इज्जते, शोहरतें , उलफतें ,चाहते
सब कुछ,इस दुनिया मे रहता नहीं ,
आज मैं हूँ जहां , कल कोई और था
यह भी एक दौड़ है , वह भी एक दौड़ था |

ज़िन्दगी क्या है यह जानने के लिए जिंदा रहना जरूरी है। चाहे ज़िन्दगी में कितनी ही रुकावटें आए, तकलीफ़ें आए उसका डट कर मुकाबला करना चाहिए। हमें अपनी ज़िन्दगी से प्यार करना चाहिये।
लेकिन कभी – कभी ऐसा लगता है कि ज़िन्दगी की रफ्तार हमारी सोच से अधिक तेज होती जा रही है, तब दिल के एक कोने से आवाज़ उठती है, जिसे शब्दों का रूप देता मेरी यह कविता प्रस्तुत है…

हाय ये ज़िन्दगी
धुआँ – धुआँ, हर तरफ धुआँ है,
धुएं के साए में लिपटी ये ज़िन्दगी
घुट- घुट कर सरकती जा रही है ..
साँसों में घुटन, दिल मे बेचैनी है
धीरे- धीरे तू सिमटती जा रही है..
सब कुछ पाने की चाह में,
धीरे- धीरे तू लुटती जा रही है ।
फिर भी इंसान की अजीब चाहत है ..
अपने दुखों को बेच देना, ,
और सारे सुखों को खरीद लेना,
बस, इसी जद्दोजहद में ”…
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Wah wah wah!!
Acha laga padke
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Scary photo!
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Ha ha ha …Yes dear,
Sometimes life looks like that.
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“We should love our life”- excellent advice!
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Thank you so much.
Stay connected, Stay happy.
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