
कभी-कभी हर कोई उदासी महसूस करता है। हालाँकि ज़्यादातर मामलों में, ये जो उदासी होती है, वो मनुष्यों के जीवन में आने वाले बदलावों और परिस्थितियों के कारण होती है | यह एक साधारण प्रक्रिया है।
अच्छी बात यह है कि हर किसी के पास में खुशी को महसूस करने की काबिलियत भी होती है | हम अपनी उदासी से पार पाने के लिए तरह तरह के उपाय ढूंढते रहते है |
मेरे पास एक डायरी है मैं अपने विचारों और फीलिंग्स को लिखने की कोशिश करता हूँ | यह मुझे अक्सर ही मेरी उदासी की भावना को समझने में मेरी काफी मदद करता है। यह मुझे “एक धुन में” रमने में मदद करता है | इससे मुझे अपने ही बारे में और ज्यादा गहराई से समझने का मौका मिलता है | डायरी के उन्हीं पन्नों में से कुछ पंक्तियाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ –,

लम्हा गुमसुम क्यों है ?
आज ये लम्हा फिर
गुमसुम – गुमसुम क्यूँ है,
तनहाई भी गुमसुम क्यूँ है
सुबह ने तो अंगड़ाई ले ली है
प्रकाश फिर गुमसुम क्यूँ है
रात है मद्धिम – मद्धिम फिर,
अंधेरा गुमसुम क्यूँ है
दिल में तो बहुत है बातें फिर
जुवां गुमसुम – गुमसुम क्यूँ है
आज दिल की बात हो गई फिर
मन गुमसुम – गुमसुम क्यूँ है ||
………………………..विजय …..
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Categories: kavita
A beautiful poem 👌👌
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Thank you so much dear.
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अच्छी कविता।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
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Kavita ke Saath Saath video clip acchi hai.
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Thank you so much dear.
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उदासी के आईने में –
अपनी तस्वीर न देखा करो
यारों !
यह वो शीशा है जो –
अच्छी शक्ल भी
बिगाड़ देते हैं!
:– मोहन”मधुर”
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आईना कभी झूठ नहीं बोलता है प्यारे |
उदासी का आलम भी ऐसा है प्यारे ,
उदास चेहरे को देख आईना भी उदास है |
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The hand that help others,
will always be filled with blessings.
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बिल्कुल सत्य
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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