
मुझे एक सप्ताह पहले अपने गृह स्थान “पटना” जाने का मौका मिला | कोरोना के कारण काफी दिनो के बाद हम लोग वहाँ जा रहे थे | मैं अपनी पत्नी के साथ कोलकाता से रात की ट्रेन से जाने का निश्चय किया |
हमलोग निर्धारित समय पर स्टेशन पहुँच गए | तभी ट्रेन मे पता चला कि “बेड – रोल” की सुविधा अभी बंद है | मुझे AC कोच मे ठंड से थोड़ी परेशानी ज़रूर हुई लेकिन किसी तरह अगली सुबह पटना पहुँच गया | दो दिनो के बाद ही हमारे नए फ्लैट का गृह – प्रवेश था , इसलिए दो दिन काफी व्यस्तता मे निकल गई |
अंततः सभी कार्यक्रम निर्धारित समय और अच्छी तरह सम्पन्न हो गया | जब भी कोई शुभ काम सम्पन्न करता हूँ तो गंगा जी ज़रूर जाता हूँ | प्रभु के प्रति मेरी आस्था है और धन्यवाद प्रदर्शित करने हेतु जाता हूँ |

मुझे तीसरे दिन रात की ट्रेन से वापस कोलकाता आना था | इसलिए मैं दूसरे दिन शाम को गंगा जी जाने का प्रोग्राम बना लिया | हमारे घर से करीब एक किलोमीटर की दूरी पर ही गंगा नदी बहती है |

मुझे गंगा के तट पर घूमना बहुत पसंद है । यह मन, शरीर और आत्मा के लिए अच्छा है | यहाँ मुझे बहुत शांति की अनुभूति होती है | गंगा किनारे रेत पर चलना मेरे पैरों में ताजगी का अनुभव कराता है ।
वह एक अच्छी शाम थी – न बहुत गर्म, न बहुत ठंडी | मुझे शाम में वहाँ टहलते हुए ठंडी हवा का एक स्पर्श बहुत आनंदित कर रहा था |
आसमान में आंशिक रूप से बादल छाए हुए थे और भूरे रंग के बिखरे हुए बादल के धब्बे थे, जो सूर्यास्त का बहुत सुंदर दृश्य प्रस्तुत कर रहा था |

मैं आसमानी नीले रंग के बादलों के नीचे टहल रहा था तभी मैंने देखा कुछ बच्चे गंगा नदी में मजे कर रहे है | मैं उन्हे बड़े ध्यान से देख रहा था और आनंदित हो रहा था | मुझे अपना बचपन का वो दिन याद आ गया जब हम भी गंगा जी आते थे और दोस्तों के साथ खूब मजे करते थे |

तभी अचानक वहाँ शंभू दिख गया | मैं उसे घूर रहा था और पहचानने की कोशिश कर रहा था कि वह वही शंभू है या कोई और | वह हमारा लंगोटिया यार था | आज वर्षों बाद अचानक वह मिल गया था | इसे संयोग ही कहा जा सकता है | अचानक कोई पुराना मित्र मिल जाये जो खुशी दुगनी हो जाती है |
फिर क्या था , मैं भी उनके साथ गंगा जल में कुछ आनंद के पल बिताने का मन बना लिया और फिर गंगा जी में कूद पड़ा |
मुझे गर्मी के मौसम में पानी के अंदर बहुत सुकून का अनुभव हो रहा था और साथ ही साथ मेरे बचपन के दिनों की यादें ताज़ा हो गई |

तभी अचानक गड़गड़ाहट की आवाज़ के साथ एक नाव आता हुआ दिखाई दिया | गंगा जी में चलता हुआ नाव और डूबता हुआ सूरज का जो मनोरम दृश्य था उसे मैं अपने कैमरा में कैद कर लेना चाहता था | मैंने उसे क्लिक कर लिया | वह शाम मेरे लिए खास थी | पुराना मित्र से मुलाक़ात और गंगा किनारे की शाम , सचमुच मज़ा आ गया |

तभी मेरी नज़र गोल-गप्पे वाले पर पड़ी | मैं उसे आवाज़ देकर पास बुला लिया | हम दोनों दोस्त गोल-गप्पे खाते हुये अपने बचपन को फिर से जीने की कोशिश कर रहे थे | कभी हम सभी दोस्त हाफ पैंट पहन कर यहाँ आते थे और घंटों मजे करते थे | कहाँ गए वो बचपन के दिन ?
शाम ढले आसमान के तले
मैं आँखे मूंद कर बैठा हूँ
फुर्सत के इन लम्हों में
बचपन को ढूढने बैठा हूँ |
गम भी बहुत, तनहाइयाँ भी है
वक़्त की दी हुई. परेशानियाँ भी है
भींगी पलकें, ठहरे आँसू
सबको भुलाने बैठा हूँ
फुर्सत के कुछ लम्हों में
बचपन को ढूढने बैठा हूँ |
यादें हैं कि रूकती ही नहीं
वादे सब तो धोखा है
चुपके – चुपके ख्वाबों में
आने से किसने रोका है | ..
सब कुछ है पर तुम तो नहीं
मैं तुम्हे भुलाने बैठा हूँ ..
फुर्सत के इन लम्हों में
बचपन को ढूँढने बैठा हूँ |
(विजय वर्मा)
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गृहप्रवेश के समारोह की शुभकामनाएं। 👌👍🎊🎉
नये घर में भगवान आपके परिवार को सदा के लिए सुख, शांति, समृद्धि और अच्छी सेहत से आशीर्वाद करें। 🙏
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
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बहुत अच्छा गंगा तट का वर्णन साथ मे अच्छी कविता भी।
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Very good narration about bank of river Ganga. Meeting with old friend after a long time also Gripravesh ceremony.
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Thank you so much dear, for your beautiful comments.
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Congratulations and best wishes for new house!
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Thank you so much Sir.
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You narrated your feeling of short stay at Patna very nicely & it is worth reading. Anyway, you did not stole time to meet me at Patna.I am long waiting to see you in person & have enjoyable conversation with you.
Yours Friend
Shailendra
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Thank you dear for appreciating my write up.
Due to some unavoidable circumstances I could not meet you at that time.
I am very sorry for that but promise to see visit there very soon.
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Never wait for perfect moments, Just take a moment
and make it perfect.
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