जिंदगी इम्तिहान लेती है -1

आज सुबह मॉर्निंग वॉक के बाद मन बहुत प्रसन्न था, क्योंकि आज बहुत दिनों के बाद एक पुराने साथी से मुलाक़ात हुई थी | मैं उन्हीं के बारे सोचते हुए  घर में घुसा और सामने टेबुल पर पड़े आज का अखबार उठाया ही था कि श्रीमती जी ने चाय का प्याला मेरी ओर बढ़ा दिया |

एक हाथ में चाय और दूसरी में अखबार लिए पास में पड़े कुर्सी पर बैठ गया | चाय से इलायची की खुशबू आ रही थी , जिससे चाय पीने की मेरी इच्छा  प्रबल हो उठी | मैंने  चाय का एक घूंट लिया और फिर अखबार पर सरासरी निगाह डाल रहा था | तभी एक खबर पर मेरी नज़र रुक गई | खबर पढ़ कर मैं चौक उठा  और  मेरी यादें 15 साल पहले की एक घटना  पर  ठहर गई | वह आज अचानक मेरे स्मृति पटल पर ताज़ा हो रही थी |

बात उन दिनों की है, जब मैं बांसद्रोणी इलाके में रहता था | मैं मेट्रो रेल से सफर कर अपने ऑफिस जाता था और वापस अपने बांद्रोणी के बैंक फ्लॅट में आता था | मैं अक्सर ऑफिस से लौटते  वक़्त मेट्रो स्टेशन के पास एक लोकल मार्केट है, वहाँ से घर के लिए कुछ समान और दूध  लेता हुआ वापस घर आता था | उस  लोकल मार्केट में 10-12 दुकाने थी | लेकिन वहाँ कुछ पेड़ पौधे लगे  हुये थे और बैठने और आराम  करने के लिए प्लैटफ़ार्म भी बना हुआ था और कुछ सीमेंट के बेंच भी थे |

मैं रोज एक बात नोटिस करता था कि करीब 7- 8 बजे रात के वक़्त जब बैंक से लौटते समय दूध लेने उस मार्केट में जाता था तो वहाँ  चार- पाँच  औरतें पेड़ के नीचे कम रोशनी में छुप – छुप कर  सिगरेट पीती रहती  थी |  मैं रोज यह सिलसिला देखता और सोचता था कि यह तो ऐसे सिगरेट पीती है जैसे बहुत पुरानी addict हो |

चार औरतें थीं तो अधेड़ उम्र की |  शायद  working Lady  थी | लेकिन उनमे एक तो बहुत कम उम्र की दिख रही थी | कपड़े और  पहनावे से वे अच्छे घर की मालूम पड़ती थी | मैं रोज़ उन लोगों को उसी  स्थान पर करीब 7-8 बजे शाम में सिगरेट पीते और आपस में हँसते- बोलते देखता था |

मैं भी कभी कभी पास ही बेंच पर बैठ कर  थोड़ा सुस्ता लेता था |

एक दिन मैंने हिम्मत कर उस लड़की से पूछ ही लिया —  तुम अभी इतनी छोटी हो और अभी से सिगरेट पीती हो, तुम्हारे घर वाले नाराज़ नहीं होते है ?

तभी उसमे से एक औरत बोल पड़ी,–  घर वाले होंगे तभी तो बोलेंगे |

क्या मतलब— तुम्हारे मम्मी पापा नहीं है ?

हैं अंकल , मम्मी अपनी है लेकिन बाप सौतेला है |

तो क्या हुआ, है तो parents ही |

जी अंकल, आप ऐसा कह सकते है , लेकिन मैं उनके साथ नहीं रहती हूँ |

ऐसा क्यों ?

