
सामने खड़ी लड़की को देख कर पुलिस को तो एकबारगी विश्वास ही नहीं हुआ | क्योंकि उसने उस लड़की का अंतिम संस्कार अपने सामने ही कराया था | लेकिन यह भी सच्चाई थी कि सामने खड़ी लड़की मंजुला ही थी |
पुलिस आगे कुछ उससे पूछताछ करती, इससे पहले एक दूसरा चेहरा कमरे के अंदर से प्रकट हुआ और वो था खुद अशरफ |
पुलिस के दिमाग में एक साथ बहुत सारे सवाल आने लगे | लेकिन अपनी सूझ बुझ दिखाते हुए , पुलिस ने फौरन दोनों को दबोचा और अपने साथ गाड़ी में बिठा लिया | उन्होंने रास्ते भर उन लोगों से पूछताछ की और फिर उन दोनों को अपने साथ पुलिस स्टेशन, खगौल लेकर आई |
थोड़ी देर बाद, अशरफ को वहीं पुलिस स्टेशन में रोक लिया गया और मंजुला को पुलिस वाले उसके घर तक छोड़ आए | मंजुला गुमसुम अपने घर के दरवाजे पर पहुँची |
शाम का वक़्त था, थोड़ा अंधेरा छा रहा था | घर के बाहर बच्चे खेल रहे थे और मंजुला के घर वाले बरामदे में बैठ चाय पी रहे थे |
अचानक सभी लोगों की नज़र मंजुला पर पड़ी | बच्चे वहाँ से चीखते हुये भाग खड़े हुए और घर वाले भी डर कर घर के अंदर की तरफ भागे |

मंजुला को यह समझते देर न लगी कि वो लोग उसे मंजुला का भूत समझ रहे है |
फिर मंजुला ने किसी तरह अपनी माँ को यकीन दिलाया कि वह मंजुला है और वह ज़िंदा है | अब परिवार वालों को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वो खुशी मनाए या मातम |
सवाल यह था कि यह मंजुला है तो फिर दो दिन पहले जिसकी लाश को जलाया और क्रिया – कर्म किया गया , वो कौन थी ? अब सब लोग पूरी सच्चाई जानने को उत्सुक थे |
दूसरे दिन पुलिस ने इस केस की फ़ाइल खोल दी और दोनों को थाने में बैठा कर आगे की कार्यवाही शुरू की | अशरफ बहुत घबराया हुआ था, और पुलिस के दबाब में वह सच्चाई बताने को तैयार हो गया |
उसने बताया कि वह मंजुला से बेहद प्रेम करता है लेकिन उसके घरवाले की रोज़ – रोज़ की धमकी से बहुत परेशान था | मेरा एक दोस्त जावेद मियां है जो एक ट्रांसपोर्ट कंपनी में ट्रक चलाता है | वह अपने ऑफिस के पास ही मनेर में अकेला रहता है | हालांकि उसका परिवार उसके गाँव गाजीपुर में रहता है |
जब मैंने अपनी समस्या जावेद को बताया तो उसने कहा कि तुम मंजुला को लेकर यहाँ आ जाओ फिर किसी तरह तुम दोनों को मुंबई भिजवा देंगे और तुम लोग वहाँ घरवालों की नज़र से महफूज रहोगे |

इसीलिए हम दोनों घर से भाग कर मनेर उसके घर पहुंच गए | रात में हम लोगों ने मिल कर पार्टी का प्लान बनाया | जावेद और मैं मिलकर दारू पी रहे थे | तभी मैंने ने अपनी समस्या के बारे में जावेद से चर्चा की | अचानक जावेद के दिमाग में एक आइडिया आया |
