
ठाकुर साहेब अपने घर के बरामदे में बैठ कर धुप सेंक रहे थे | जाड़े में सुबह की धुप बड़ी प्यारी होती है | ठकुराईन पास में ही बैठे मटर छिल रही थी | तभी एक फेरीवाला घर के बाहर से चिल्लाता हुआ गुज़र रहा था — “पुराने कपड़े दे दो और बदले में बर्तन ले लो |
फेरीवाले की आवाज़ सुन कर ठकुराईन अपनी साड़ी के पल्लो संभालती हुई दरवाज़े पर आयी और जोर से आवाज़ लगाईं – ओ फेरीवाले, इधर तो आना |
फेरीवाला लौट कर ठकुराईन के दरवाज़े पर आया | उसने ठकुराईन को देखा तो उसके चेहरे ख़ुशी से खिल उठे | उसने सोचा, ठकुराइन बड़े घर की है तो आज ढेर सारे कपडे मिलेंगे और अच्छी आमदनी हो जाएगी |
ऐसा सोच कर उसने माथे से भारी टोकरी को उतार कर ठकुराईन के घर के दरवाज़े के पास रखा और थोडा सुस्ताने लगा | इस बीच ठाकुर साहब स्नान करने चले गए |
ठकुराईन अन्दर से दो पुरानी साड़ी लेकर आई और उसे देते हुए फेरीवाले के पास रखे प्लास्टिक का एक बड़ा सा टब उठा लिया |

इस पर फेरीवाले ने कहा – मालकिन , यह अच्छे quality का टब है | इसके लिए तो चार साड़ी देने पड़ेंगे | इतना कह कर वह ठकुराईन के हाथ से टब लेने लगा | लेकिन वो टब वापस लौटाना नहीं चाहती थी | ठकुराईन ने उसे समझते हुए कहा — अरे फेरीवाले ! यह साड़ी सिर्फ एक एक बार की पहनी हुई तो हैं | बिल्कुल नई जैसी है | एक टब के बदले में तो ये दो भी ज्यादा हैं, मैं तो फिर भी दे रही हूँ |
फेरीवाले ने तुरंत कहा – अच्छा चार नहीं तो तीन साड़ी तो देने ही पड़ेंगे |
इस तरह एक दूसरे को अपनी पसंद के सौदे पर मनाने की प्रक्रिया चलती रही | तभी उसी समय घर के दरवाजे पर अचानक अर्द्ध विक्षिप्त हालत में एक महिला वहाँ आकर खाना मांगने लगी | चेहरे से वह भूख से व्याकुल नज़र आ रही थी |
आदतन हिकारत से उठी ठकुराईन की नजरें उस महिला के कपड़ों पर गयी | अलग अलग कतरनों को गाँठ बाँध कर बनायी गयी, उसकी साड़ी उसके शरीर को ढँकने का असफल प्रयास कर रही थी |
अपने सौदेबाजी में बिघ्न पड़ता देख कर एक बार ठकुराईन के मन में आया कि उस औरत को वहाँ से भगा दे | तभी सुबह सुबह का समय है, ऐसा सोच कर वह अंदर से रात की बची रोटियों मगवायी | उसने उसे रोटी दिया और उसे चलता किया |

और फिर ठकुराईन पलटते हुए फेरीवाले से बोली – हाँ तो, तुमने क्या सोचा ? दो साड़ियों में दे रहे हो या मैं वापस रख लूँ !
इस बार फेरी वाले ने बिना कुछ बोले ठकुराईन को चुपचाप टब पकड़ाया और दोनों पुरानी साड़ियाँ अपने गठ्ठर में बाँध कर जल्दी से बाहर निकल गया |
अपनी जीत पर मुस्कुराती हुई ठकुराईन ख़ुशी ख़ुशी टब को देख रही थी | इसी बीच ठाकुर साहेब स्नान से निवृत हो, बालों में कंघी करते हुए बरामदे में आये | उन्हें देखते ही ठकुराईन चहकते हुए ठाकुर साहब से बोल पड़ी – हमने यह नया टब उस फेरीवाले से अपनी वो दो पुरानी साड़ी के बदले लिया है, हालाँकि वह तीन साड़ी पर अड़ा हुआ था | लेकिन हमारे जोर देने पर वह किसी तरह राज़ी हो गया |

इतना कहते हुए उन दोनों की नज़र गली के मुहाने पर चली गयी | ठकुराईन ने देखा — गली के मुहाने पर वही फेरीवाला अपना गठ्ठर खोलकर उसकी दी हुई दोनों साड़ियों में से एक साड़ी उस अर्ध विक्षिप्त महिला को तन ढँकने के लिए दे रहा था |
हाथ में पकड़ा हुआ टब अब ठकुराईन को चुभता हुआ सा महसूस हो रहा था | फेरीवाले के आगे अब वो खुद को हीन महसूस कर रही थी | उसकी कुछ भी हैसियत न होने के बावजूद वो फेरीवाले ने ठकुराईन को परास्त कर दिया था | वह अब अच्छी तरह समझ चुकी थी कि बिना झिक-झिक किये उसने मात्र दो ही साड़ियों में टब क्यों दे दिया था ?
सच, कुछ देने के लिए आदमी की हैसियत नहीं , दिल बड़ा होना चाहिए | ठाकुर साहब कभी अपनी ठकुराईन को तो कभी फेरीवाले को देख रहे थे |
यह घटना हमें यह सीख देती है कि हमारे पास क्या है ? और कितना है ? यह कोई मायने नहीं रखता ! हमारा सोच व नियत सही और दिल बड़ा होना चाहिए |
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Categories: motivational
कहते हैं ना भगवान दिल सबको देता है पर दिलदार बहुत कम होते हैं ।इंसान धन से नहीं मन से बड़ा होता है ।
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सही कहा आपने |
इन्सान धन से नहीं नाम से बड़ा होता है |
कोरोनाकाल में सहयोग की प्रवृति बढ़ी है , इसके भी स्वार्थी कारण है |
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आपकी रचनाएं बड़ी प्रेरक होती हैं सर जी ।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
आपकी लेखनी भी मुझे अच्छी लगती है |
मैं समय निकाल कर पढता रहता हूँ |
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बेहतर शिक्षा प्रदायक लेखन। ✌️👏👏👏
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जी, बहुत बहुत धन्यवाद |
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बहुत सुंदर बहुत ही अच्छा लिखा है सर
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर।
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प्रेरक व सुंदर रचना 👌🏼👌🏼
कहानी वास्तविकता को दर्शाने वाली हैं ।
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बिलकुल सही कहा आपने |
यह तो अपने अपने सोच पर निर्भर करती है |
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मार्मिक कहानी। पढ कर अच्छा लगा।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर |
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Heart touching story. Nice.
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Thank you dear..
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Reblogged this on Retiredकलम and commented:
We are shaped by our thoughts, we become what we think .
When the mind is pure, joy follows like a shadow that never leaves.
Stay happy…Stay blessed..
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