
संतों ने ठीक ही कहा है कि जो आपका है उसे कोई आपसे छीन नहीं सकता और जो आपसे छिन गया, समझो वह कभी आपका था ही नहीं । इस तथ्य को यदि हम जीवन में अपनाने में सफल हो जाएँ तो फ़िर क्या बात है ।
आधुनिकता के इस दौर में हर कोई काफ़ी कुछ पाना चाहता है और एक दूसरे को पीछे करने की होड़ लगा हुआ है। स्वयं को बेहतर बनाने और दिखाने के लिए तरह तरह के हथकंडे अपनाएं जा रहें हैं जो किसी मायने में सही नहीं है |
आजकल सोशल मीडिया पर लोगों के स्टेटस को देख कर हम अपनी तुलना उस से करने लग जाते है | जब कि हमें यह पता होना चाहिए कि सोशल मीडिया पर दिखाई जाने वाली बातों में सच्चाई कम होती है |
दूसरों के पास उपलब्ध संसाधनों व चीज़ों को देख कर हम लोगों के मन में ईर्ष्या भाव भी उत्पन्न होता है और हम भी उन सारी सुविधाओं को पाने के लिए जुट जाते हैं। ऐसी स्थिती में हम अपना चैन और वर्तमान समय की ख़ुशी को खो देते है | हम खुद ही अपना काफ़ी नुकसान कर लेते हैं।
यह सच है कि जितनी बड़ी अपनी चादर हो उतने ही पैर पसारने चाहिए। जीवन मे प्रगतिशील होना अत्यंत आवश्यक है किन्तु संयम और संतोष को अपनी जीवनशैली से दूर रखना मूर्खतापूर्ण है।

मनुष्य की एक विशेष प्रवृति होती है | वो कभी स्वयं से संतुष्ट नहीं रहता, कभी स्वयं से प्रसन्न नहीं रहता | उसके पास जो है, उससे और अधिक पाना चाहता है | जो हासिल कर लिया ,उससे आगे बढ़ना चाहता है | अपने जीवन में परिवर्तन लाना चाहता है | इसी प्रवृति के कारण संसार में विकास होता है |
इसके लिए मनुष्य उसके खोज में भटकता रहता है जो उसके जीवन में बदलाव ला सके | उसे मार्ग दिखा सके | उसके जीवन में परिवर्तन ला सके |
लेकिन सच तो यह है कि यह मार्गदर्शक हमारे अन्दर ही छुपा बैठा है , उसे ढूंढ कर बाहर लाना होगा | जी हाँ, हम खुद के ही प्रयास से खुद में बदलाव कर सकते है | दुसरे हमारे अन्दर बदलाव नहीं ला सकते है |
सच्चा सुख तो तब है जब हमारे पास जो है उसी में आनंद महसूस करें | संतोषी व्यक्ति हमेशा आनंद का जीवन जीता है वह संसार में अमीर बनने की होड़ में कोई ऐसा वैसा कदम नहीं उठाता है | आज कल जो भ्रष्टाचार और अनैतिक कार्यों का प्रचलन है उसके पीछे भी कारण असंतोष का ही है | हर आदमी रातों रात अमीर बनना चाहता है |

संतोष एक ऐसी चीज़ है जो गरीबी में भी आपको बहुत आनंद प्रदान करता है और इसकी अनुपस्थिति से हमारा जीवन कष्टमय हो जाता है । इन बातों को ध्यान में रखकर जब हम विचार-मंथन करते हैं तो लगता है कि हमारे पूर्वजों, महान साधू-संतों के संदेश जनहित में कारगर साबित होते हैं।
हमारे संतों ने पास कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं था लेकिन अपने ज्ञान से समाज में अनेकानेक कल्याणकारी कार्य किए और जनता को सत्यमार्ग पर चलने का उपदेश दिया।
आज हम भले ही कितने आधुनिक हो गए हों लेकिन आज भी कुछ ऐसे लोग है जो शालीनता और संस्कार से परिपूर्ण हैं । ऐसे लोग आवश्यक वस्तुओं को ही अपने पास रखते हैं | कोई दिखावा नहीं करते और अपनी इच्छाओं को सीमित रखते हैं ।
आजकल इस तरह का स्वभाव धारण करने वाले व्यक्ति किसी साधू से कम नहीं हैं । हम सभी को ऐसे ही गुण अपनाने चाहिए । अपने आप में परिवर्तन लाना चाहिए |

संतोष ही परम सुख है। परमेश्वर से जो कुछ मिला है उसी का प्रसन्न रहकर भोग करना चाहिए ताकि किसी प्रकार का लोभ या तृष्णा न सताए।
यह ध्यान देने वाली बात है कि सन्तोषी व्यक्ति सदा सुखी ही रहतें हैं अतः हमें भी ईश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि हम भी संतोषी बनें । जिसे संतोषरूपी धन प्राप्त हो गया वही संसार में धनवान है।
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प्रेरक एवं शिक्षाप्रद।
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बिल्कुल सही कहा। हमे जीवन मे संतोष के महत्व को समझना चाहिए।
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You have quoted a very nice phrase of our ancient saints that nobody can snatch away your inherent property as such . This is yours . And whatever is snatched , it means , it never belong to you . Satisfaction , thy name is life . And Satisfaction comes in out of spirituality . Spiritual mind can only thinks in this way . Your blog, however , is nice and beautiful . Thanks !
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Thank you so much..
The words of ancient Saint have very much relevance in today’s life.
We should follow their saying.
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Thanks !
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you are welcome..
Stay connected…Stay happy..
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Lord Budha said.” Kamana ko nasta karo to dukh chala jayega. Every person has desire small or big.Nicely written with own conceptions.
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Very well said, dear..
Thanks for sharing your thought..
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very nice post. vaise Islam dharm humein yeh sikhaata hai ke woh aadmi jo dukh mein aur sukh mein santosh karke Eishwar ka shukar ada kare, woh dono haathon mein laddoo rakhta hai. Sukh mein agar shukar kare to Eishwar usey aur bhi deta hai. Aur dukh mein bhi shukar kare to us ke sabar se Eishwar khush hota hai aur phir uske dukh ko bhi sukh mein badal deta hai.
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बहुत अच्छी सोच और अच्छी जानकारी शेयर किया है।बिल्कुल सत्य है।
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Dhanya ho Eishwar Allah ka. Sab kuch uski krupa se hi hai.
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Yes, we should be grateful to our God.
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True. Our God is the same God. The only difference is you call him Eishwar, while I call him Allah. But, He alone has created us all and hence we are all human brothers.
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Yes dear, all these are religious matters.
But the truth is that we all are human beings.
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बहुत सुन्दर और सही समझ युक्त पोस्ट।
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Thank you dear..
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
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संतोष ही परम सुख
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बिलकुल सही |
संतोष में ही सुख है |
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संतोष और लगन बहुत जरूरी है जिंदगी के लिए।
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सर, बिलकुल सही कहा है आपने |
लेकिन आजकल लोगों के पास संतोष नहीं है |
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
Good evening friends..
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