
दोस्तों,
आज मुझे अपने बचपन के दिनों का वाकया याद आ रहा है | तब मैं स्कूल में पढ़ता था | दोपहर में स्कूल से आने के बाद खाना खा कर सो जाया करता था | शाम के समय मुझे घर से बाहर खेलने की इजाजत मिलती थी | उन दिनों मेरा एक दोस्त था जो उम्र में मुझसे बहुत बड़ा था | यूं कहें कि वह कॉलेज में पढ़ता था |
वह शाम में अपने पिता की किताब की दुकान संभालता था | उस किताब वाले से मुझे ख़ासी दोस्ती हो गई थी | मेरा ज़्यादातर शाम उसी के दुकान में बिता करता था | वह मुझे रामायण और महाभारत की कहानियाँ सुनाया करता था | कर्ण के बारे में इतना सुंदर वर्णन करता था कि मैं मंत्र-मुग्ध होकर सुनता था |
हमे लगता था कि उसे बहुत ज्ञान है | उससे हर विषय पर बात करने में बड़ा मज़ा आता था। उसकी बात जैसे ख़त्म ही नहीं होती।
एक दिन हमलोग किताब की दुकान पर बैठ गप मार रहे थे , तभी वहाँ 3 – 4 पुलिस वाले आ गए | हमारे सामने उस दोस्त के कमर में मोटा रस्सा बांधा और हाथ में हथकड़ी पहना दी | वहाँ बहुत भीड़ लग चुकी थी | मैं हक्का – बक्का सब देख रहा था | मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि पुलिस उसे क्यों पकड़ कर ले जा रही है | तभी लोगों को कहते सुना कि भगवान दास ने मर्डर किया है इसलिए उसे जेल जाना पड़ रहा है |

मेरा बचपन वाला दिमाग कुछ समय के लिए शून्य हो गया |
मेरे मन में एक ही सवाल था – इतना ज्ञानी आदमी , इतने अच्छे आचरण वाला इंसान किसी की हत्या कैसे कर सकता है ?
लेकिन कुछ दिनों के बाद संयोग से मेरा वह ठिकाना छुट गया क्योंकि हमारा परिवार खगौल से रांची शिफ्ट हो गया था |
फिर मैं बड़ा हुआ , पढ़ाई पूरी की और बैंक की नौकरी में आ गया | वो पुरानी बाते सब भूल चुका था |
बैंक में काम करते हुए कभी कभी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता था / उन दिनों मेरा मन बहुत उदास रहता था, क्योंकि बहुत सारी व्यक्तिगत परेशानियों से घिरा हुआ था | इसके अलावा मुझे उम्मीद होते हुए भी मैं इंटरव्यू में अच्छा नहीं कर सका और मेरा प्रमोशन नहीं हो सका | यह मेरे लिए किसी सदमे से कम नहीं था | क्योंकि बहुत मेहनत करने के बाद सफल नहीं हो पा रहा था | तब से मैं भाग्य पर बहुत विश्वास करने लगा | मैं समझता था कि मेरा भाग्य ही खराब है
मैं छुट्टी लेकर पटना अपने घर आया हुआ था | मानसिक परेशानियों के कारण मैं हमेशा उदास रहता था | तभी मैं मैंने अपने मूड को ठीक करने के लिए एक दिन सिनेमा हाल में मूवी देखने चला गया | मूवी देख कर मैं गांधी मैदान के पास घर जाने के लिए बस का इंतज़ार कर रहा था |

तभी एक सज्जन मेरे पास आ कर मुझे घूरने लगे | शाम का वक़्त था , रोशनी पूरी नहीं थी, फिर भी साफ साफ देख सकते थे | उन सज्जन को देख कर मुझे भी कुछ अजीब सा महसूस होने लगा | मुझे लगा कि मैं उन्हे जानता हूँ, पर कैसे , पता नहीं |
अचानक उन्होने कहा – आप भोला है न ? मेरा बचपन का नाम भोला है |
मैं तो अपने बचपन के इस नाम को लगभग भूल चुका था | फिर यह कौन है जो मुझे अचानक मेरे बचपन में ले जा रहा है ?
फिर उसने कहा – मैं भगवान दास हूँ |
मैं उस नाम को सुन कर लगभग उछल पड़ा | मैं लगभग 25 साल पीछे चला गया | वो पुरानी बाते अचानक याद आने लगी | मैं बस उन यादों में खोया था, तभी उन्होंने मुझे टोका … कहाँ खो गए हो यार ? हम लोग उन दिनों में एक दूसरे को यार कहते थे |
मैं पुरानी स्मृति से वापस आ गया | मैं उन्हे प्रणाम किया और सामने इंडिया होटल में साथ साथ चाय पीने का प्रस्ताव रखा |

