# कर्म बड़ा या भाग्य ?

Good evening friends

Retiredकलम

दोस्तों,

आज मुझे अपने बचपन के दिनों का वाकया याद आ रहा है | तब मैं स्कूल में पढ़ता था | दोपहर में स्कूल से आने के बाद खाना खा कर सो जाया करता था | शाम के समय मुझे घर से बाहर खेलने की इजाजत मिलती थी | उन दिनों मेरा एक दोस्त था जो उम्र में मुझसे बहुत बड़ा था | यूं कहें कि वह कॉलेज में पढ़ता था |

वह शाम में अपने पिता की किताब की दुकान संभालता था | उस किताब वाले से मुझे ख़ासी दोस्ती हो गई थी | मेरा ज़्यादातर शाम उसी के दुकान में बिता करता था | वह मुझे रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करता था | कर्ण के बारे में इतना सुंदर वर्णन करता था कि मैं मंत्र-मुग्ध होकर सुनता था |

हमे लगता था कि उसे बहुत ज्ञान है | उससे हर विषय पर बात करने में बड़ा…

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10 replies

  1. Wah sir wah!!
    Bhut hi achi shiksha thi is vakya me 🙂
    muje apki drawing dekh k bhi bada acha laga

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    • सही कहा आपने |
      यह एक शिक्षा देने वाली संस्मरण है |
      अपनी भावनाएं प्रकट करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |

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  2. कर्म और भाग्य का संस्मरण आपका रोचक एवं शिक्षाविद है ।

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  3. Have a great weekend.

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Trackbacks

  1. # कर्म बड़ा या भाग्य ? – आओ कुछ नया सीखें

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