# हैप्पी फ्रेंडशिप डे #

आज सुबह मैं जब मॉर्निंग वाक से घर वापस आया तो मेरी नन्ही सी पोती (Granddaughter)  मेरे पास आकर बोली… दादा जी, Happy Friendship Day .  

मैंने ने उससे कहा… तुम्हे पता है कि Friendship day  क्या होता है | इतना कहना था कि वह हमारे पास बैठ गई और मुझसे कहा .. .तुम तो ब्लॉग लिखते हो …कहानी लिखते हो, तो फ्रेंड्शिप डे पर  ब्लॉग क्यों नहीं लिखते |

मुझे तब उस गुडिया की बात  माननी ही थी |  लेकिन सच पूछो तो उसकी बातें सुन कर मुझे अचानक बचपन के बहुत सारे दोस्तों की याद आने लगी |

वैसे तो दोस्तों के बिना ज़िंदगी अधूरी लगती है | दोस्त हमेशा दिल में रहते है , खास कर बचपन के दोस्तों की यादें कभी धुंधली  नहीं होती है |

हाँ, लिखने की बात आती है तो ऐसे बचपन की बहुत सारी घटनाएँ है जिसे आज के मौके पर मैं शेयर  करना चाहता हूँ |

दोस्तों, Friendship Day हर साल 30 जुलाई को मनाया जाता है | यह एक ऐसा मौका होता है कि व्यस्त ज़िंदगी से थोड़ा समय निकाल कर दोस्तों को याद कर लिया करते है | अब तो मैं बूढ़ा हो गया हूँ और बचपन के सारे दोस्त भी बूढ़े हो गए है , कुछ तो हमसे हमेशा के लिए विदा हो गए |

लेकिन आज कल  मेरी सबसे अच्छी दोस्त तो मेरी पोती (Granddaughter)है और उसके साथ रोज ही happy friendship day मनाता हूँ |  क्योंकि मेरा मानना है कि साल के एक दिन किसी को फूल देकर, या फोन कर  यह एहसास कराया जाता है कि मैं तुम्हारा दोस्त तुमसे बहुत प्यार करता हूँ |

मैं इस बात से बिलकुल सहमत नहीं हूँ | दोस्ती तो एक एहसास है जो बिना कुछ बोले भी अनुभव किया जाता है |

सच, बचपन का भी क्या ज़माना था | बचपन के अनुभव हमें आज भी याद आते है और दिल बरबस ही सोचता है कि क्यों हम बड़े हो गए ?

लेकिन ज़िन्दगी तो है एक समय की धारा | हम सब को इसमें बहते जाना है | लेकिन कभी कभी मुड कर हम बचपन में बिताये दोस्तों के संग कुछ हसीन लम्हों को याद कर, इस तनाव भरी ज़िन्दगी में  खुश हो लेते है | आइये फिर आज  बचपन के उन हसीन लम्हों को याद करते है …

तब हमारी उम्र करीब 9-10 साल की रही होगी | स्कूल में हमारी दोस्तों की एक चौकड़ी बन गयी थी,  जिसे लोग चंडाल – चौकड़ी भी कहते थे | क्योंकि, हमेशा कोई न कोई खुराफात दिमाग में चलता रहता था, इसलिए बदमाशी के कारण स्कूल के टीचर से लेकर घर वाले सभी लोग परेशान रहते थे |

हम दोस्तों में एकता इतनी कि अगर कोई क्लास से भाग कर फिल्म देखने चला जाता तो उसकी सहायता हम यूँ करते थे कि जब क्लास में उपस्थिति रजिस्टर में नाम पुकारा जाता तो उसके बदले हम मुँह से अलग तरह की आवाज़ निकाल कर कहते — उपस्थित सर  और उसकी हाजिरी लग जाती |

इस बार फिल्म देखने की मेरी बारी थी | उन  दिनों देवानंद की फिल्म “गाइड” लगी हुई थी | मैं देवानंद का फैन था | इसलिए मुझे वह फिल्म देखनी थी पर कैसे ?