हम दोनों उस रेस्टोरेन्ट में बैठ गए और चाय का ऑर्डर दिया | थोड़ी देर में चाय आ गई और हम लोग चाय पीते हुए पुरानी यादों में खो गए |
मैंने उनसे सीधा सवाल किया – मैं आपको एक आदर्श व्यक्ति मानता था और आपकी स्वभाव बिलकुल शांत और भलाई करने वाला था | फिर आपने कैसे किसी का मर्डर कर दिया |
उन्होंने एक लंबी सांस ली और कहा – वह बस संयोग था | हमारे खेत को लेकर पटीदार में झमेला चल रहा था | इसलिए मैं अपने पिता जी के साथ रात में खेत पर ही रह कर अपने खेतों की रखवाली करते थे |
खेतों में गेहूं खड़ा था और रात के समय पटवन (irrigation) का काम चल रहा था | रात के 10 बज रहे थे | तभी उस समय हमारे चाचा जी के लड़के कुछ लठैत को लेकर मेरे खेत पर धावा बोल दिये | वे मेरे पिता जी की जान लेना चाहते थे | उन्होने गेट के पास जो हमसे करीब 200 मीटर की दूरी पर थी, उन्होने अंधेरे में फायर कर दिया | साथ ही साथ पिता जी को ललकारने लगे |
पिता जी को कोई कुछ बोल दे तो मुझे बर्दाश्त नहीं होता है | इसलिए गुस्से में मैं भी खेत के मचान पर रखी दोनाली बंदूक से अंधेरे में ही फायर कर दिया | मैंने सोचा कि इससे डर कर वे लोग भाग जाएंगे | लेकिन संयोग से गोली चाचा के लड़के को लगी और उसकी मृत्यु हो गई |
फिर दोनों तरफ से FIR हुआ , लेकिन इस बीच मैं गिरफ्तार हो गया | उसके बाद केस चला और मुझे मर्डर के इल्ज़ाम में उम्र कैद की सजा हो गई |
उनकी इस दुख भरी कहानी को सुन कर मेरी आंखो में आँसू आ गए | मुझे लगा कि मेरा दुख तो इनके दुख के सामने कुछ भी नहीं है |
इस तरह अचानक कर्म और भाग्य पर बात शुरू हो गई।
मेरे मन में भी जिज्ञासा हो रही थी कि कर्म बड़ा या भाग्य | लोग तो कहते है कि कर्म वो सीढ़ी है जिस पर चढ़ कर इंसान अपने जीवन में ऊपर की ओर बढ़ता है और भाग्य तो लिफ्ट के समान है जो बटन दबाते ही लोग बिना परिश्रम के ही मंज़िल पर पहुँच जाते है |

मैंने अपना यह सवाल उस किताब वाले दोस्त के सामने रखा कि आदमी मेहनत से आगे बढ़ता है या भाग्य से ?
और उन्होंने जो जवाब दिया, उस जवाब को सुन कर मेरे दिमाग़ के सारे जाले ही साफ़ हो गए ।
उन्होने मुझसे पूछा – आप क्या काम करते है ?
मैंने कहा – बैंक में हूँ |
तब तो आपका या किसी ग्राहक का आपके किसी बैंक में लॉकर तो होगा?
मैंने कहा– हाँ, लेकिन इसमे भाग्य का क्या लेना देना |
तो उन्होने मुसकुराते हुए कहा — उस लाकर की चाबियां ही इस सवाल का जवाब है। हर लॉकर की दो चाबियां होती हैं। एक आपके पास होती है और एक मैनेजर के पास।
आपके पास जो चाबी है वह है परिश्रम और मैनेजर के पास वाली चाबी भाग्य है।
जब तक दोनों चाबियां नहीं लगती लॉकर का ताला नहीं खुल सकता।
आप एक कर्मयोगी पुरुष हैं और मैनेजर भगवान।
आपको अपनी चाबी भी लगाते रहना चाहिये। पता नहीं ऊपर वाला कब अपनी चाबी लगा दे । कहीं ऐसा न हो कि भगवान अपनी भाग्य वाली चाबी लगा रहा हो और हम अपनी परिश्रम वाली चाबी न लगा पायें और ताला खुलने से रह जाये ।
यही आज हम सबों के साथ हो रहा है | या तो हम भाग्य के भरोसे रहते है या मिहनत करने बाद एक बार असफल होने पर फिर प्रयत्न करना छोड़ देते है |
इस घटना से यही शिक्षा मिलती है कि हमें प्रयत्न करते रहना चाहिए, क्योंकि भाग्य उसी का साथ देता है जो परिश्रम करता है |
पहले की ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments
Please follow the blog on social media … visit my website to click below.
Categories: मेरे संस्मरण
बहुत सुंदर शिक्षा
LikeLiked by 1 person
सही कहा। बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
LikeLike
Ek sundar sansmaran 👌
LikeLiked by 1 person
Thank you so much Sir.
LikeLiked by 1 person
केवल भाग्य के भरोसे न रहे बल्कि कर्म भी करें। अच्छा संदेश इस ब्लॉग का माध्यम से दिया गया है।
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
LikeLike
Good message for the world 🌎
LikeLiked by 1 person
Yes dear..
Thanks for sharing your feelings.
LikeLike
Wow
LikeLiked by 1 person
Thank you dear.
LikeLike
Achhi baat hai. Bhagya aur karma dono jindegj ka hissa hai.
LikeLiked by 1 person
सही कहा आपने।
हमें कर्म करते रहना चाहिए, तभी भाग्य भी साथ देगा।
LikeLike
Good evening friends…
LikeLike
Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Good evening friends
LikeLike