यह एक बहुत लंबी कहानी है मैं फिर कभी बताऊँगी |

वो लड़की दिखने में स्मार्ट तो थी ही, उसकी बातों से लग रहा था कि वह पढ़ी लिखी भी है |

मैंने थोड़ा ज़ोर देकर कहा – मैं शायद तुम्हारी कोई मदद कर पाऊँ,  तुम अपनी कहानी मुझे बता सकती हो |

मुझसे बात करते करते वह भावूक हो गई | और उसने जो बातें बताई उसे सुन कर मेरे तो होश उड़ गए | मुझे उस लड़की पर दया आने लगी  |

उसका नाम मकाई बासु था | उसके बताया कि तब मैं  दस साल की थी | एक दिन पापा मम्मी में बहुत झगड़ा हुआ था और मम्मी ने गुस्से में आ कर  पापा को घर से निकाल दिया  | पापा प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे | वे चुप चाप  मम्मी को छोड़ कर कहीं चले गए और फिर अपना  ट्रान्सफर किसी दूसरे शहर में करा लिया था |

वे किस शहर में गए मुझे पता नहीं ? झगड़ा का कारण मुझे बाद  में समझ में आया | दरअसल मेरी मम्मी का किसी दूसरे पुरुष से affair चल रहा था जो पापा को पता चल गया था | पापा ने बहुत समझाने की कोशिश की , लेकिन मम्मी के सामने वे हार गए |

फिर कुछ दिनों के बाद मेरी मम्मी ने उसी पुरुष को अपने घर में रख लिया | मुझे वह बिलकुल अच्छा नहीं लगता था,  क्योंकि  वह कभी कभी शराब पीकर आता तो मुझे मारता भी था |  जिससे मैं सहमी – सहमी सी रहती थी |

आज से 6 साल पहले की बात है | मैं अपना 14 वां जन्मदिन मना  रही थी | मैं बहुत खुश थी , क्योंकि स्कूल की फ़ाइनल परीक्षा समाप्त हो चुकी थी और रिज़ल्ट निकलने के बाद  कॉलेज में जाने का इंतज़ार था | अपने जन्मदिन  को खूब खुशी खुशी मनाई |

लेकिन उसी रात मेरे सौतेले बाप ने शराब पी थी  और रात के अंधेरे में मेरे साथ वो सब  कुछ किया, जिसका मुझे सपने में भी अनुमान नहीं  था | मैं लूट चुकी थी, मेरा रेप हो चुका था |  मैं बहुत चिल्लाई, बहुत रोई , लेकिन मेरी चीख चारदीवारी में दब कर रह गई |

मेरी माँ ने भी ज्यादा विरोध नहीं किया | वो उस समय मुझे सिर्फ संतवना देती रही और मुझे ही  इस बात को किसी से न कहने की हिदायत देती रही | मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि  मैं अकेली लड़की किस किस से दुश्मनी मोल लूँ |  

मैं बस उदास और खामोश रहने लगी | मेरे सौतेले बाप का हवस जैसे शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था  | अब गाहे – बगाहे मेरा चीर हरण होते रहा और मैं यह सब कुछ खामोशी से सहती रही | बीतते समय के साथ मुझे मेरे बाप ने  drug addict बना दिया | मैं अब खुद से नशा करने लगी | कॉलेज जाने का सपना अधूरा रह गया | मुझे अपने ज़िंदगी से नफरत होने लगी | मैं अब जीना नहीं चाहती थी | मैं मेट्रो स्टेशन में कितनी ही बार जाकर ट्रेन के आगे छलांग लगाने की कोशिश की,  लेकिन हर बार मेरी हिम्मत जबाब दे जाती |

तभी एक दिन मुझे खबर मिली कि मेरा  असली बाप ने मुझे बुलावा भेजा है | मुझे उसके बारे में जान कर बहुत खुशी हुई | मुझे लगा कि अब मैं सौतेले बाप के चंगुल से आज़ाद हो जाऊँगी | (क्रमशः भाग-2 )

आगे की घटना हेतु  नीचे link पर click करे..

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…

If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments

Please follow the blog on social media … visit my website to click below.

        www.retiredkalam.com



Categories: story

5 replies

  1. अच्छी कहानी।

    Liked by 1 person

  2. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    The more positive thinking you do,
    the more positive energy you will receive.
    The same goes for negative thoughts.
    You must choose them wisely.

    Like

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s

%d bloggers like this: