
लोग कहते है कि हमारा व्यक्तित्व वैसा ही होता है जैसी हमारी भावना होती है | ये भावना ही है जो हमारा बात – व्यवहार निश्चित करती है | सच तो यह है कि भावनाओं के बिना ज़िंदगी ही अधूरी है | इसलिए हमको अपनी भावना पर विशेष ध्यान रखना होता है |
हमारे जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना के पीछे हमारी भावना ही होती है जो हमसे मनचाहे निर्णय करवाती है और फिर उसके ही अनुरूप परिणाम भी प्राप्त होते हैं।
अपनी भावनाओं को शब्दों की माला में पिरोने का प्रयास है मेरी यह कविता , मुझे आशा है आप इसे पसंद करेंगे …

चलो दोस्तों आज फ़िर से मुस्कराते हैं
गमे ज़िंदगी को फिर जीना सिखाते हैं
हमारे लबों को हंसने की ज़रूरत हैं,
चलो दोस्तों आज फिर से मुस्कराते हैं
रहता है नमी सदा हमारे आँखों में
आज उन नमी को आँखों से बहाते हैं
छोटे – छोटे आनंद के पल क्यों न ढूँढे
मन आँगन में खुशियों के फूल खिलाते हैं,
चलो दोस्तों , आज फिर से मुस्कराते हैं
इस जिंदगी को दिल से जीना सिखाते हैं
गुजरे हुए बचपन की याद फिर दिलाते है
और फिर से बच्चा बन खिलखिलाते है
चलो दोस्तों आज फिर से मुसकुराते हैं
वो बरसात का पानी, वो पानी में छपकी
बचपन वाला वो कागज की नाव चलाते हैं
गुजरे हुए बचपन को कुछ इस तरह बुलाते है
चलो दोस्तों, आज फिर से मुस्कराते हैं
इस आँखों में कितने सपने सजाये थे
आज वो सभी बिखर गए तो क्या ,
आज उन सपनों को दोबारा सजाते है
चलो दोस्तों, आज फिर से मुस्कराते हैं
समय की आँधियाँ से अपनी बस्ती वीरान हुई
आज फिर से वही बीते हुये बचपन में जाते है
ज़िंदगी को ज़िंदगी की तरह जीना सिखाते है
चलो दोस्त, आज फिर से मुसकुराते है |
( विजय वर्मा )

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Categories: kavita
अच्छी कविता।
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर /
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Never wait for perfect moment.
Just take a moment and make it perfect.
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Achhi kavita.
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Thank you so much dear.
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