# एक कहानी सुनो -11 #

हर इंसान चाहता है कि वह हमेशा खुश रहे, लेकिन खुशी आती भी है तो कुछ समय के लिए | फिर अगले ही पल वह दुखों के सागर में अपने को पाता है |

आज के समय में अपने को खुश रखना एक बड़ी चुनौती बन चुकी है | हम अपने चारो तरफ देखते है तो हर इंसान किसी  न किसी कारण से परेशान नज़र आता है | भौतिक संसाधनों में अपनी खुशी ढूँढता फिरता रहता है | बड़ा घर , बड़ी गाड़ी , बड़ा बैंक बैलेन्स , लेकिन सच तो यह है कि फिर भी इंसान खुश नहीं रह पाता है |

 हमारी प्रसन्नता तो दूसरों को प्रसन्न करने में और निजी स्वार्थ को छोड़कर दूसरों को आनंद देने में निहित होता है। दूसरों को सुख देना हमारे अपने सुख के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है और यह सर्वाधिक संतुष्टिदायक अनुभव होता है।

 कुछ लोग केवल अपने परिवार के बारे में ही सोचते है, हम चार और नहीं कोई । परंतु यही वो लोग होते है जो कभी सुखी नहीं दिखते है । केवल अपने लिए जीना ही सभी दुखों का स्रोत है।

दूसरों को आध्यात्मिक, मानसिक और भौतिक सेवा प्रदान करने से आप अपनी निजी आवश्यकताओं को पूरा होते पाएंगे। जब आप दूसरों की सेवा में अपने स्वयं को भुला देंगे तो आप पाएंगे कि आपका मन सदा खुशियों से सराबोर रहता है /

इसी संदर्भ में एक छोटी कहानी प्रस्तुत है , मुझे आशा है आप को ज़रूर पसंद आएगा |

गुलाब की आप बीती

एक राजा था, उन्होंने  अपने सुंदर महल के पास ही एक विशाल और सुंदर बगीचा लगा रखा था | उस बगीचे में अनगिनत किस्म के  फूल थे । कहीं समूह में लगे रजनीगंधा के खिले हुए फूलों की सुगंध थी , तो कहीं पर गुलदाउदी की खूबसूरत झरियाँ थी |

कहीं पर रात की रानी, चाँदनी रात में अपनी खुशबू से वातावरण को सुगंधित करती थी |

बगीचे में कितने फूल खिलते हैं इसका कोई रिकॉर्ड नहीं था । लेकिन उन फूलों के बीच वह गुलाब का पेड़  जो बगीचे के सभी फूलों में सबसे सुंदर खिलाता था | वह गहरे लाल रंग के साथ साथ अत्यंत सुगन्घित फूल , जो साल भर खिलता रहता था | जो भी इसे देखता था, बस मंत्रमुग्ध हो जाता था ।

 और इस गुलाब के पेड़ के ठीक पास में एक नागफनी का पेड़ था जो अपने काँटेदार आवरण ओढ़े गुलाब को देख कर मंद – मंद मुसकुरा रहा था |

दरअसल, गुलाब और नागफनी पड़ोसी होने के साथ साथ आपस में दोस्त भी थे |

अभी सुबह सुबह माली गुलाब के पेड़ में  पानी देकर गया था | गुलाब सुबह सुबह सुंदर फूल खिलाते हुये बहुत खुश नज़र आ रहा था |  नागफनी ने उसे देख कर कहा – गुलाब भाई, आप कैसे हो ?

मैं तो बहुत प्रसन्न हूँ , अभी अभी माली खाद पानी देकर गया है |

सचमुच, तुम तो ढेर सारी फूल खिलाते  रहते हो  | इससे आपकी  काफी एनर्जि बर्बाद हो जाती होगी | इससे तुम तो जल्दी बूढ़े हो जाओगे और  फिर तुम्हारा अंत हो जाएगा |

लेकिन मैं क्या करूँ, फूल खिलाना  मेरी फितरत है | मुझे  फूल खिलाने में बहुत खुशी मिलती है – गुलाब खुश होता हुआ बोला  |

मेरी तरह तुम क्यों नहीं बन जाते ?  तुम फूल  खिलाना  बंद कर अपने काँटों को बढ़ाओ ,  ताकि लोगों से  और खास कर बच्चो से  तुम्हारी रक्षा हो सके , जो फूलों को तोड़ लेते है और  तोड़ कर बिखरा देते है |

इस पर गुलाब बोला — नहीं नहीं, बच्चों को खुश देख कर मेरे अंदर और भी फूल खिलाने की इच्छा होती है | लोग फूल को मंदिरों में भगवान पर भी तो चढ़ाते  है | मैं फूल खिलाना  कैसे बंद कर दूँ ?

