
अकेलापन एक ऐसी भावना है जिसमें लोग एक खालीपन और एकान्त का अनुभव करते हैं।
इससे पीड़ित व्यक्ति अपने को खाली, अवांछित और महत्वहीन महसूस करता है | उसे लोगों से मजबूत पारस्परिक संबंध बनाने में कठिनाई होती है, क्योंकि अकेलापन का कारण तो वही लोग बनते है ।
अगर हम अपने आप को अकेला महसूस करेंगे तो अकेलापन हम पर हावी हो सकता है । और फिर मन में तरह तरह के नकारात्मक विचार आने लगेंगे |
इसलिए ज़रूरी है कि हम अपने आप को समय दें और अपने अंदर में वो चीज खोजें जिससे हमे खुशी महसूस हो |
अपनी भावनाओं को लिख कर भी अकेलापन से निजात पाने की कोशिश करनी चाहिए |

अकेलापन अजनबी नहीं है
अकेलापन मेरे लिए अजनबी नहीं है, दोस्तों
रोज तारों की नुमाइश में शामिल होता हूँ |
अब तो दुखों से भी दोस्ती कर ली है मैंने
क्योंकि चाँद अब खुद तन्हाई में रहता है |
नुक्सान भी मेरे लिए अजनबी नहीं है दोस्तों
प्यार में नफा- नुकसान तो लगा ही रहता है |
शर्म न करने की अब आज़ादी पा ली है मैंने
लोगों के तानों से, दिल बेखबर ही रहता है |
मन की पीड़ा भी अब विचलित नहीं करता है,
लोगों के दिए ज़ख्म, तो टीसता ही रहता है |
पूछते हैं लोग, ज़िन्दगी में कुछ पछतावा है ?
आँखे बोलती है पर जुबां खामोश ही रहता है |
( विजय वर्मा )

BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
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Categories: kavita
बहुत सुंदर, अच्छी लिखी हे सर जी
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
कुछ शब्द छलक जाते हैं।
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Nice poem
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thank you dear.
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Bahut Badhia Kavita.
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Problems are like washing machines.
They twist, they spin and knock us around.
But in the end we come out cleaner , brighter
and better than before . Stay positive …Stay happy..
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