सभी दोस्तों ने सलाह दिया कि मॉर्निंग शो देख सकते हो, क्लास में तुम्हारी हाजिरी (proxy) हम लगवा देंगे और घर वालों को पता नहीं चलेगा |

आइडिया सही थी | मैं अगले दिन किताब कॉपी लेकर क्लास में पहुँचा | मास्टर साहब के आने से पहले हमने  अपने किताब को दोस्त के हवाले कर सिनेमा हॉल में पहुँच गया |

इधर क्लास लगी  और मास्टर साहब ने उपस्थिति लेना (Attendance) शुरू किया | संयोग से मेरे नाम पुकारने पर एक नहीं दो – दो  दोस्तों ने एक साथ बोला – उपस्थित सर |

मास्टर जी सुनते ही उस ओर देखा जिधर से आवाज़ आयी थी |

उन्होंने पूछा – किसने उपस्थित बोला |  लेकिन डर से किसी ने ज़बाब नहीं दिया |

उन्होंने  मेरी खोज की तो मुझे क्लास में उपस्थित नहीं पाया | मैं रजिस्टर में अनुपस्थित हो गया |

मास्टर साहब हमारे चंडाल चौकड़ी को अच्छी तरह पहचानते थे |

मैं फिल्म देख कर करीब दो बजे स्कूल में वापस आ गया | अब एक क्लास और बचा था, और फिर छुट्टी |

लेकिन संयोग से वही टीचर फिर क्लास लेने आ गए | फिर attendance हुआ और मैं पकड़ा गया |

उन्होंने मुझे पास बुलाया और सुबह के क्लास से गायब होने का कारण पूछा | उनके हाथ में एक मजबूत छड़ी को देख कर मैंने  सच – सच बता दिया |

     उन दिनों बच्चों को फिल्म देखने की सख्त मनाही थी |

फिर क्या था — उनकी छड़ी और मेरा कोमल बदन | सभी दोस्तों के सामने अच्छी से मेरी धुनाई हो गयी |

एक तो “गाइड” फिल्म कुछ समझ में नहीं आया और दूसरे,  मैं क्लास में पकड़ा कैसे गया ?  यह भी समझ में नहीं आया |

और आगे क्या बताऊँ दोस्तों,  यह शिकायत मेरे घर पर भी चली गयी और फिर घर में भी मेरी अच्छी  कुटाई हुई |   मुझे तो बस यही लगा कि उस दिन तो मेरा जतरा ही खराब था | दोस्तों के कारण ही मेरी ऐसी हालत हो गई थी |

