Good evening friends

दोस्तों,
आज मुझे अपने बचपन के दिनों का वाकया याद आ रहा है | तब मैं स्कूल में पढ़ता था | दोपहर में स्कूल से आने के बाद खाना खा कर सो जाया करता था | शाम के समय मुझे घर से बाहर खेलने की इजाजत मिलती थी | उन दिनों मेरा एक दोस्त था जो उम्र में मुझसे बहुत बड़ा था | यूं कहें कि वह कॉलेज में पढ़ता था |
वह शाम में अपने पिता की किताब की दुकान संभालता था | उस किताब वाले से मुझे ख़ासी दोस्ती हो गई थी | मेरा ज़्यादातर शाम उसी के दुकान में बिता करता था | वह मुझे रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करता था | कर्ण के बारे में इतना सुंदर वर्णन करता था कि मैं मंत्र-मुग्ध होकर सुनता था |
हमे लगता था कि उसे बहुत ज्ञान है | उससे हर विषय पर बात करने में बड़ा…
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Wah sir wah!!
Bhut hi achi shiksha thi is vakya me 🙂
muje apki drawing dekh k bhi bada acha laga
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सही कहा आपने |
यह एक शिक्षा देने वाली संस्मरण है |
अपनी भावनाएं प्रकट करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
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कर्म और भाग्य का संस्मरण आपका रोचक एवं शिक्षाविद है ।
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Have a great weekend.
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Thank you so much dear.
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Hmm
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yes dear,
we should do our karma, our fate will follow.
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Thank you so much dear.
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