
मैं इस ब्लॉग के माध्यम से अपनी बहुत सारी रचनाएँ पोस्ट करते रहता हूँ,, जिनमे से कुछ रचनाये काफी बड़ी होती है | अतः आप सबों की सुविधा के लिए उसे धारावाहिक के रूप में प्रस्तुत करता हूँ |
आज भी मैं अपने इस ब्लॉग में अपना संस्मरण जिसका शीषक मैंने “मेरी विदेश यात्रा” रखा है, वह आप सबों के बीच प्रस्तुत करने जा रहा हूँ |
यह संस्मरण मेरे विदेश यात्रा के अनुभव की प्रस्तुति है और यह भी थोडा लम्बा होने वाला है | अतः इसे किस्तों में लिखने का फैसला किया है ताकि आप इसका अच्छी तरह से आनंद ले सके और आप की दिलचस्पी भी इसमें बनी रहे |
आप सब मेरे हर ब्लॉग को धैर्य पूर्वक पढ़ते है और पसंद भी करते है | इसके लिए आप सबो का तहे दिल से शुक्रिया |
कभी कभी इंसान जब अपने ज़िदगी के बिताये हुए लम्हों को याद करता है तो कुछ पल ऐसे भी होते है जिसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करने का मन करता है |
आज से बात चार साल पहले की बात है | मैं बैंक की नौकरी से रिटायर (retire) होने वाला था और बैंक के तरफ से मेरा अंतिम रियात्री यात्रा ( LFC ) लेने का समय था..| बैंक के द्वारा दी जाने वाली राशी से देश विदेश में भ्रमण करने का अंतिम मौका |
घर में बच्चे जिद करने लगे कि कही विदेश यात्रा पर घुमने जायेंगे | लेकिन मैं किसी तरह इसे टाल रहा था |

इसका मुख्य कारण था कि मैं आज भी हवाई यात्रा पसंद नहीं करता हूँ | दिल्ली मुंबई की हवाई यात्रा तो किसी तरह 2-3 घंटे की झेल लेता हूँ |
हालाँकि प्लेन जब तक हवा में रहता है तब तक मेरी जान अटकी रहती है और मन ही मन सोचता हूँ कि प्लेन कब लैंड करें तो इस आफत से छूटकारा मिले | और यहाँ तो विदेश यात्रा की बात थी |
विदेश यात्रा का मतलब था कि हवाई जहाज़ का सफ़र कम से कम छः घंटे का तो होगा ही | इतनी लम्बे समय तक हवा में रहने का मतलब है कि मेरी तो बस जान ही निकल जाएगी |
लेकिन बच्चो के जिद के आगे मुझे भी अपनी सहमती देनी ही पड़ी |
तब मैं अपने मन को समझाया कि प्लेन में इतने लोग होंगे तो सिर्फ मुझे ही डर क्यों लगना चाहिए ?
रोज़ लाखों लोग प्लेन से सफ़र करते है, तो मुझे क्यों डरना चाहिए ?
मैंने हिम्मत दिखाते हुए बैंक में LFC के लिए अर्जी दे दी और वह तुरंत मंज़ूर भी हो गया |
मुझे 14 दिनों का टूर पैकेज दिया गया था, जिसके तहत विदेश में मलेशिया और सिंगापूर घूमना और इसके अलावा मुंबई और भुज (गुजरात ) का भ्रमण भी था |

विदेश यात्रा की खबर सुन कर मेरे परिवार के लोग, खास कर मेरा छोटा बेटा बहुत खुश हुआ और फिर अपनी तैयारी शुरू हो गई |
जून का महिना था इसलिए गरम मौसम के कारण ज्यादा कपडे और सामान लेने की ज़रुरत नहीं पड़ी |
सारी तैयारी पूरी हो चुकी थी ..मैंने अपने एक दोस्त से उसकी कार मंगाई और घर से कोलकाता एअरपोर्ट के लिए निकल गया |
हमलोगों करीब दो किलोमीटर ही तय किये थे, तभी अचानक एक बिल्ली रास्ता काट गई और ड्राईवर ने जोर से ब्रेक लगा दिया |
गाड़ी स्पीड में होने के कारण एक झटके के साथ रुक तो गई लेकिन वह लक्ष्मण रेखा पार हो चुकी थी, जो बिल्ली द्वारा खिची गई थी |
अब तो मेरा दिल जोर – जोर से धड़कने लगा | मैं तो पहले से ही विदेश यात्रा के पक्ष में नहीं था और अपने परिवार से कहा भी था कि कही domestic यात्रा पर घूम आते है |
लेकिन बच्चो का कहना था कि देश में तो कभी भी घूम सकते है, विदेश में घुमने का मज़ा ही कुछ और है, वह भी बैंक के खर्चे से |
मैं धड़कते दिल से किसी तरह कोलकाता के एअरपोर्ट में दाखिल हुआ | ड्राईवर को कुछ पैसे देकर विदा किया और हम सभी गेट नम्बर- 4 से अन्दर दाखिल हुए,|
हाँ, यहाँ मैं बता दूँ कि हम सभी 3 लोग थे.. मैं मेरी पत्नी औए मेरा छोटा बेटा |

