
हम सब आत्माएं है, और ये ज़िन्दगी हम सब आत्माओं के लिए एक इम्तिहान है अपने अंदर से सबसे अच्छे रूप को बाहर निकालने का |
ये बातें गीता में कही गयी है | इसमें बहुत सारी ज्ञान की बातें श्री कृष्णा के द्वारा महाभारत के रन भूमि में अर्जुन से कही गयी थी, जो आज 5000 साल के बाद भी प्रासंगिक है |
ये ज्ञान की बातें भगवान् कृष्ण ने उस समय कही थी जब धर्म का बार बार उलंघन हो रहा था | परमात्मा का डर मनुष्य से निकल गया था |
लालच की होड़ में भाई ने भाई को मारने की कोशिश की | यही नहीं, एक ब्याहता औरत को भरी सभा में अपने बड़ो के सामने अपमानित किया गया |
इससे पहले की मनुष्य जाति अपनी “धर्मयुग” से निकल कर पूर्ण रूप से “कलियुग” में जाती, महाभारत युद्ध की रणभूमि से कुछ पहले परमात्मा ने गीता में भगवान् कृष्णा के द्वारा मनुष्य जाति के कल्याण के लिए कही | यह पुरे मनुष्य जाति के लिए है | पूरी इंसानियत के लिए है | सब आत्माओं के लिए है |
क्योंकि यह आत्मा को परमात्मा के बारे में उसकी सृष्टि के बारे में समझाती है, जिनका आत्मा को मनुष्य के रूप में हर हाल में पालन करना चाहिए | इन्ही कायदों की बुनियाद पर एक आत्मा को शरीर त्यागने के बाद परखा जायेगा |
और इस परीक्षा से पास होने पर आत्मा को हमेशा के लिए जनम और मृत्यु से मुक्ति मिल जाएगी |

परमात्मा भगवत गीता में कहते है कि मैं ही सब की शुरुआत हूँ | मैं शुरू से भी पहले था और सब ख़तम होने के बाद भी रहूँगा | सब मुझमे है और मैं सब में हूँ | जो चीज़ को तुम छू सकते हो, देख सकते हो, चख सकते हो या सुन सकते हो, वो सब मैं हूँ |
ये नदियाँ, पहाड़, सूरज, चाँद सितारे सब मैंने बनाये है | मैंने ही देवता – दानव, शैतान और इंसान बनाये | मैं सर्वव्यापी हूँ | सब में रहता हूँ |
मैं ही ब्रम्हा बन कर सबकी श्रृष्टि करता हूँ और रूद्र बन कर सब नष्ट कर देता हूँ | मैं यह सृष्टि बनाता और तोड़ता रहूँगा ताकि आत्माओं को मौके मिल सके, इस जनम और मृत्यु से एक दिन मोक्ष पाने को | हमेशा के लिए परमात्मा के साथ रहने को |
भगवत गीता कहती है कि सबसे बड़ी परीक्षा के लिए परमात्मा ने प्रकृति का निर्माण पांच तत्त्व — हवा, जल, अग्नि, पृथ्वी और इथर से किया है | इसे हम छू कर, चख कर, सूंघ कर, देख कर समझ सकते है |
लेकिन हम अपनी पांच इन्द्रियों से परमात्मा को समझ नहीं सकते है | उसके लिए हमें इन इन्द्रियों के आलावा अलौकिक शक्ति की आवश्यकता होगी |
अर्जुन को भी परमात्मा का विराट रूप देखने के लिए भगवान् कृष्ण ने दिव्य नेत्र दिए |
गीता समझाती है कि आत्मा अजन्मी है इसे कोई नहीं मार सकता, कोई जला नहीं सकता, डूबा नहीं सकता, काट नहीं सकता लेकिन आत्मा को परमात्मा के साथ हमेशा रहने के लिए ये परीक्षा रूपी जीवन में बैठना ही पड़ेगा |
इस परीक्षा के लिए परमात्मा से बिछुड़ के आत्मा को पृथ्वी पर किसी न किसी रूप में जनम लेना पड़ता है | और 88 करोड़ योणि को जीने और और भोगने के बाद एक आत्मा को मनुष्य का शरीर और दिमाग मिलता है |
हर मनुष्य को इस पूरी परीक्षा के दौरान तरह तरह की अच्छी और बुरी भावनाओ के चक्रबयूह मे अपने ही भाई बहन, मित्रों के साथ डाला जाता है जिसमे हर आत्मा को अपने अन्दर के तामसिक और राजसिक गुणों से निकल कर सात्विक जीवन में प्रवेश करने के मौके मिलते है |
हमारे तामसिक गुण वो है जो हमारे अन्दर हिन् भावना पैदा करके हमें खुद को उदास और नुक्सान पहुंचाते है |
और हमारे राजसिक गुण हमें इर्शालू और लोभी बना कर दुसरे के प्रति नुक्सान पहुँचा सकते है |
इस परीक्षा के दौरान हर आत्मा को तामसिक और राजसिक गुणों को समाप्त कर अपने सात्विक गुणों से परिचित होना पड़ेगा |
सात्विक गुण वो हो जो आत्मा को अपने आस पास की हर चीज़ से जोड़े और उन्हें प्यार करना सिखाते है |

