
ज़िन्दगी क्या है यह जानने के लिए जिंदा रहना जरूरी है। चाहे ज़िन्दगी में कितनी ही रुकावटें आए, तकलीफ़ें आए उसका डट कर मुकाबला करना चाहिए। हमें अपनी ज़िन्दगी से प्यार करना चाहिये।
लेकिन कभी – कभी ऐसा लगता है कि ज़िन्दगी की रफ्तार हमारी सोच से अधिक तेज होती जा रही है, तब दिल के एक कोने से आवाज़ उठती है, जिसे शब्दों का रूप देता मेरी यह कविता प्रस्तुत है…

हाय ये ज़िन्दगी
धुआँ – धुआँ, हर तरफ धुआँ है,
धुएं के साए में लिपटी ये ज़िन्दगी
घुट- घुट कर सरकती जा रही है ..
साँसों में घुटन, दिल मे बेचैनी है
धीरे- धीरे तू सिमटती जा रही है..
सब कुछ पाने की चाह में,
धीरे- धीरे तू लुटती जा रही है ।
फिर भी इंसान की अजीब चाहत है ..
अपने दुखों को बेच देना, ,
और सारे सुखों को खरीद लेना,
बस, इसी जद्दोजहद में ” ऐ ज़िन्दगी”
तू यूँ ही फिसलती जा रही है..
( विजय वर्मा )
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BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
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Categories: kavita
बहुत ही सुंदर लिखा है एक प्रेरणा
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बहुत बहुत धन्यवाद | आप मेरे दूसरे ब्लॉग भी पढ़ें |
मुझे खुशी होती है |
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पढ़ती हु मै
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हमें अपने विचारों से अवगत कराते रहें ।
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शानदार कविता ।।
मजा आ गया पढ़के।
अदभुत।।।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
मैं कविता भी लिख सकता हूँ — हा हा हा |
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आप बहुत कुछ कर सकते है सर।।
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आपलोगों के हौसलाअफजाई से कुछ कर पा रहा हूँ।आप सब का बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
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Very nice, Verma ji.
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Thank you so much Sir.
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सुन्दर कविता।
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Nice lines on LIFE
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Thank you so much dear.
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You are more than welcome ☺
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Stay connected, Stay blessed.
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Bahut sundar kavita. Jindegj hai jine ke liye. Inspiring poem.
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Thank you so much, dear.
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Thank you so much dear.
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इज्जते, शोहरतें , उलफतें ,चाहते
सब कुछ,इस दुनिया मे रहता नहीं ,
आज मैं हूँ जहां , कल कोई और था
यह भी एक दौड़ है , वह भी एक दौड़ था |
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