
एक सप्ताह पहले की बात है ,| सुबह – सुबह मुझे, कोलकाता के एन एस रोड की तरफ कुछ काम के सिलसिले में जाने का मौका मिला | वहाँ अपने बैंक के बोर्ड को देख कर थोड़ी देर के लिए रुक गया | मेरे दिमाग में 20 साल पुरानी बातें एक फिल्म की तरह चलने लगी |
मेरी पुरानी यादें मुझे 20 साल पीछे ले गई | मुझे ऐसा लगा रहा था जैसे यह कल की ही बात हो | मैं पहली बार कोलकाता आया था क्योंकि हमारी पोस्टिंग इसी शाखा में हुई थी , वह साल थी 2001 ….
मेट्रो शहर कोलकाता में पहली बार आना हुआ था, इसलिए इस शहर को लेकर थोड़ा भयभीत था, लेकिन काफी उत्सुक भी था | पता नहीं यहाँ की ज़िंदगी कैसी होगी ?
सुना था कि मेट्रो का लाइफ थोड़ा फास्ट होता है | इसलिए अपनी पुरानी आदतों में कुछ सुधार करना होगा | संयोग से मेरे दूर के एक रिश्तेदार का पता मिला था और मैं सीधा उनके घर पर ही अपना इकलौता ब्रीफकेस लेकर पहुँच गया था |

वे लोग गरीब ज़रूर थे लेकिन स्वभाव के बहुत अच्छे थे | वे गिरीश पार्क वाले इलाका में किराए के मकान में रहते थे | दूरी इतनी कि जहां से पैदल ही बैंक आ सकता था |
उनका छोटा बेटा मुझे रोज सुबह बैंक तक छोडने आता था | मैं शाम को उसी रास्ते टहलते हुए उनके घर आ जाता था | खाना – पीना और रहना फ्री था | साथ में उनका लड़का मुझे कोलकाता शहर से परिचय कराने में मेरी बहुत मदद करता था |

मैं छुट्टी के दिन उसी के साथ कोलकाता भ्रमण करता था | कभी ट्राम का सफर तो कभी मेट्रो रेल से सफर करता था | लेकिन हाथ गाड़ी में बैठ कर घूमने में एक अलग ही मज़ा आ रहा था | ये सभी साधन के उपयोग मुझे रोज़ नए नए अनुभव दे रहे थे | मैं खड़ा होकर सोच ही रहा था कि किसी ने पीछे से आवाज़ लगाई – वर्मा साहब ! आप ने मुझे पहचाना ?
मैं जीतू हाज़रा हूँ | मैं अपनी आँखें फाड़ – फाड़ कर उसे देख रहा था | तब वह जवान था अब बाल सभी सफ़ेद हो चुके थे | गाल भी पिचक गए थे , लेकिन उसकी आवाज़ वही टना – टन थी |

वह 20 साल पहले हमारी शाखा के सामने डाभ (नारियल पानी ) बेचा करता था |
मुझे बताया गया था कि कोलकाता के पानी में आइरन ज्यादा है इसलिए यहाँ पेट की समस्या रहती है | इसके लिए डाभ (नारियल पानी) पीना लाभदायक होता है |
ड्सलिए मैं रोज़ सुबह शाखा में जाने से पहले उससे एक डाभ पीता था | उन दिनो एक डाभ के मात्र 3 रुपए देना होता था |
मैं जब तक इस शाखा में रहा, रोज़ नियम से एक डाभ पीता , जिसके कारण उससे दोस्ती ही नहीं उससे अपनापन भी हो गया था |
आज 20 सालों बाद उसे देख कर मुझे बहुत खुशी हो रही थी | मैं उसके बारे में कुछ पूछता उससे पहले ही वह बोल पड़ा – आइये ना साहब जी | यहाँ से थोड़ी दूर पर ही हमारा अपना फल का दुकान है | वहाँ आप को फ्रूट सलाद खिलाता हूँ | मैं उसकी आग्रह को ठुकरा नहीं सका और उसकी दुकान की ओर बढ़ गया |

थोड़ी दूर चलने के बाद उसका दुकान आ गया | मैंने देखा एक जवान लड़का दुकान को संभाल रखा था | उसने मुझे देखते ही प्रणाम किया और बोला – सर जी, मैं नंदू हाज़रा |
अरे वाह, हाफ पैंट वाला छोरा जो कभी अपने बाप के साथ ही चिपका रहता था आज गबरू जवान हो गया था |
हाज़रा ने बताया कि वह तीन रुपए के नारियल पानी बेचते बेचते आज वह फल का एक बड़ा व्यापारी बन गया | अपना नंदू भी जवान हो गया और दुकान का सारा भार खुद ही संभाल रखा है |
उसकी शादी भी कर दी है , लेकिन साहब जी, उसे सात क्लास तक ही पढ़ा सका | मुझे इसे पढ़ाने का बहुत इच्छा था, लेकिन उन दिनों मेरी आर्थिक हालत ठीक नहीं थी | पत्नी के बीमारी के कारण मेरे ऊपर बहुत पैसों का कर्ज़ हो गया था | हालांकि उसे बचा भी नहीं पाया | लेकिन अब बहू ने घर संभाल रखा है और हम लोग बहुत खुश है | आज किसी चीज़ की कमी नहीं है |
मैंने पूछा कि अपना मकान बनाया या नहीं |
वो आहें भरकर सिर्फ इतना कहा – आज भी मैं वही झोपड़ पट्टी में रहता हूँ | लेकिन खुश हूँ |
आज यह एहसास हुआ कि खुशियाँ बड़े घर और गाड़ी में नहीं होती, बल्कि परिवार के सदस्यों के आपसी विश्वास और प्रेम – भाव में होती है ॥ आज जीतू हाज़रा और नंदू हाज़रा से मिल कर मुझे बहुत खुशी हुई |
घर एक मंदिर ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments
Please follow the blog on social media … visit my website to click below.
Categories: मेरे संस्मरण
Memories never fade away.
LikeLiked by 1 person
Absolutely correct Sir.
There are so many such incidence are trapped in the memories.
Thinks for sharing your feelings.
LikeLiked by 1 person
सुन्दर संस्मरण।
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
LikeLike
Jo humko achhi lagati hai hamesha memory me raha jaati hai.Varnan Bahut Badhia.
LikeLiked by 1 person
सही कहा आपने |
उन्ही यादों के सहारे हम ज़िंदगी का मजा लेते है /
LikeLike
Reblogged this on Retiredकलम and commented:
We need strength while doing the possible,
But we need faith while doing the impossible..
LikeLike