नागफनी ने हँसते हुये कहा —  तुम मुझे देखो ! मैं फूल नहीं खिलाता हूँ | बस, सुबह से शाम तक मैं आराम करता रहता हूँ |  मेरे बड़े बड़े  काँटों के कारण मुझे कोई भी परेशान नहीं करता, जानवर तक की हिम्मत नहीं होती मुझे खाने की | इससे मुझमें बहुत ऊर्जा सुरक्षित रहती है |  मुझे खाद – पानी की भी ज़रूरत नहीं होती है | मैं तो तुमसे ज्यादा दिन तक ज़िंदा रहूँगा |

इस पर गुलाब बोला — जीना – मरना  तो हमारे बस में नहीं होता | लेकिन यह चाहत होती है कि जीतने भी दिन जीऊँ , खुश रहूँ  और खुशियाँ बिखेरता रहूँ  |

नागफनी उसकी बातें सुन कर चिढ़ गया और चिढ़ते हुये कहा – मानता हूँ कि लोग तुमसे बेहद प्यार करते है | लेकिन लोगों के भलाई करने से तुम्हें क्या लाभ मिलता है  ?

 देखो,  तुम इतनी सालो से फूल खिला रहे हो, लेकिन क्या तुमने कभी सोचा है कि तुम क्यों फूल खिला रहे हो ?  या इसके खिलने का क्या मतलब है ? और क्या होगा अगर फूल खिलते हैं या नहीं खिलते हैं ?

अब तुम बूढ़े  हो चले हो और जल्द ही तुम्हारा जीवन समाप्त होने वाला है | मैं कुछ नहीं कर के भी लंबी जीवन जीऊँगा और ज़िंदगी का मज़ा लूँगा |

गुलाब कुछ सोचते हुए कहा —   मेरे ऊपर सूरज अपनी रोशनी फैलाता है और मेरी नसों में ऊर्जा भरता  है । दक्षिण की हवा मेरे ठंडे शरीर के पत्तों को सहलाती है और लहराती है |  सुबह का ओस मेरे चेहरे को धोता है और बारिश का शीतल जल मेरे शरीर को भिगोता  है !

मेरी पंखुड़ियां खुशी से कांपती हैं,  यह सब मैं खुद तो नहीं कर सकता |  नीले आकाश के नीचे मैं सूरज की तेज रोशनी से भर जाता हूं।  इस सुंदर  प्रकृति को देख मेरा  मन हमेशा खुश रहता है |

मैं देख रहा हूँ कि  तुम्हारा जीवन बहुत मज़ेदार है – नागफनी ने कटाक्ष करते  कहा ! बेशक, यह झूठ नहीं है !

गुलाब ने नागफनी की ओर देख कर कहा – लेकिन तुम्हारा जीवन भी कम सुंदर नहीं है ! तुम भी प्रकृति का उतना ही मज़ा ले पाते हो |

सही है, मैं तो अपना जीवन मजे से जी ही रहा हूँ | मैं दुनिया को लाभान्वित क्यों करूंगा ?  तुम तो मुर्ख की तरह बात करते हो – सुनते ही हंसी आती है ! सबसे बडा काम है, अपने लाभ के लिए जीना और  अपने आप को खुश रखना | यह हमेशा याद रखो ।

 तुम्हारी तरह फूल खिला खिलाकर और अंत में सूखकर बेजान हो जाने की क्या कीमत है ? इसमें क्या सुख है ? नागफनी गुलाब को समझाते हुए कहा |

यह सच है कि  मैं फूलों को खिलाते – खिलाते दिन-प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा हूं | लेकिन जब छोटे छोटे बच्चे मेरे पास आकर खुश होते हैं और मुझे देख कर अपने हाथों से ताली बजाते हैं, राहगीर रास्ते पर चलना बंद कर देते हैं,  वे भी मुझे विस्मय में देखते हैं,  तब मुझे बहुत ख़ुशी मिलती है ! इस ख़ुशी का मतलब क्या है यह नागफनी को कैसे समझाऊँ ?

इस तरह कई साल बीत गए । कितने गुलाब खिले, और  सुगंध बिखेरते हुए,  हर किसी के मन में खुशी जागृत करते हुए समय बीतता रहा ।

और गुलाब का अंत समय भी आ गया जब उसे इस दुनिया से विदा होना था |  उसने इस अंतिम क्षण में अपने ज़िंदगी के बारे में मूल्यांकन करने लगा | उसने पाया कि नागफनी के उपदेशों के बावजूद  भी उसका स्वभाव बदल  नहीं पाया | और वो अंत तक दुनिया में खुशी और खुशबू फैलाता रहा |

लेकिन उसे कभी कभी यह भी लगता था कि कहीं नागफनी सही और वो गलत तो नहीं था ?

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Categories: motivational

7 replies

  1. शिक्षाप्रद कहानी।

    Liked by 1 person

  2. बहुत सुन्दर रचना।एक अन्तर्द्वन्द के साथ भावनाओं और विचारों की अभिव्यक्ति रचना की गुणात्मकता को बढ़ाता है।
    धन्यवाद दोस्त।

    Liked by 1 person

  3. Kahani Bahut Badhia

    Liked by 1 person

  4. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    The people who know the least about you
    always have the most to say.

    Like

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