#बस, मैं मुस्कुरा देता हूँ#

दोस्तों

26 जनवरी को हर वर्ष हमारे देश में गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है |

आज 26 जनवरी है और  पूरा देश 73वां  गणतंत्र दिवस मना रहा है | 26 जनवरी 1950 के दिन पहली बार हमारे देश का संविधान लागू किया गया था, इस दिन को पूरे भारतवर्ष में खुशी और उल्लास के साथ मनाया जाता है |

आज हम बात कर रहे हैं, यशस्वी भारत के अपने  गौरवशाली  संविधान की जिसकी नीवं  डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी द्वारा रखी गयी थी। आज यही संविधान भारत की आत्मा है | हमारे सविंधान में  हम भारतीयों के लिए नियमो, कर्तव्यों और अधिकारों की व्याख्या है, इसका पालन हम सारे देशवासी आदर और श्रद्धा के साथ करते है |

 इस संविधान का सम्मान करना और इसे सर्वोपरि रखना हम सभी देश वासियों का मौलिक कर्त्तव्य है।

इस अवसर पर हमारे बैंक शाखा में भी झंडा फहराया जाता है और हम लोग इस अवसर पर सभी लोगों को मिठाई खिला कर ख़ुशी प्रकट करते है |

इस सम्बन्ध में एक वाकया याद आ रहा है जिसकी चर्चा  यहाँ करना चाहता हूँ | बात उन दिनों की है जब हमारी  पोस्टिंग मुजफ्फरपुर शाखा में थी  | हमारे शाखा प्रबंधक महोदय छुट्टी पर थे और मैं शाखा के चार्ज में था |

मैं वहाँ अकेला ही रहता था, इसलिए प्रत्येक शनिवार की शाम में अपने घर (पटना ) आ जाता था और फिर अगले सोमवार को शाखा ज्वाइन कर लेता था | इस बार शनिवार को ही गणतंत्र दिवस था | मैंने सोचा कि झंडा फहरा लेने के बाद पटना चला जाऊंगा क्योकि अगला दिन रविवार था | लेकिन समस्या थी कि शाम में झंडा को कौन उतारेगा ?

तभी हमारे शाखा के गार्ड ने कहा – आप निश्चिन्त होकर घर जाएँ, मैं शाम में झंडा उतार कर शाखा में रख दूंगा | वह गार्ड दो किलोमीटर की दुरी पर ही रहता था |

मुझे उसका सुझाव अच्छा लगा | और मैं तिरंगा फहराने के बाद पटना जाने हेतु सरकारी बस में बैठ गया | वहाँ से करीब ८० किलोमीटर की दुरी तय कर मैं घर आ गया | लेकिन दिन में अचानक गार्ड साहब को बुखार हो गया और बुखार इतनी ज्यादा थी कि वे शाम को शाखा नहीं आ सकते थे | उन दिनों मोबाइल का जमाना नहीं था | मुजफ्फरपुर से पटना बात करनी हो तो ट्रंक कॉल की ही सुविधा थी | उस गार्ड ने किसी तरह अपने पडोसी को मेरे घर का फ़ोन नम्बर देकर स्थिति की जानकारी देने को कहा |

संयोग से मेरे घर पर लैंड लाइन फ़ोन था | ट्रंक कॉल के द्वारा मुझे सूचित किया गया लेकिन तब तक शाम के 5 बज चुके थे | मतलब एक घंटे में ही झंडा को उतारना था |

अब मैं क्या करूँ ? अगर अभी मुजफ्फरपुर के लिए प्रस्थान करूँ तो वहाँ पहुँचने में रात के आठ बज जायेंगे | और अगर झंडा समय से नहीं उतरा और बैंक को पता चला तो मेरे खिलाफ कार्यवाही होना तय था | इस समस्या का कोई समाधान नज़र नहीं आ रहा था | अंततः  मैंने  वहाँ जाने का फैसला कर लिया और फिर तुरंत घर से घबराहट में निकल पड़ा |

मैं बस में बैठा सोच रहा था कि झंडा तो उतार लूँगा, भले ही रात हो जायेंगे | लेकिन किसी ने बैंक को खबर कर दी तो  फिर क्या होगा ?

मेरा पूरा सफ़र किसी अनहोनी की आशंका में कट गए |

खैर, मैं करीब  रात के आठ बजे शाखा पहुँच गया | लेकिन मेरी चिंता और बढ़ गयी , जब मैंने पाया कि वहाँ झंडा नहीं था |  मैं खड़ा – खड़ा सोच रहा था कि झंडा कहाँ गायब हो गया ? अब तो एक और समस्या खड़ी हो गयी |

तभी मैंने देखा कि मदन बाबू मेरी तरफ आ रहे है | मदन बाबू के मकान में ही हमारी शाखा थी | वे स्वयं कुछ दुरी पर अपने दुसरे मकान में रहते थे |  मैं अभिवादन कर कुछ बोलना चाह रहा था. लेकिन तभी उन्होंने मुझे आश्चर्य से देखते हुए पूछा  – आप तो पटना गए हुए थे न,  फिर इस वक़्त यहाँ कैसे ?

जबाब में मैंने झंडे गायब होने वाली बात  उन्हें बताई |

उन्होंने हँसते  हुए कहा – मुझे पता था कि शाम को झंडा उतारना होता है | मैं शाम में इधर से गुज़र रहा था तो झंडे पर मेरी नज़र पड़ गयी | तो मैंने ही झंडा उतार कर सुरक्षित रख दिया है |

मेरी जान में जान आ गयी और अचानक सारी चिंता – फिक्र दूर हो गयी | हर गणतंत्र दिवस के अवसर पर वो घटना याद आ जाती है और मैं बस मुस्कुरा देता हूँ …

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Categories: मेरे संस्मरण

14 replies

  1. The child sang very well…best wishes

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  2. Great post and very beautiful song and singer.

    Liked by 2 people

  3. अति सुंदर, गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ |

    Liked by 2 people

  4. गणतंत्र दिवस की बधाई।

    Liked by 2 people

  5. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएं!
    संस्मरण अच्छा लगा।

    Liked by 1 person

  6. Experience of banking life is reminding you and your sincerity. Nicely presented. Video clip is beautiful.

    Liked by 1 person

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