परीक्षा के दौरान हर आत्मा को जीवन के चारो स्तम्भ — धरम, अर्थ, काम और मोक्ष का ज्ञान पा कर ही मुक्ति मिलती है | यही वो द्वार है जिन्हें समझ कर ही आत्मा परमात्मा को समझ सकता है |
पहला द्वार धरम का है और शेर इसका प्रतिक है | धरम वही है जो गीता में लिखा हुआ है | धरम वही है जो धारण किया हुआ है | जिसे आपका दिल मानता है , जैसे झूठ नहीं बोलना, चोरी नहीं करना, भगवान् का निरादर नहीं करना, दूसरों को नुक्सान नहीं पहुँचाना | यही धरम है और आत्मा को हर समय इसका पालन करना होगा | उसकी रक्षा करनी होगी |
दूसरा द्वार अर्थ का है, घोडा इसका प्रतिक है | हर आत्मा अपने जीवन काल में अपने पृथ्वी पर होने का अर्थ या मूल कारण समझेगी | इस ज़िन्दगी में भोगने वाली चीजें और रिश्तों का आनंद लेगी | अच्छा बेटा या अच्छा बेटी, अच्छा भाई या अच्छा बहन, अच्छा पति या अच्छी पत्नी बन के हर दुनियावी रिश्ते पर खरी उतेरेगी | और इस परीक्षा को पास करेगी |
तीसरा द्वार काम का है | गीता हमें समझाती है कि हर मनुष्य के अन्दर काम, क्रोध, लोभ. मोह, अहंकार और इर्ष्या जैसी छः भावनाएं हमें अपने और दूसरों के प्रति नुक्सान पहुँचा सकती है | इन भावनाओं को हर मनुष्य को हमेशा अपने नियंत्रण में रखना होगा | क्योंकि इनके बहाव में किया हुआ कोई भी काम हमारे जीवन भर की परेशानी का कारण बन सकता है | हम हमेशा के लिए इस पर विजय पा सकते है |
चौथा द्वार मोक्ष का है | हाथी इसका प्रतिक है | इस परीक्षा रूपी जीवन में हर मनुष्य को हर समय कुछ इच्छाएं रखता है | कुछ इच्छाएं एक ही जनम काल में पूरी हो जाती है और कुछ अधूरी रह जाती है | अधूरी इच्छा को पूरा होने के लिए आत्मा को वापस पृथ्वी पर आना पड़ता है |

गीता के अनुसार, हमारी इच्छाएं ही मूल कारण है हमारे पृथ्वी पर वापस आने का और अगर हम कोई भी इच्छा ना रखे तो हम जीवन और मृत्यु से मुक्त हो सकते है |
यह द्वार माफ़ी का भी है जिन्होंने आपके साथ बुरा किया उनको माफ़ करके और जिनसे आप ने बुरा किया उससे माफ़ी मांग कर मुक्ति पाई जा सकती है | जब तक आत्माएं इन चारो दरवाज़ा को समझ नहीं लेती तब तक आत्मा को बार बार धरती पर आना पड़ेगा |
परीक्षा का समय ख़तम होते ही, मनुष्य उन सभी चीज़ का त्याग कर देती है जो वह संसार में रह कर बनाया है | अब वो किसी और का होगा और आत्मा अपने कर्मो के हिसाब पाने चला जाता है | अच्छे कर्मो के लिए स्वर्ग और बुरे कर्मो के लिए नरक में चली जाती है | — जय श्री कृष्णा
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अच्छे बुरे,आत्मा परमात्मा इत्यादि की सटीक एवं प्रेरक ब्याख्या इस लेख को पठनीय बनाते हैं।
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thank you so much..
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आत्मा और परमात्मा का सरलीकृत ब्यख्या ।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति। गीता का संक्षिप्त अर्थ बिल्कुल यही है।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर,
हमें अध्यात्म ज्ञान भी ज़रूरी है , सुखी जीवन जीने के लिए |
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Bahut sundar varnan. Magar tisara dwar ka pratik kya hai.
Pratham dwar ka sher, dwitiya dwar ka ghoda, choutha dwar ka haathi.
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hahaha…
Yes sir, tisre dwar ke pratil ko bhi correction kar dunga ..
Thanks for your minute observation,, that makes the blog value reading..
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बहुत अच्छा! श्रीमद्भागवत गीता संसार के नियम को इतने सरल तरीके से प्रस्तुत करता है, कि जो समझता है उसके लिए बहुत बड़ा आश्चर्य है। और जीवन का यह आश्चर्य वास्तव में वास्तविक है।
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सत्य कहा आपने |
अपने विचार व्यक्त करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद ..
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बहुत सही बात है, धन्यवाद
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जी, बहुत बहुत धन्यवाद |
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very well explained
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Thank you so much dear ..
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Welcome sir
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stay connected …stay happy..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
After the rain comes a rainbow, after a storm comes a calm,
after a night comes morning and after an ending comes
to a new beginning..
Stay strong… Stay blessed..
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