words can inspire, thought can provoke , but
only action truly brings you closer to your dreams.

हम इंसान अपने ज़िंदगी में किसी किसी बात पर पछतावा करते रहते है | जब हमें अनुकूल मुकाम हासिल नहीं होता तो हमे पछतावा होने लगता है |
हमें एक अच्छी नौकरी मिल रही थी लेकिन हमें अपने माता पिता से इतना लगाव था कि हम उनको अकेला छोड़कर दूसरे शहर नहीं जा सकते थे | बाद में माता – पिता भी नहीं रहे और नौकरी भी खो दी , तब पछतावा होना स्वाभाविक है |
हम माता – पिता का मन देखकर उनकी पसंद की लड़की से शादी तक कर लेते है | और हमें जीवन भर पछतावा होता है कि हमने अपनी पसंद की लड़की से शादी क्यों नहीं की ?
लेकिन पछतावा करने से अब क्या हासिल ? जब भी विपरीत परिस्थिति का सामना हो तो उसे ऊपर वाले की नियति समझ कर ग्रहण करना ही श्रेष्ठ होगा | अपनी तुलना किसी और से न करें और…
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सही बात है sir😊
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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