
किसी ने क्या खूब कहा है …
जेब खाली हो फिर भी मना करते नहीं देखा
सच, मैंने पापा से अमीर इंसान नहीं देखा
आज फादर्स डे है , हम में से ज़्यादातर लोग अपने पापा के साथ सेलफ़ी लेकर सोशल मीडिया पर डाल रहे है और लिख रहें है – I Love you papa,
लेकिन हकीकत में देखा जाये तो आज कितने बच्चे ऐसे है जो अपने पिता से कई दिनों, कई महीनों, से बात नहीं की होगी | अपने पिता के पास बैठने के लिए, उनसे बात करने के लिए समय ही नहीं है, ज़िंदगी की रफ्तार जो तेज़ है |
लोग अपने पिता की भावनाओं को नहीं समझते है | कितनों ने तो अपने पापा को अनाथालय में रख छोड़ा है | अपने पापा की सेवा करने के लिए उनके पास समय ही नहीं बचता है | कितनों के बच्चे आज विदेश में नौकरी करते है और वहाँ ऐश की ज़िंदगी जी रहे है और उनके पिता यहाँ अकेले तन्हा ज़िंदगी जी रहे है |
कितनों ने तो अपने पिता से बातचीत ही बंद कर रखी है | कहते है Generation Gap है | जी हैं, यह आज के जमाने की कटु सच्चाई है |

मुझे बहुत दुख हुआ जब मेरे एक युवा मित्र ने कहा – अंकल , आज फादर्स डे है आप इस पर एक ब्लॉग लिखिए | मेरे पिता मुझे याद आ गए | मुझे मेरे पिता का साथ बहुत थोड़े दिनों के लिए मिला, लेकिन बाप के दर्द का मुझे एहसास है, क्योंकि मैं भी तो एक बाप हूँ |
एक बाप ने अपने बच्चे की परवरिश बड़े लाड प्यार से किया | उसे एक अच्छा इन्सान बनाया | माँ – बाप के आशीर्वाद से उसे एक अच्छी नौकरी मिली | बेटे ने ज़िन्दगी में अपना एक मुकाम बनाया |
तब वो पिता कुछ इत्मीनान होता है कि उसने अपने कर्त्तव्य को ठीक ढंग से निभाया है | अब उसका शरीर बुढा भी हो चला तो क्या हुआ | परन्तु उस पिता ने एक गलती कर दी, वो उस बेटे से कुछ उम्मीदें लगा बैठा ….??
इस संदर्भ में एक छोटी पर मार्मिक कहानी सुनाना चाहता हूँ |
वैसे तो माँ की ममता पर बहुत कुछ लिखा गया है लेकिन पिता के बारे में लिखने वाले बहुत थोड़े है |
मोहन इंजीनीरींग की तैयारी कर रहा था | उसके पिता हमेशा कहा करते – बेटे, पढ़ाई पर ध्यान दो, खूब मेहनत करो और एक बड़ा इंजीनियर बनो | एक अच्छा इंसान बनो |
लेकिन मोहन को तो शौक – मौज की इच्छा होती थी |
मोहन को तो एक ही ज़िद थी की उसे Bike चाहिए | उसके सभी दोस्त कॉलेज Bike से आते है और उसे पैदल जाना पड़ता है | इसलिए उसे भी Bike चाहिए | वो हमेशा अपने पिता से इस बात पर बहस कर लेता | पिता जबाब में सिर्फ इतना कहते — अभी मुश्किल से घर चला पा रहा हूँ, मेरे हाथ अभी खाली है |

एक दिन तो हद हो गई | कॉलेज से आते ही मोहन ने Bike के लिए पिता से बहस कर ली | पिता ऑफिस के काम को लेकर परेशान थे, इसलिए गुस्से में उन्होंने मोहन को डांट दिया | फिर क्या था, मोहन का गुस्सा सातवें आसपान पर आ गया | आज कल बच्चों को छोटी छोटी बात पर भी गुस्सा आ जाता है | उसने मन ही मन गुस्से में घर छोडने का फैसला कर लिया | उसका संगत भी कुछ गलत दोस्तों के साथ हो गया था |
संयोग से उसके माता पिता कुछ काम से मार्केट गए हुये थे | मोहन घर में अकेला था और नाराज़ तो था ही |
उसने तुरंत फैसला किया कि अभी घर छोड़ देते है | तभी उसकी निगाह पिता के पर्स पर पड़ी | फिर क्या था, उसने सोचा अब तो पैसे का भी इंतजाम हो गया | उसने पर्स को अपने ज़ेब में डाला और बिना सोचे समझे वह घर से निकल पड़ता है | जल्दीबाजी में अपने पिता के जूते पहन लिया | वह मन ही मन बोल रहा था, मेरे पिता मुझसे प्यार नहीं करते है, मेरी एक भी इच्छा पूरी नहीं करते है |
पिता के जूते फटे थे इसलिए कुछ दूर ही जाने के बाद ही उसके पैर में काँटा चुभ गया | उससे खून बहने लगा | मोहन एक पेड़ के नीचे बैठ गया | जख्म में असहाय पीड़ा हो रही थी | उसे महसूस हुआ कि अब किसी डॉक्टर को दिखा कर मरहम पट्टी करवानी होगी | उसके लिए पैसों की ज़रूरत होगी | तभी पिता की पर्स की याद आ गई | उसने सोचा पर्स मोटी है, काफी पैसे होंगे | और उसने तुरंत ज़ेब से पर्स निकाला |

