
आश्रम में तांत्रिक दीपिका और उसके बेटे के साथ मिल कर बिना किसी परेशानी के लाश को पूरी तरह जला देते है | फिर देर रात तक राख को ठंडी होने का इंतज़ार करते है |
लेकिन वे लोग किसी भी तरह का सबूत नहीं छोडना चाहते थे | इसलिए जब आग ठंडी हो गई तो वहाँ बचे राख से सारी हड्डियाँ चुनते है | फिर उसे एक बोरी में डाल कर उसे सील कर देते है और उसे पास ही स्थित एक तालाब में फेंक देते है |
वे लोग अब पूरी तरह आश्वस्त हो चुके थे कि मर्डर के सारे सबूत अब समाप्त हो चुके है | इस राज को खुलने की अब कोई आशंका बची नहीं है | अब उन लोगों के रास्ते का रोड़ा हट चुका था | अब उस वसीयत को सामने आने की गुंजाइश समाप्त हो चुकी थी | अब उन्हें ऐशों आराम की ज़िंदगी जीने से रोकने वाला इस दुनिया से अलविदा हो चुका था | सभी लोग अपने इस योजना को सफल अंजाम देने के बाद ,वहाँ से वापस आ कर अपने – अपने घर में आराम से सो जाते है |

लेकिन सही कहा गया है कि चाहे कितनी भी सावधानी बरतो , पाप कभी छुपता नहीं है | एक न एक दिन वह सब के सामने उजागर हो ही जाता है |
इधर प्रवीण की माँ अपने बेटे के आने का इंतज़ार करती रहती है और रात बीत जाने के बाद भी जब उसका पता नहीं चलता है तो वो उसे फोन लगाती है | लेकिन बार – बार फोन स्विच ऑफ आता है | परेशान माँ सुबह ही सुबह अपनी बहु दीपिका को फोन कर प्रवीण के बारे में पुछती है |
दीपिका जबाव में कहती है कि वे यहाँ भी नहीं आए है और न ही उनकी कोई खबर है |
लेकिन माँ तो माँ होती है, उसका दिल कह रहा था कि कोई अनहोनी हुई है | क्योंकि प्रवीण जब भी इंडिया आता था, एक दिन अपनी माँ से पास ज़रूर रहता था |

इसलिए माँ अन्य साधन से हकीकत पता करने की कोशिश करती है, लेकिन सफलता नहीं मिलती है | उन्हें यह भी महसूस हो रहा था दीपिका पर इस बात का कोई असर नहीं पड़ा था और वो उदास होने की जगह खुश दिखती थी |
हालांकि बहू के चाल – चलन के बारे में उन्हें पता था और तांत्रिक के बारे में भी अपने बेटे के मुंह से सुन चुकी थी | इसलिए दीपिका पर शक जाना स्वाभाविक था |
अंत में लाचार माँ पुलिस में अपने बेटे प्रवीण के लापता होने की रिपोर्ट लिखवाती है, जिसमें उसके साथ कुछ अनहोनी की आशंका जताती है | साथ ही अपनी बहू पर ही शक जताती है |
प्रवीण काफी रुतबा वाला व्यक्ति था, इसलिए उसकी लापता की रिपोर्ट से पुलिस तुरंत हरकत में आ जाती है |

सबसे पहले पुलिस ने दीपिका और उसके बेटे से पूछताछ की | लेकिन पुलिस को कोई सफलता नहीं मिली | माँ के द्वारा पुलिस को तांत्रिक और दीपिका के संबंध के बारे में भी बताया गया था |
पुलिस अब इससे जुड़े हर व्यक्ति से पूछताछ करने लगी | प्रवीण के ड्राइवर को भी पुलिस ने उठाया और थाने लाकर प्रवीण के बारे में पूछताछ करने लगी | ड्राईवर तो मालिक का वफादार था , इसलिए उस दिन की सारी घटना को विस्तृत रूप से पुलिस को बताया | और यह भी बताया कि उस शाम को मालकिन दीपिका ने उसे छुट्टी दे दी थी | लेकिन थोड़ी देर बाद मालिक के उसी कार से मालकिन को घर से बाहर निकलते देखा था | लेकिन कार में साहब नहीं थे और एक दाढ़ी वाला आदमी गाड़ी चला रहा था |
प्रवीण की माँ ने दीपिका और तांत्रिक के संबंध की बात भी पुलिस के कान में डाल दी थी |
अब पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि गाड़ी चलाने वाला दाढ़ी वाला व्यक्ति वो तांत्रिक ही होगा | पुलिस ने अंधेरे में तीर छोड़ा और तांत्रिक बाबा को उठा कर थाने ले आई | उस तांत्रिक से भी पुलिस पूछताछ की | पहले तो तांत्रिक साफ – साफ कह दिया – भला इस सब बातों से मेरा क्या लेना देना है |

लेकिन पुलिस तो हर राज को उगलवाना जानती है, उसने अपने तरीके आजमाए | तांत्रिक कोई professional murderer तो था नहीं | वो तो प्रेम- वासना और पैसे की लालच में इस मर्डर में शरीक था | इसलिए पुलिस की थोड़ी सख्ती पर ही वह टूट गया और फिर इस घटना से जुड़े सारी बातें सच – सच बता दी |
आगे की कहानी अब यही है कि प्रवीण अब इस दुनिया में नहीं है और मर्डर करने वाले ये तीनों सलाखों के पीछे है | अब उन तीनों के भविष्य का क्या फैसला होगा, वह कोर्ट को तय करना है | लेकिन इतना तो सत्य है कि पाप कभी भी छुपता नहीं है और बुरे काम का नतीजा बुरा ही होता है |
(यह एक काल्पनिक कहानी है )
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Bura karma ka bura natija. Akhir me sabko jail ho gaya.
Kahani Bahut Badhia.
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Absolutely correct dear..
Thank you for your comments.
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As we sow. So shall we reap..
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absolutely correct dear.
bad result of bad karma .
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पाप एक दिन सामने आ जाता है
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सही कहा आपने |
हमे अपने कर्मो का फल ज़रूर मिलता है |
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
If you want to fly, give up everything
that weighs you down.
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अति सुन्दर,
बहुत ही साधारण लेखन पर अति प्रभावशाली संदेश!
धन्यबाद !!
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
आपके शब्द हमारे लिए प्रेरणास्रोत है |
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