मर्डर की अजीब दास्तान -2

दीपिका को यह एहसास हो चुका था कि उसका  पति प्रवीण को उसके और तांत्रिक के बीच नाजायज संबंध का पता चल चुका है |

अब माँ, बेटा और तांत्रिक तीनों परेशान हो उठते  है | वे लोग मिल कर इस समस्या से निजात पाने के उपाय सोचने रहते है | ये तीनों ऐशों- आराम भरी  ज़िंदगी से वंचित नहीं होना चाहते थे और दीपिका इस नाजायज रिश्ते को भी खत्म करना नहीं चाहती थी |

अब तो तीनों के सामने यही एक विकल्प था कि किसी तरह प्रवीण को रास्ते से ही हटा दिया जाये और सारे जायदाद पर कब्जा कर लिया |  लेकिन यह इतना आसान नहीं था, क्योंकि प्रवीण का एक भरा पूरा परिवार था | दो बहन और दो भाई के साथ – साथ माँ भी अभी ज़िंदा थी । हाँ, पिता की मौत हो चुकी थी |

दीपिका के सिर पर हवस और धन – दौलत का लालच सवार था | उसे न तो समाज में बदनामी का डर था और न ही अच्छा – बुरा दिखाई दे रहा था |

इधर तांत्रिक के मन में भी यह चल रहा था कि अगर प्रवीण का कत्ल हो जाता है तो दीपिका पर उसका पूरा नियंत्रण  हो जाएगा और आगे की ज़िंदगी ऐश – मौज में गुज़रेगी |

इस तरह तीनों ने मिल  कर  फैसला कर लिया कि प्रवीण का कत्ल कर दिया जाये | पर कैसे कत्ल किया जाये ? यह ज़रूरी सवाल था, क्योंकि खुद को भी कानून की नज़रों से बचाना था |

तांत्रिक ने सलाह दी कि प्रवीण को slow poison दिया जाये ताकि किसी को शक न हो | लेकिन दीपिका सहमत नहीं होती है क्योंकि उसमें काफी वक़्त लगता और इस बीच प्रवीण उसे घर से निकाल भी सकता है |

बेटे नवनीत के सुझाया कि उसे गोली मार देते है और लाश को ठिकाने लगा देंगे | उसने अपने की बाप की हत्या करने हेतु पिस्टल जुगाड़ करने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली |

इस बीच दीपिका को विशेष सूत्रों से पता चला कि प्रवीण अपने वकील से मिल कर एक वसीयत बना लिया है जिसमें उसने लिखा है कि अगर उसे कुछ हो गया तो ऐसी स्थिति में उसके सारी जायदाद को उसके अपने बहन और भाइयों में बराबर बाँट दिया जाये  | दीपिका और उसके बेटे को एक फूटी कौड़ी भी नहीं मिलना था | यहाँ  तक कि अपने सारे बिज़नस  का मालिक भी उसने वसीयत में अपने भाई को बना दिया था |

इतना जानना  था कि दीपिका का दिमाग गुस्से से भर गया | उसे पता था कि जायदाद के अलावा भी बहुत सारे कैश  और सोना – चाँदी, जेवरात  वगैरह भी थे जो बैंक के लॉकर में थे  जिसकी  चाबी भी प्रवीण उससे ले चुका था |  अब तो उसे अपने आंखों के सामने,  बेटे और  खुद की  ज़िंदगी समाप्त होती नज़र आ रही थी |   

यह बात उसके बेटे और तांत्रिक को भी पता चला | उन लोगों ने आपस में विचार कर यह निर्णय लिया कि वसीयत को अमल में आने से पहले ही कुछ उपाय करने होंगे |

दिन के करीब तीन बज रहे थे और तीनों मिल कर चाय पीते हुए प्रवीण के कत्ल की  साजिश रच रहे थे, तभी नीचे पोर्टिको में प्रवीण की गाड़ी आ कर खड़ी होती है |  इसकी भनक लगते ही उस बंगले के एक कोने में तांत्रिक और बेटा छिप जाते है |

प्रवीण अपने होटल  के मैनेजर से मीटिंग खत्म कर घर आया था | घर आते ही दीपिका से चाय बनाने को कहता है और खुद तौलिया  और अपने कपड़े लेकर सीधे बाथरूम में नहाने चला जाता है |

