
दोस्तों, आज सुबह – सुबह मॉर्निंग – वॉक के बाद योगा करने हेतु अपने सोसाइटी में बने स्विमिंग पूल की तरफ चला गया | वहाँ एक तरफ बैठ कर योगा कर रहा था, तभी मैंने देखा कि कुछ बच्चे आपस में स्वीम्मिंग पूल में खूब मजे कर रहे है |
उनके चेहरे पर खुशी देख कर मुझे भी अच्छा लग रहा था | वे बच्चे पिछले दो सालों से कोरोना के दहशत से घरों में बंद होने को मजबूर थे, अब थोड़ी राहत महसूस कर रहे होंगे | इसलिए आज खुल कर मस्ती कर रहे थे |
जहां एक ओर, आज के इस माहौल में हर इंसान कोई न कोई कारण से परेशान नज़र आता है, ऐसे में आज उन बच्चों को बिना कोई चिंता – फिक्र के स्वछंद मुस्कान लिए दोस्तों के साथ खुशी मनाते देख मुझे मेरे बचपन के दिनों की याद आ गई |

वो बचपन के दिन भी क्या दिन थे | एक मासूम सा प्रेम का एहसास जो उस समय हम दोस्तों के बीच हुआ करता था ।
सचमुच, कुछ ही सालों पहले की तो बात है | कैसे दिन गुजर गए और हम सब बचपन की दहलीज़ को पार कर जवानी में आए और फिर अब बुढ़ापा भी आ गया | इस जीवन के सफर में बहुत सारी खट्टी – मीठी यादें अपने जेहन में समाई हुई है |
आज भी याद है वो बचपन के दिन जब हम कपड़े के थैले में अपना स्लेट, कापी – पेंसिल लेकर सरकारी स्कूल में जाया करते थे | स्लेट को अपनी थूक से मिटाया करते थे, लेकिन डर का बोध भी था कि कहीं विद्या माता नाराज़ न हो जाएँ |
गणित के कठिन सवालों का हल न पाने का गुस्सा पेंसिल के पिछले भाग को दांतों से चबा चबा कर निकाला करता था |

कक्षा “छठी” में हमने पहली बार ABC से रु- ब- रु हुआ था | अँग्रेजी के भूत से डर इतना जैसे आज लोग कोरोना से डरते है | ये भूत यूं तो आज भी पीछा करता है |
स्कूल में पीटते हुए और मूरगा बनते हुए हमारा ego कभी परेशान नहीं करता था | क्योंकि, तब हमे पता ही नहीं था कि ego होता क्या है ? स्कूल में पिटाई तो हमारे दैनिक जीवन की सहज और सामान्य प्रक्रिया थी |
मार खाने के बाद भी दोनों खुश थे | कौआ सर (शिक्षक ) इस बात से खुश थे कि चलो आज हाथ साफ करने का मौका मिला और हम इसलिए खुश थे कि चलो आज कम पिटाई लगी |
जब हम पिछली कक्षा को पार कर नई कक्षा में प्रवेश पाते तो गज़ब का उत्साह होता था | नई कॉपी और किताबों पर प्यार से नया जिल्द चढ़ाना जैसे वार्षिक उत्सव से कम नहीं होता था | और बस्ता रखने का झोला भी नई सिलवाते थे |

बचपन की उन यादों से आज भी मन पुलकित हो जाता है । उन दिनों, मन में, विचारों में, बातचीत में, भावनाओं में किसी तरह का स्वार्थ नहीं दिखता था । मन उतना ही साफ रहता था जितना सोचा जाना आज के स्वार्थमय संसार में सम्भव नहीं लगता है।
बचपन के उन सुहाने दिनों में हम अपने छोटे-छोटे दोस्तों के साथ मस्ती में धमाल किया करते थे। आज के बच्चों की तरह हमारे सामने न तो बस्तों का बोझ था और न ही ऑनलाइन क्लास का टेंशन था | हम तो उन दिनों में पढ़ाई को भी खेल की तरह से लिया करते थे।
हाफ पैंट वाले दोस्तों के संग भाड़े की साइकिल से छुट्टी के दिन स्कूटर का मजा लेते थे |
न AC , न बिजली और न पंखा, बस आम के पेड़ के नीचे बैठ AC का मजा लेते थे | शाम होते ही पढ़ाई के लिए लालटेन का शीशा बड़े ध्यान से साफ किया करते थे |
वह समय कुछ और ही था | आधुनिकता का चलन सम्बन्धों और रिश्तों पर नहीं पड़ा था । उन दिनों न टी0 वी0 की रंगीन दुनिया थी और न ही सोशल मीडिया | बस हमारे लंगोटिया यार थे और थी हमारी भरपूर शरारते |

