ख़ामोशी का सच

मेरी ज़िंदगी मे एक ऐसा शक्स भी है , जो मेरी पूरी ज़िंदगी है,
और मैं उसका एक लम्हा भी नहीं |

Retiredकलम

हर किसी का अपना -आत्म सम्मान होता है,, लेकिन जाने -अनजाने औरों के द्वारा उसे ठेस पहुँचाया जाता है | ऐसे में वह खामोश रहना ही उचित समझता है | वह अपने अन्दर उठती भावनाओं को लिख कर शांत करना चाहता है |

लेकिन कलम कभी कभी इज़ाज़त नहीं देती है | वह इंसान अपने अन्दर चल रहे अंतर्द्वंद में फँसा रहता है | लेकिन उसकी ख़ामोशी ही सब कुछ बयां कर देती है |

आज मेरी कविता एक छंद है

क्योंकि ,

कलम और मेरे बीच एक द्वंद है

लिखने को तो बहुत सारी बातें है

लेकिन

मेरी भावनाओं पर प्रतिबन्ध है |

सोचता हूँ खामोश ही रहूँ

अपनी बातें किसी से न कहूँ

क्योंकि

लोग सुन कर तो हंसेगे ही

अच्छा है उन्हें मैं खुद ही सहूँ |

आज है जो कल खत्म हो जाएगा

बाकी सिर्फ कहानी रह जाएगा ..

फिर नए लोग नए विचार आयेंगे

ज़िन्दगी…

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Categories: Uncategorized

6 replies

  1. Sir, your words are so alive and straight sink in heart. So glad to read your writings. Regards
    William

    Liked by 2 people

  2. बहुत ही बढ़िया

    Liked by 1 person

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