शाम के सात बज रहे थे, लेकिन हमारा फ्लाइट रात के ११ बजे था, दिनांक 25 जून 2017 |
हमलोग एअरपोर्ट पर ही बैठ कर अपने फ्लाइट का इंतज़ार कर रहे थे तभी १० बजे रात को उद्घोषणा हुई और हमलोग सिक्यूरिटी चेक करने के बाद फ्लाइट में बैठ गए |
मैं लगातार भगवान् को स्मरण करता रहता था क्योंकि बिल्ली के रास्ता काटने वाली बात मेरे जेहन में थी |
फ्लाइट में सभी लोग आराम से सो रहे थे लेकिन मेरी आँखों में नींद कहाँ |
अचानक जहाज जोर – जोर से हिचकोले खाने लगा | मेरी तो सांस ही अटक गयी | मुझे लगा फ्लाइट क्रेश करने वाली है, तभी फ्लाइट में एयर होस्टेस की उद्घोषणा सुना .. आप अपने सीट बेल्ट बांधे रहे | बाहर मौसम ख़राब होने की वजह से……|
मैं खिड़की के बाहर देखने की कोशिश की परन्तु बाहर घोर अँधेरा था | एक तो आधी रात का समय और शायद हमारी जहाज़ बादलों के भीतर से गुज़र रहा था |
खैर, थोड़ी देर के बाद स्थिति सामान्य हुई और इस तरह सात घंटे की हवाई सफ़र के बाद अंततः सुरक्षित सिंगापूर में लैंड कर गए |
हमारे घड़ी के अनुसार सुबह के 4.30 बजा रहा था और अभी सूर्योदय नहीं होना चहिये था लेकिन यहाँ तो सुबह की लालिमा नज़र आ रही थी |
सिंगापूर के समय के हिसाब से 7.00 बज रहे थे , क्योकि यहाँ का समय 2.30 घंटे आगे रहता है |
हमलोग फ्लाइट से उतर कर waiting launge में चले आये और होटल जाने के लिए कार का इंतज़ार करने लगे | जैसा कि हमें बताया गया था कि तयशुदा समय पर मेरी गाडी आकर हमें होटल ले कर जाएगी |
लेकिन करीब आधा घंटा बीत जाने के बाद भी ना गाड़ी आयी और न कोई टूर गाइड ही आया | हमलोग घबरा कर टूर ऑपरेटर को फ़ोन लगाने की कोशिश की, लेकिन इंटरनेशनल फ़ोन की सुविधा न होने के कारण कनेक्ट नहीं हो सका |
तब हमलोगों ने उसे मेसेज किया और उसके जबाब का इंतज़ार करते रहे |
कुछ देर बाद मेसेज का जबाब आया …कि वहाँ ड्राईवर आपलोगों को एक घंटा से खोज रहा है |

मुझे सुन कर आश्चर्य हुआ | तभी राजेश कुमार नाम का व्यक्ति मेरे पास आया और पूछा…आप ही विजय वर्मा है |…
मैंने कहा ..जी , मैं ही हूँ |
तभी साथ खड़ा आदमी को देख कर मैंने कहा….यह आदमी मुझसे बार बार पूछ रहा था कि मैं राजेश कुमार हूँ ?
वे हँसते हुए बोले ..चलिए रास्ते में हकीकत बताता हूँ |
हमलोग एक मिनी बस में सवार हो गए | अब हमलोग दो परिवार इस टूर का हिस्सा हो गए | राजेश जी ने बताया कि मैं रांची से आ रहा हूँ और हम दोनों का साझा टूर पैकेज है |
चूँकि मेरी फ्लाइट लेट हो गयी और यह ड्राईवर को मेरा नाम (राजेश कुमार) देकर भेजा गया था |
इसलिए यह confusion हो गया था.| तब मुझे सारा माजरा समझ में आया | (क्रमशः)
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Categories: Tour & Travel
आपका फैसला अच्छा लगा, आपके विदेश यात्रा का अनुभव आपके शब्दों में पढ़ना अच्छा लगेगा, धन्यवाद।
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हा हा हा ..
बहुत बहुत धन्यवाद सर जी |
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रोचक विदेश यात्रा पढ़ कर अच्छा लगा।
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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विदेश यात्रा का रोमांच और उस बीच बिल्ली का रास्ता काटना कहानी को रोचक बनाता है। अगली कड़ी का इंतजार है।
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बहुत बहुत धन्यवाद् डिअर |
अगली कड़ी का link इसी में नीचे दिया गया है |
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
A dream is your creative vision for your life in the future,
You must break out your current comfort zone and
become comfortable with the unfamiliar and the unknown..
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