आज इस मौके पर दोस्तों को समर्पित एक कविता प्रस्तुत है , आशा है आपको  पसंद आएगी |

चलो दोस्तों आज फ़िर से मुस्कराते हैं

चलो दोस्तों आज फ़िर से मुस्कराते हैं

गमे ज़िंदगी को फिर जीना सिखाते हैं

हमारे लबों को हंसने की ज़रूरत  हैं,

चलो दोस्तों आज फिर से मुस्कराते हैं

रहता है नमी सदा हमारे आँखों में

आज उन नमी को आँखों से बहाते हैं

छोटे-छोटे आनंद के पल क्यों न ढूँढे

मन आँगन में खुशियों के फूल खिलाते हैं,

चलो दोस्तों आज फिर से मुस्कराते हैं


इस जिंदगी को दिल से जीना सिखाते हैं

गुजरे हुए बचपन की याद फिर दिलाते है

और फिर से बच्चा बन खिलखिलाते है

चलो दोस्तों आज फिर से मुसकुराते हैं

वो बरसात का पानी, वो पानी में छपकी    ,

बचपन वाला वो कागज की नाव चलाते हैं

गुजरे हुए बचपन को कुछ इस तरह बुलाते है

चलो दोस्तों आज फिर से मुस्कराते हैं

इस आँखों में कितने सपने सजाये थे

आज वो सभी बिखर गए तो क्या ,

आज उन  सपनों को दोबारा सजाते है

चलो दोस्तों आज फिर से मुस्कराते हैं

समय की आँधियाँ से अपनी बस्ती वीरान हुई

आज फिर से वही बीते हुये बचपन में जाते है

ज़िंदगी को ज़िंदगी की तरह जीना सिखाते है

चलो दोस्त आज फिर से मुसकुराते है |

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28 replies

  1. हमारा एक ही दोस्त था लेकिन हमलोग क्लास से गायब नही होते थे एक वाकया है जो मुझे कभी नहीं भूलता
    मेरा दोस्त मैथ में अच्छा नहीं था परीक्षा के दिनों में हमनें सेटिंग कर रखी थी (घटना उस समय की है जब हम ग्यारहवीं में पढ़ते थे)
    परीक्षा के दिनों में हमें टायलेट जाने की अनुमति तो थी लेकिन टायलेट में नहीं क्लास रूम के सामने कुछ ही दूरी पर अस्थायी टट्टर का टायलेट बनाया जाता था और हमें वहीं जाने की अनुमति थी अन्यत्र नहीं उस दिन मैथ की परीक्षा थी और मैंने प्रश्न पत्र पर ही कई सवाल हल करके पहला घंटा लगते ही टायलेट चला गया जैसा कि तय था वह अपने क्लास से घंटा लगते ही बाहर आया मैनें अपना प्रश्न पत्र खड़े खड़े टट्टर में खोंस दिया और बाहर आ गया उसके तुरंत बाद मेरा दोस्त टायलेट में घुसा और अपना प्रश्न पत्र वही खोंस कर मेरा प्रश्न पत्र जिसमें मैंने पूरा हल कर रखा था निकाल ले गया, मैं पुनः टायलेट में गया और उसका प्रश्न पत्र निकाल लाया. क्लास में आते ही मैनें उसके पेंसिल से लिखे रोल नंबर को मिटा कर अपना नंबर लिख दिया परीक्षा के बाद उसने बताया कि कोई गड़बड़ नहीं हुई खैर परीक्षा फल निकलने पर उसे 90/100 नंबर मिले जबकि मेरे 85/100 ही थे जिस दिन कापियाँ दिखाई गयी अध्यापक महोदय उसके नंबर देख कर चकरा गए क्योंकि वे जानते थे कि वह सभी प्रश्न नही कर सकता था बस फिर क्या था अध्यापक महोदय ने उससे ब्लैकबोर्ड पर उन्हीं प्रश्नों को हल करने को कहा अनंत: भाड़ा फूट गया उससे ज्यादा मेरी कुटाई हुई पापा को भी स्कूल में बुलाया गया खूब शिकायत हुई लेकिन मेरे पापा ने कुछ नहीं कहा सिर्फ समझाया जहाँ जरूरत हो वहीं मदद करो.आज पापा नहीं है दोस्त भी पता नहीं कहाँ है लेकिन यह घटना नहीं भूलती अब तो मैं भी रिटायर्ड हो गया हूँ लिखता कम ही हूँ पढ़ता ज्यादा हूँ. 🙏🙏

    Liked by 4 people

    • आपके संस्मरण पढ़ कर बहुत मज़ा आया। आप भी लिखना शुरू करें। ताकि हमलोग उसका मज़ा ले सकें।

      Liked by 1 person

  2. Good memories 👌👌

    Liked by 3 people

  3. Friends and celebration of friendship day give life to our LIVES. Brilliant composition with mentioned innocence of your granddaughter, Verma ji 💫

    Liked by 2 people

  4. मिर्जा ग़ालिब का शेर आज याद आता है… ऐ खुदा, मेरे दोस्तों को सलामत रखना…

    Liked by 2 people

  5. Que lindos🌺 Feliz Dia da Amizade 🧚‍♀️✨🦋

    Liked by 2 people

  6. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    Because of you, I laugh a little harder,
    cry a little less, and smile a lot more…
    HAPPY FRIENDSHIP DAY..

    Liked by 1 person

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