मेरी ज़िंदगी मे एक ऐसा शक्स भी है , जो मेरी पूरी ज़िंदगी है,
और मैं उसका एक लम्हा भी नहीं |

हर किसी का अपना -आत्म सम्मान होता है,, लेकिन जाने -अनजाने औरों के द्वारा उसे ठेस पहुँचाया जाता है | ऐसे में वह खामोश रहना ही उचित समझता है | वह अपने अन्दर उठती भावनाओं को लिख कर शांत करना चाहता है |
लेकिन कलम कभी कभी इज़ाज़त नहीं देती है | वह इंसान अपने अन्दर चल रहे अंतर्द्वंद में फँसा रहता है | लेकिन उसकी ख़ामोशी ही सब कुछ बयां कर देती है |

आज मेरी कविता एक छंद है
क्योंकि ,
कलम और मेरे बीच एक द्वंद है
लिखने को तो बहुत सारी बातें है
लेकिन
मेरी भावनाओं पर प्रतिबन्ध है |
सोचता हूँ खामोश ही रहूँ
अपनी बातें किसी से न कहूँ
क्योंकि
लोग सुन कर तो हंसेगे ही
अच्छा है उन्हें मैं खुद ही सहूँ |
आज है जो कल खत्म हो जाएगा
बाकी सिर्फ कहानी रह जाएगा ..
फिर नए लोग नए विचार आयेंगे
ज़िन्दगी…
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Sir, your words are so alive and straight sink in heart. So glad to read your writings. Regards
William
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What a beautiful compliment . Thanks for sharing your feelings .
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❤❤❤❤❤❤
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Thank you so much dear.
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बहुत ही बढ़िया
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
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