
आप किसी से प्रेम करते है और आप उसे प्रपोज करने की सोच रहे है , तभी आपको महसूस होता है कि वह आपके लिए ऐसी ही फीलिंग्स नहीं रखता है | जब आपको पॉजिटिव रिस्पॉन्स नहीं मिलता है, तो प्यार जैसे इमोशन का नफरत में बदलना लाजमी है।
इसमें आपका उदास होना व उसके इनकार करने की वजह ना समझ पाना जैसी सिचुएशन आ जाती है।
ऐसी स्थिति में मन में तरह-तरह के विचार उठते रहते है | उन्हीं भावनाओं में विचरण करता यह कविता प्रस्तुत है |

खुदगर्ज इंसान
कितना खुदगर्ज हो गया है
वो मेरी बात भी नहीं करता
वादे भूल गया अब सारे
वो मुलाकात भी नहीं करता
नाराज़ हो गया है मुझसे शायद
वो कोई शिकायत भी नहीं करता
मैं ज़बाब क्या दूँ उसे ,
वो कोई सवाल ही नहीं करता….

पहले की ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments
Please follow the blog on social media … visit my website to click below.
Categories: kavita
Good one👌👌
LikeLiked by 1 person
Thank you so much Sir,
LikeLiked by 1 person
अच्छी कविता।
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
LikeLike
Achhi kavita. Prem me maan chanchal ho jaata hai. Kya kahna samajh bahar ho jaata hai.
LikeLiked by 1 person
ha ha ha …well said dear ..
man chanchal ho jaata hai .
LikeLike
Reblogged this on Retiredकलम and commented:
तीर चुभने से भी ज्यादा दर्द होता है, जब कोई सबसे करीबी इंसान
चुभती बात कह देता है /
LikeLike