इसी  बीच वे तीनों  मिल कर एक घिनौनी साजिश रच डालते है और प्रवीण का बाथरूम से बाहर आने का इंतज़ार करने लगते है |

इन सब बातों से बेखबर प्रवीण स्नान के बाद बाथरूम से कोई गाना गुनगुनाते हुए बाहर निकलता है और इधर तीनों जो उसके बाथरूम से निकालने का इंतज़ार कर रहे थे, अपना काम शुरू कर देते है |

वह जैसे ही बाथरूम से निकलता है, उसका बेटा नवनीत कोई जहरीला  spray उसके  चेहरे पर कर छिड़क देता है , जिससे प्रवीण को संभलने का मौका नहीं मिलता है और वह बेहोश होने लगता है | तभी दीपिका पीछे से एक लोहे के सरिया से उसके सिर पर वार करती है जिससे प्रवीण अपना सिर पकड़ कर ज़मीन पर गिर पड़ता है |

उसके ज़मीन पर गिरते ही तांत्रिक की मदद से बेटा नवनीत अपने ही बाप के मुंह में ज़बरदस्ती चूहा मारने वाला जहर डाल देता है | थोड़ी ही देर में प्रवीण की मौत हो जाती है | हालांकि दीपिका अपने पति की मौत से आश्वस्त होने के लिए तांत्रिक से दुबारा उसके मुंह में जहर डलवाती है | यह सब घटना को अंजाम देने में करीब एक घंटा का वक़्त लगता है और तब दिन के चार बज चुके होते हैं |

अब प्रवीण के मौत के बाद आगे के कार्यक्रम पर अमल करना था | इसलिए तीनों मिल कर आगे की प्लानिंग करते है | सबसे पहले प्रवीण का ड्राईवर जो नीचे पोर्टिको में था, उसे किसी बहाने से आज की छुट्टी पर भेजने का निर्णय लिया जाता है |  अतः दीपिका नीचे आ कर ड्राईवर से गाड़ी की चाबी लेकर उससे कहती है कि साहब ने कल सुबह आने को कहा है |

ड्राईवर को यह बात कुछ अटपटा सा लगता है, क्योंकि साहब खुद थोड़ी देर बाद अपने माँ  से मिलने उसके घर जाने की बात कही थी | वो बंगले  के सामने ही एक चाय की दुकान में कुछ नाश्ता करता है और चाय पीने लगता है |

इधर अब आगे की प्लानिंग के अनुसार वे लोग  अंधेरा होने का इंतज़ार करते है | कुछ समय के बाद जब दिन समाप्त होता है और शाम का अंधेरा छाने लगता है,  तब तीनों मिलकर प्रवीण की  लाश को एक बोरी में डालते है और उसे प्रवीण के ही गाड़ी के डिक्की में रखते है |

तांत्रिक  खुद गाड़ी की ड्राइविंग की सीट पर बैठता है और तीनों सीधे तांत्रिक के आश्रम की ओर चल देते है |

लेकिन गेट से बाहर निकलते हुए गाड़ी पर उस ड्राईवर की नज़र पड़ती है | उसने देखा कि कार को तांत्रिक चला रहा था | उस गाड़ी में साहब भी नहीं थे | इसलिए ड्राईवर को कुछ शक होने  लगता है | लेकिन दूसरे ही पल वह सोचता है कि मालकिन अपने निजी काम से जा रही होगी | इसलिए ड्राईवर  भी अपने घर की ओर चल देता है |

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इधर आश्रम पहुँच कर  उन तीनों ने मिल कर वहाँ एक बड़ा सा “हवन – कुंड” बनाते है | उमसे ढेर सारी लकड़ी डाल कर एक चिता तैयार करते है | लाश को उसके ऊपर रख कर उसे जलाने की विधि शुरू करते है | वहाँ सिर्फ वही तीनों मौजूद रहते है |

तांत्रिक बाकायदा  उस हवन कुंड में घी और हुमाद वगैरह डालता  है और वैदिक मंत्र के उच्चारण का नाटक ज़ोर – ज़ोर से करने लगता है | ताकि आस पास के लोग समझे कि कोई हवन का कार्यक्रम चल रहा है | इस तरह लाश को बड़े आराम से पूर्णतः जला दिया जाता है | (क्रमशः)  

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14 replies

  1. रहस्य और रोमांच से भरपूर। पढ़ कर अच्छा लगा।

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  2. Kahani rahasya aur Romanchak ho gaya.

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  3. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

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