उसने खोला तो चौक गया, क्योंकि पर्स में सिर्फ एक सौ का नोट था और बाकी बहुत सारी छोटी – छोटी पर्चियाँ थी | उसे गुस्सा आ रहा था अपने पिता पर और सोच रहा था कि क्या पापा सचमुच इतने गरीब है या वे कंजूस है ? पर्स में सिर्फ एक सौ रुपया रखते है |
उसने जिज्ञासा वश उन पर्चियों को खोल कर देखने लगा कि वह क्या है ? तभी एक पर्ची पर नज़र पड़ी – लैपटाप वाले को 40,000 देना है | यह वो लैपटाप था जिसको पिता ने पिछले साल उसके ज़िद करने पर खरीद कर दिया था | जिसका उधारी अभी चुकाया नहीं गया था | दूसरी पर्ची खोला तो देखा किताब के बिल पर लिखा था –, उधारी | पर्स की बाकी सभी पर्ची भी राशन, बिजली बिल जैसी ज़िम्मेदारी की थी |
अब मोहन को एहसास होने लगा कि उसके पिता कितनी मुश्किल से घर चलाते है | पिता के प्रति उसका गुस्सा अचानक शांत होने लगा | तभी पर्स से उसे एक कागज़ का टुकड़ा मिला , जो एक कंपनी की विज्ञापन थी | जिसमे लिखा था — पुरानी स्कूटर बेच कर नई Bike ले जाएँ |
अब मोहन को समझ आ गया कि उसके पापा आज बाहर क्यों गए है ? वे ज़रूर अपनी स्कूटर बेचने उस दुकान पर चले गए है | वही स्कूटर जिससे पापा उसे कॉलेज छोड़ दिया करते थे| उनके ऑफिस जाने का सहारा था । बहुत सारी पुरानी यादें जुड़ी है उससे | वो मेरे जनांदिन पर ही तो खरीदा गया था | उसे वह पापा का झुंझलाना समझ में आ रहा था, उनके अंदर की पीड़ा को वह महसूस कर रहा था |

यह सब सोच कर मोहन की आँखों से आँसू बहने लगे | वह उस पर्ची को हाथ में लिए वापस घर की ओर दौड़ चला | बेतहासा भाग रहा था | वह अपने पैर के जख्म का दर्द भूल चुका था | वह जल्द से जल्द घर पहुँचना चाहता था |
अंतत वह घर पहुंचा, लेकिन वहाँ माता – पिता कोई नहीं थे | तभी मोहन के दिमाग में विचार आया कि पिता अब तक उसी स्कूटर वाले के दुकान पर ही होंगे | उसने अपने पास वाले पर्ची पर पता देख कर उस दुकान की ओर चल पड़ा | थोड़ी ही देर में वह वहाँ पहुँच गया और देखा कि पापा अपनी स्कूटर दुकानदार को दे रहे है |
उसने तुरंत अपने पिता के पैर पकड़ लिए और कहा – मुझे माफ कर दीजिये पिता जी, अंजाने में मुझसे बड़ी भूल हो गई है | मैं आपका पर्स भी चोरी कर लिया था और घर से निकल गया था | लेकिन पर्स में रखी आपकी पर्चियों ने मेरी आँखें खोल दी | मुझे अब Bike नहीं चाहिए | आप अपनी स्कूटर मत बेचिए | आपका इस स्कूटर से बहुत सारी यादें जुड़ी है | मैं अब मन लगा कर पढ़ूँगा और बड़ा इंजीनियर बन कर आपके सपनों को साकार कर के दिखाऊँगा |

यह कहानी बताती है कि मेरे लिए इस दुनिया में सबसे अमीर इंसान कौन है ?
ज़िन्दगी में कभी भी आप को समस्या आए तो आप अपने पापा को ज़रूर याद करना | हम हमारी ज़िन्दगी में कई बार उन्हें याद करना भूल जाते है, जिन्होंने पूरी ज़िन्दगी हमारे लिए हर पल हर बाधा को पार कर हमारी इच्छाओं को पूरी करते है |
चाहे क्रिकेट बैट दिलाने की बात हो , चाहे trip पर ले जाना हो | पिता वो होता है जो अपने बच्चो के लिए ज़िन्दगी में अपने समर्थ से ज्यादा करने की कोशिश करते है |
आप उन्हें हमेशा याद रखे, क्योंकि वो मदद के लिए हमेशा तैयार रहते है | और मदद करने की स्थिति में ना भी हो तो अपने अनुभव से कोई ना कोई सलाह ज़रूर देगें जो आप के काम आएगी | जिससे आप वो काम करने में सफलता पा सकते है |
ज़िन्दगी में अपने पिता को कभी ना भूलें उनको due respect और प्यार दें,, उनको कभी भी हर्ट नहीं करे |
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Apka blog kafi acha laga sir…..
Especially yeh story
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर। मैं तो तुम्हारे निर्देश का पालन किया।,😊😊
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I hope you had a great Father’s Day!
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Yes dear..
Thanks for sharing your feelings.
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
If you feel pain ,you are alive…
If you feel other’s pain ,
You are a human being.
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