उसने कहा – तुम्हारा काम बन जाएगा , बस तुम्हें मंजुला को मारना होगा |
क्या कह रहे हो तुम , दारू पी रखी है इसलिए ? — मैंने गुस्से में कहा |
नहीं रे , पहले पूरी बात तो सुन ले |
मंजुला मेरी बहन समान है, मैं उसके खुशी के लिए कुछ भी करूंगा | उसने दारू का एक और घूंट लिया और फिर बोलने लगा — अशरफ, तुम मेरी बातों को ध्यान से सुन |
मैं एक औरत को जानता हूँ | उसका चेहरा बिलकुल मंजुला से मिलता है | अगर अचानक कोई देख ले तो उसे मंजुला ही समझेगा | उसकी उम्र 25 -26 साल है, उसका एक छोटा बच्चा है | वह विधवा और बहुत गरीब है | उसे मैं हमेशा पैसों से मदद करता रहता हूँ |
उसका नाम शांति है और वो हम पर बहुत भरोसा करती है | यहाँ से कुछ दूर पर हाईवे के पास ही उसकी झोंपड़ी है |
लेकिन शांति से हमें क्या लेना देना ? – मैंने जावेद से पूछा |
तब जावेद के कहा – तुम शांति को मंजुला बना कर मार दो | तब मंजुला के परिवार वाले मंजुला को मृत समझ कर उसे कहीं ढूँढने का प्रयास नहीं करेंगे और तुम दोनों किसी दूसरे शहर में आराम से साथ रह सकते हो | एक को जिंदा रहने के लिए दूसरे को मारना ही पड़ेगा | उसने अपना पूरा प्लान मुझे समझा दिया |
मैंने तुरंत कहा — किसी की हत्या करना मुझे मंजूर नहीं है |
तभी मंजुला बीच में कूद पड़ी | उसने कहा – हम दोनों को साथ रहने का और कोई रास्ता नहीं दिखता है | हम कहीं भी भाग कर छुप जाएँ , घर वाले हमें ढूंढ ही लेंगे | और यह भी हो सकता कि हमारा भी लव – जिहाद वाला हश्र न हो जाये | इसलिए मुझे जावेद का प्लान सही लग रहा है |
इस पर जावेद ने कहा – उसका तो मैं कत्ल करूंगा , तुम्हें क्यों डर लग रहा है ?
मैंने ने कहा – मैं पेशे से कसाई ज़रूर हूँ , लेकिन सिर्फ जानवरों को काटता हूँ | किसी इंसान का कत्ल करना मुझे ठीक नहीं लगता है | लेकिन मंजुला पर तो जैसे भूत सवार था | वह बोली – जावेद भाई का साथ मैं दूँगी |

इस तरह अगले दिन का प्लान फ़ाइनल हो चुका था |
अगले दिन जावेद कंपनी का ट्रक ले कर आ गया और हम दोनों उसके ट्रक पर सवार हो कर चल पड़े | शाम का वक़्त था , हम लोग हाईवे पर पहुँच चुके थे | तभी जावेद ट्रक को किनारे खड़ी कर शांति के पास गया और उसे बहला फुसला कर अकेले साथ चलने को कहा |
शांति तो उस पर बहुत भरोसा करती थी इसलिए अपने बच्चे को पड़ोसी के घर छोड़ कर चल दी |
तभी बीच में पुलिस पूछ बैठी – शांति से न तुम्हारा कोई दुश्मनी था , न ही मंजुला का था | और न ही उस ड्राइवर के साथ थी | तो फिर तुम दोनों अपने मतलब के लिए ऐसी घिनौनी कांड करने के लिए राज़ी हो गए ?
