# यादों के लम्हे #

आज मुझे माँ का वह दुलार याद आता है, जब माँ कहती थी बाहर जा पर दूर मत जाना | पापा का स्कूल से लेकर आना और छोडना, और  उनका “बाबू “” कहना  याद आता  है ।

अब बहुत कुछ बादल गया है | आस पास का नज़ारा, भी बदल गया  | क्या आपको भी वो दूरदर्शन वाला समाचार याद आता है ?  

कैसे गुज़र गए वो बचपन के दिन | मिलेगा मौका तो फिर जीना है वही  बचपन,,  जिसका  एक – एक लम्हा  याद आता है।

यादों के लम्हे

जाने कब – कैसे गुजर गए वो दिन

अब हँसता हूँ उन यादों के लम्हे गिन

कभी ये हँसाती है, कभी ये रुलाती है

कभी कभी तो रात भर मुझे सताती है

बचपन की यादें दिल से नहीं जाती है

मेरी तनहाई में  यह मुझे तड़पाती है

पहली बार छठी कक्षा में abc से पड़ा था पाला

पहली बार स्याही की कलम, पॉकेट में था डाला

वह मुझ जैसे अनाड़ी के लिए एक नया अनुभव था

स्याही कागज़ पर कम, हाथ पर ज्यादा दिखता था

बहुत डांट खाया था,  बहुत मार खाया था ,

पेन हुआ था लीक, ड्रेस स्याही से रंगाया था

कभी क्लास में बंसी सर” का जोरदार चाटा था

कभी “कौवा सर” ने होम वर्क के लिए डांटा था 

याद आता है वो भी क्या गुज़रा हुआ ज़माना था

मार खाने से बचने का, ढूँढता सौ- सौ बहाना था

खुद तो मुर्गा बनता पर औरों को उल्लू बनाता था

मार खाकर भी खुद हँसता, दोस्तों को भी हँसाता था

वो भी क्या ज़माना था, देवानन्द की अदा भाता था 

     क्लास बंक कर दोस्तों संग, फिल्म देखने जाता था

 क्लास के इनटर्वल में, खूब धमाल मचाता था 

 दोस्तों संग टेबुल पर,  तबला खूब बजाता था

जाने कब – कैसे गुजर गए वो दिन

अब हँसता हूँ उन यादों के लम्हे गिन |

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Categories: kavita

10 replies

  1. Wah! Bahut khoob!!

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  2. Wah बहुत ही सुंदर और सत्य

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  3. सुन्दर कविता। बचपन की याद ताजा कर गई।

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  4. Lovely, shift to the childhood era….

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  5. Yaad to Bahut hai.Usko likh kar aur majedar banana lekhak ka kaam hai.Aap ka yaade Bahut Badhia.

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  6. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    दुनियाँ का सबसे कीमती तोहफा एक अच्छा हमसफर है ,
    जो कीमत से नहीं किस्मत से मिलता है ॥| राधे राधे ॰

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