचान है | चाट वाली का नाम सुषमा है और वो एक स्वादिष्ट चाट का प्लेट तैयार कर लेडी  इंस्पेक्टर की ओर बढ़ाते हुए पुछती है – और, तुम्हारी घर गृहस्थी कैसा चल रहा है ?

उसकी बातों को सुनते ही वह लेडी इंस्पेक्टर शिवानी अपनी पिछली ज़िंदगी की यादों में खो जाती है | बिताए गए अपनी ज़िंदगी के पिछले 10 साल का लेखा – जोखा लेकर बैठ जाती है |

आज से 10 साल पहले की है | जी हाँ , पिछले 10 वर्षों की  ज़िंदगी उसने जद्दोजहद में गुज़ारी थी | हर पल ना जाने कितनी ठोकरें खाई थी | आज भी वो पुरानी घटना याद कर वह सिहर उठती है |

उस समय  वह सिर्फ 18 साल की लड़की थी | वह कॉलेज में पढ़ रही थी | घर में माँ -बाप और वो अकेली संतान | केरल के एक छोटे से कस्बे कुंबला में तो एक ही कॉलेज था, वो भी घर से 5 किलोमीटर दूर | कॉलेज जाने के लिए साइकिल का ही सहारा था, वो भी बहुत मुश्किल से पिता जी ने खरीद कर दिया था | घर में गरीबी थी , पिता के रिटायरमेंट के पैसे से मुश्किल से घर चलता था |

एक दिन की बात  है , शाम का वक़्त था |  शिवानी  कॉलेज से साइकिल पर सवार होकर घर आ रही थी , तभी पीछे से एक तेज़ मोटरसाइकल आ कर टक्कर मार दी | अचानक ठोकर लगने  से वह गिर पड़ी और उसे बहुत चोट  आई | साइकिल भी क्षतिग्रस्त हो गई | दर्द के मारे शिवानी की आंखों से आँसू निकाल आए |

मोटरसाइकल वाले  को अपनी गलती का एहसास था, इसलिए वो डर  के मारे वहाँ से भाग खड़ा हुआ | तभी एक नौजवान युवक उसी रास्ते  पर चला आ रहा था और शिवानी को ऐसी हालत में देख कर उसे दया आ गई और वह अपने मोटरसाइकल को रोक कर शिवानी को उठाया और उसे अपने मोटरसाइकल पर बैठा कर पास के सरकारी हॉस्पिटल ले जा कर महरम पट्टी कराया और फिर उसे घर तक छोड़ दिया |

उस युवक का व्यवहार और बातें शिवानी के दिल में उतर गई |  सुबह उठी तो जख्म में थोड़ी  पीड़ा हो रही थी | लेकिन इसके बावजूद सुबह -सुबह उस युवक के बारे में सोच कर उसके चेहरे पर एक मुस्कान बिखर गई | युवक शायद पास के गाँव में रहता है , लेकिन वो तो उसका नाम भी नहीं जानती है |

कहते है न कि अगर दिल से किसी को याद करो तो वो सामने हाजिर हो जाता है | ठीक वैसा ही हुआ और वो युवक शिवानी की  साइकिल लिए उसके सामने खड़ा था | अचानक उसे पा कर वो घबरा गई, क्योंकि घर में वह अकेली थी | माता – पिता घरेलू काम से बाज़ार गए हुए थे |

उस युवक ने शिवानी की ओर देखते हुए कहा –  कल की सहायता के लिए आपने मुझे धन्यवाद नहीं कहा |

शिवानी को अपने गलती का एहसास हुआ और जल्दी से बोली – आपका बहुत बहुत शुक्रिया | क्या आप चाय लेंगे ?