तब मंजुला ने कहा – हमारे आंखों पर पर्दा पड़ा था और दिमाग काम नहीं कर रहा था | हम अंजाम के बारे में सोच ही नहीं सके |
फिर अशरफ आगे की बात बताते हुये कहा — हम लोग आगे चलते हुए उस जगह पर पहुंचे | अंधेरा भी छा चुका था और पूरा इलाका सुनसान था | तभी ट्रक किनारे खड़ी कर अचानक जावेद शांति का गला दबाने लगा और तब मैंने भी उसका साथ दिया | कुछ ही देर में उसका शरीर शांत पड़ गया |
हम लोग ट्रक से नीचे उतरे और उस सुनसान जगह में लाश को ट्रक से उतारा और पास में लिटाया | फिर एक बड़ा पत्थर उठा कर उसके चेहरे पर वार किया ताकि चेहरा ठीक से पहचान में नहीं आए | उसके बाद हम लोगों ने शांति के जिस्म से उसके कपड़े उतारे और अपने साथ लाये मंजुला के कपड़े को उसे पहना दिया , ताकि लाश मंजुला का ही लगे |
और इसे पुख्ता करने के लिए उस लाश के बाएँ पैर में एक काला धागा भी बांध दिया , जिससे घर वालों को यकीन हो जाये | मंजुला के बाएँ पैर में हमेशा काला धागा बंधा होता है |
लाश को भी ऐसी जगह रखी गई कि सुबह किसी की नज़र पड़े और वो पुलिस को खबर करें | पुलिस के द्वारा मंजुला के घर वालों को भी खबर हो जाये कि मंजुला अब मर चुकी है |
आगे का प्लान था कि मुंबई जाकर वहाँ एक नई ज़िंदगी की शुरुआत की जाये | इसके लिए जावेद के ट्रक का मुंबई ट्रिप का इंतज़ार था |

आगे की घटना आपको पता ही है | पुलिस ने पूरी घटना को सुनने के बाद इसे कलम बद्ध किया | दूसरे दिन यह समाचार सभी अखबारों की सुर्खियां बन गई | सभी लोग इस नृशंस अपराध के लिए मंजुला से नफरत करने लगे | घर वाले भी उससे नफरत करने लगे |
पुलिस ने जावेद को भी गिरफ्तार कर लिया और तीनों को जेल भेज दिया | फिर पुलिस ने एक महीना से भीतर ही चार्ज शीट फ़ाइल कर दिया |
और उधर तीनों के तरफ से “बेल पेटीशन” फ़ाइल किया गया | अशरफ और जावेद को तो बेल नहीं मिला, लेकिन संयोग से मंजुला को जमानत मिल गई |
जमानत होने के तीसरे दिन मंजुला जेल से रिहा हो गई | मंजुला घर पहुंची तो उसे महसूस होने लगा कि सभी लोग उससे नफरत कर रहे है क्योंकि परिवार वालों को उसके कारण काफी बदनामी हो चुकी थी |
इसके अलावा मुहल्ले वाले भी मंजुला को नफरत की दृष्टि से देखते थे | उसे देख कर गंदे कमेंट करने लगे | ऐसी स्थिति में मंजुला काफी बेचैन रहने लगी और आत्मग्लानि महसूस करने लगी |
अभी एक सप्ताह बीते ही थे कि तभी एक सुबह घर से थोड़ी दूर पर गुजरने वाली रेल लाइन पर लोगों की भीड़ लगी हुई थी | शायद, वहाँ किसी की ट्रेन से कटी हुई लाश पड़ी थी | उसके मुहल्ले वाले ने वहाँ जाकर देखा तो पाया कि वो लाश मंजुला की थी |
हाँ, इस बार सचमुच मंजुला की ही लाश थी जो अपने पापों का बोझ संभाल न सकी और अपनी जीवन लीला को समाप्त कर लिया |
शायद उसे अपने पाप के बंधन से मुक्त होने का यही रास्ता उपयुक्त लगा था | ( समाप्त)
यह एक काल्पनिक कहानी है |
एक दिन हम भी कफन ओढ़ जायेंगे,
सब रिश्ते इस जमीन के तोड़ जायेंगे
जितना जी चाहे सता लो मुझको
एक दिन रोता हुआ सब को छोड़ जायेंगे।
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Beautiful picture.
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Thank you dear.
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Bhaut sundar ✨😊
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बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
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Kahani Bahut Badhia. Ae to Anup Soni ka Crime Patrols jaise Lagata hai.Lekin Shanti ka bachha ka Kya Hua.
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Thank you so much dear ..
shanti ke bachcha ke baare me aage likhunga .
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ऐसी कहानियों में जावेद अख्तर या उस्मानी जैसे ही नाम क्यों आतें है, क्राईम की ज्यादातर खबरों में एक खास जाति विशेष के संबंध को भी समझना होगा।
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आपने सही कहा सर् ।लेकिन बहुत सारी क्राइम उसकी मानसिकता पर निर्भर करता है।
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Good evening friends..
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