हुल्लड़ मचाते, धमाल काटते , पतंग उड़ाते , बिना इस बात की परवाह किए कि हमारे आसपास क्या हो रहा है | हम सभी तो अपने आप में ही मगन रहते हुए बचपन का भरपूर आनन्द उठाया करते थे । आज वो सब बातें एक मधुर सपने की तरह लगता है |
आज उन्ही दिनों के यादों को समेटता यह कविता शेयर कर रहा हूँ… अपनी प्रतिक्रिया ज़रूर दें , मुझे बहुत ख़ुशी होगी |

हम कमाल करते थे
बचपन के दिन भी उफ़, क्या दिन थे
छोटी छोटी बातों से हम कितने खुश थे
अब पचपन की उम्र मे बचपन की यादें
वो होली के दिन और दीवाली की रातें
तब मिलकर हम सब धमाल करते थे
बचपन में हम सब कमाल करते थे |
लौटते स्कूल से बगीचे में रुक जाना
दोस्तों के संग खट्टे मीठे आम खाना,
टिकोले को पत्थरों से मार कर गिराना
वहाँ के चौकीदार को हम परेशान करते थे
सच, मिलकर हम सब धमाल करते थे
बचपन में हम सब कमाल करते थे |
वो भी क्या दिन थे जब हम स्कूल जाते थे
टीचर हम दोस्तों को बार बार मुर्गा बनाते थे
कभी धुप तो कभी बेंच पर खड़ा कराते थे
मार खाते थे पर न कोई सवाल करते थे
तब मिलकर हम सब धमाल करते थे
बचपन में हम सब कमाल करते थे |
याद आता है वो बचपन के दोस्त सभी
लट्टू नचाते थे और पतंग उड़ाते थे
बरसात में कागज़ की नाव चलाते थे
खूब झगड़ते थे पर एक दुसरे पर मरते थे
तब मिलकर हम सब धमाल करते थे
बचपन में हम सब कमाल करते थे
विजय वर्मा
Please click below for Celebration of Happiness .
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share, and comments
Please follow the blog on social media … visit my website to click below.
Categories: infotainment
सुंदर चित्रण! कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन 😊
LikeLiked by 2 people
बहुत बहुत धन्यवाद सर् जी। यादें ही बाकी है।
LikeLiked by 2 people
Esses sorrisos!🙂❣️
LikeLiked by 1 person
Obrigado querida, continue sorrindo.🙂❣️
LikeLike
Sim, continuamos 🙂☺️🙂
LikeLiked by 1 person
Sim, fique feliz, fique abençoado. 🙂
LikeLike
🍀🙏
LikeLiked by 1 person
boa noite querido
LikeLike
🌃 Boa noite 💤
LikeLiked by 1 person
Doce sonho💤
LikeLike
🙏✨
LikeLiked by 1 person
Te vejo amanhã.
🙏✨
LikeLike
Sim, até amanhã 🙏✨
LikeLiked by 1 person
Clima agradável aqui, bom dia querida.🙏✨
LikeLike
So much fun!😍
LikeLiked by 1 person
Yes Dear,
Thanks for reading this article.
LikeLike
Bachpan hi acha tha 🙂
LikeLiked by 1 person
हा हा हा , बचपन के समय सोचते थे कि कब बड़े हो जाएँ ,
और अपनी मर्ज़ी की ज़िंदगी जिए / अब लगता है बचपन ही अच्छा था |
LikeLiked by 1 person
बचपन की मजेदार बातें याद कर मन खुश हो गया।
LikeLiked by 1 person
सही है , बचपन की यादें मन को खुशी देती है |
LikeLike
Wonderful post with beautiful pics.
LikeLiked by 1 person
Thank you dear..
LikeLiked by 1 person
You are welcome Verma ji.
LikeLiked by 1 person
Good night dear..
See you tomorrow.
LikeLiked by 1 person
Happy weekend.
LikeLiked by 1 person
Good morning Dear..
Have ca nice day..
LikeLike
बचपन के दिन भुला न देना।दिन वे सुहाने लड़कपन के नजरों में घुमें बहार बन के।
LikeLiked by 2 people
सही कहा है डिअर।
LikeLike
Sundar lekha ke Saath kavita bhi acchi hai.Sketched bhi Bahut sundar hai.Bachpan kabhi hum bhul nahi skate.Lekha ko sundar banane aapka prayas bahut sundar.
LikeLiked by 2 people
Thank you so much dear..
Your beautiful comments keep me going.
LikeLiked by 1 person
इस ब्लॉग को पढ़कर तो वाकई में मजा ही आ गया इतना बढ़िया कविता लिखकर अपने दिल जीत लिया ❤️❤️❤️
LikeLiked by 1 person
बहुत बहुत धन्यवाद डियर |
आपके शब्द हमे बेहद खुशी प्रदान करते है |
LikeLike
Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Peace of mind is a beautiful gift , which only
we can give to ourselves just by
expecting nothing from anyone. .
Be happy…. Be healthy…. Be alive…
LikeLike