Good evening friends

मिश्रा जी, वैसे तो सारी ज़िंदगी बैंक के काम करते हुये बिता चुके थे | लेकिन बचपन से ही उनके मन में हिन्दी साहित्य के प्रति खास आकर्षण था | अब रिटायरमेंट के बाद उन्होंने अपने जवानी के दिनों में लिखी गई वह डायरी जो आज जीर्ण – शीर्ण अवस्था में थी, उनको प्राप्त हुआ |
वह अपनी इस डायरी को अपनी बीवी से छुपा कर रखते थे | जब भी उनकी बीबी की नज़र उस डायरी पर पड़ती, वह बिफर उठती | आप को प्रेम – व्रेम की कहानी लिखते हुये शर्म नहीं आती | लोग देखेंगे, और पढ़ेंगे तो क्या कहेंगे, कि इस उम्र में बुढ़ऊ प्रेम कहानियाँ लिख रहे है |
कभी बाल – बच्चों को तो ढंग से प्यार किया नहीं , बस डायलोग (dialogue) ही लिखने में माहिर हो |
मिश्रा जी अपने reading table पर डायरी के पन्नों को पलटते हुए मन में उठते…
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