ज़रूर , इसीलिए तो अपने गाँव से  इतनी दूर चल कर आपकी साइकिल वापस करने आया हूँ | फिर वो युवक घर के बरामदे में पड़े कुर्सी पर बैठ गया और  चाय का इंतज़ार करने लगता है | थोड़ी देर में  शिवानी चाय लेकर आ गई |  चाय के साथ ही युवक ने अपना परिचय दिया | मेरा नाम शिवेंद्र है और मैं पास के गाँव औराइ में रहता हूँ |

दोनों बातें करते हुए चाय पी ही रहे थे तभी शिवानी के माता पिता  आ गए  | उन्हें इस तरह किसी अनजान युवक को अपने घर में देख कर अच्छा नहीं लगा | अकेली लड़की घर में हो और एक अनजान युवक घर में बैठ कर चाय पी रहा हो तो गाँव में काफी बदनामी हो सकती है |

उन्होंने कहा कुछ नहीं, लेकिन नाराजगी दिखाते हुये घर के अंदर प्रवेश कर गए | शिवानी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उस युवक को जल्दी से चलता किया |

फिर वो अपने पिता को कल की घटना और उस युवक के द्वारा की गई सहायता के बारे में बतलाया |

उस लड़के से शिवानी का मिलने जुलने का सिलसिला जारी रहा | कॉलेज जाने के रास्ते में दोनों की मुलाकातें हो जाती थी |

उस लड़के ने बताया कि वह दुबई में नौकरी करता है | उसकी बातों पर सिवानी को यकीन हो जाता है | और वह उस लड़के के प्यार में पड़ जाती हैं,| यह बात शिवानी के माँ – बाप को बहुत बुरी लगी क्योंकि उन्हें पता चला कि लड़का दूसरी जाति का है और वह क्या काम धंधा करता है किसी को ठीक से पता नहीं |

पर शिवानी तो शिवेंद्र के प्यार में पागल थी | जब उसने देखा कि माँ -बाप उसके शादी के लिए राज़ी नहीं होंगे तो शिवानी ने उन लोगों की इच्छा के विरुद्ध शिवेंद्र के साथ  मंदिर में जा कर शादी कर ली और फिर दोनों पति पत्नी की तरह अलग घर ले कर रहने लगे |

उसका दिल कहता था कि उसने  सही व्यक्ति पर भरोसा किया है और अपने  ज़िंदगी के  सही फैसले लिए है | वह बहुत खुश थी |  लेकिन दुर्भाग्य से, जिस व्यक्ति से उसने  रिश्ता बनाया था वह उसके  प्यार के काबिल नहीं था |

कुछ दिन एक साथ रहने के बाद उसने शिवानी को अपने साथ दुबई  ले गया | वहाँ कुछ दिन तो सब कुछ ठीक रहा, लेकिन एक दिन वह शाम के वक़्त शिवानी को लेकर एक फार्म हाउस पर पहुंचा | वहाँ कुछ लोग पहले से मौजूद थे और दारू का दौड़ चल रहा था | शिवेंद्र ने बताया कि ये सब उसके दोस्त है और नए साल के मौके पर पार्टी कर रहे है |

शिवानी को यह देख कर थोड़ा अटपटा तो लगा, फिर  उसने सोचा कि यह उसका गाँव थोड़े ही है, विदेश में इस तरह का पार्टी तो होता ही रहता है |

कुछ देर दारू का दौर चलने के बाद दोस्तों पर नशा हावी होने लगा और उन्होंने शिवेंद्र से  फरमाइश किया कि  उन लोगों को  शिवानी का नाच देखना है, नंगा नाच |

अब शिवानी  को समझ में आ गया कि उसने गलत आदमी पर भरोसा किया | लेकिन वह तो विदेश में फंस चुकी थी और अभी विरोध करने का अंजाम  भी उसे पता था | इसलिए कोई चारा न देख कर और शिवेंद्र के बहुत दबाब देने पर उसे उन लोगों की बातें माननी  पड़ी | (आगे की घटना पार्ट-2 नीचे लिंक मे)

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6 replies

  1. अच्छी कहानी।

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  2. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Do what you can, with what you have, where you are….
    ” ―Theodore Roosevelt.

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  3. कहानी का यह भाग अगले भाग को जानने की जिज्ञासा पैदा करता है।

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  1. जीवन एक संघर्ष है –3 – Retiredकलम

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