आज शायद क़यामत की रात थी | ठीक रात के बारह बजे थे , और पूरा इलाका सुनसान था | सभी लोग अपने घरों में गहरी नींद में सो रहे थे. उस समय जया उस शख्स के आने का इंतज़ार कर रही थी | वो एक साल से जिसके लिए नफरत की आग में जल रही थी उसका आज दीदार होने जा रहा था |
ठीक समय पर एक बड़ी सी कार घर के सामने आकर रुकी और उससे चार लोग उतर कर जया के फ्लैट की ओर बढ़ गए |
जया के गिरोह के लोग भी वहाँ मौजूद थे | उन्होंने दरवाज़ा खोला और उन चार लोगों को अन्दर सोफे पर बैठने का इशारा किया | वो लोग सोफे पर बैठ गए और हिजड़ा गैंग के बॉस के आने का इंतज़ार कर रहे थे | तभी जया एक सूटकेस अपने हांथो में लिए प्रकट हुई | उसने अपने मुँह पर नकाब पहन रखा था ताकि शान्तु उसे पहचान नहीं सके |
वो भी सोफे के एक तरफ बैठ गयी और सूटकेस को खोल कर उनलोगों को दिखा दी ताकि वे लोग आश्वस्त हो जाएँ कि उसमे सिर्फ नोटों की गड्डी है कोई हथियार नहीं |
फिर वह इशारे से बाकी तीन लोगों को कमरे से बाहर जाने का इशारा करती है ताकि शान्तु से अकेले में बात कर सके | वे लोग जया के आदमियों के साथ बाहर निकल जाते है और पूर्व नियोजित प्लान के अनुसार शान्तु के उन तीनो आदमियों को वे लोग अपने कब्ज़े में ले लेते है |
और फिर उसी के कार में डाल कर साइलेंसर वाली पिस्तौल से उन तीनों को ठोक देते है | इधर जया के दुसरे आदमी शान्तु पर कब्ज़ा कर लेते है और उसके हाथ – पैर बाँध कर उसी कमरे के पलंग पर पटक देते है |
शान्तु को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या और क्यों हो रहा है ? तभी कमरे की मद्धिम रौशनी उजाले में बदल जाता है और फिर जया अपने मुख से नकाब हटा कर शान्तु की तरफ देखते हुए कहती है .. अब मुझे पहचाना ? गौर से देखो, मैं वही तुम्हारी जया हूँ और यह फ्लैट तो तुम्हे याद ही होगा, जहाँ तूने मुझे लाकर महीने भर मेरा उपयोग किया था | वो सब तो तुम्हे याद ही होगा क्योंकि यह तो सिर्फ साल भर पहले की बात है |
रिवाल्वर अपने ऊपर ताने देख कर शान्तु डर के मारे गिडगिडाते हुए कहता है – मुझे मत मारो, तुम्हारे साथ जो मैंने किया था वो मेरे ज़िन्दगी की सबसे बड़ी भूल थी | लेकिन मैं करता तो क्या करता ? उन दिनों मेरा बिज़नस पूरी तरह डूब चूका था | कर्जे वाले जान से मारने की धमकी दे रहे थे | इसलिए जान बचाने की खातिर तुम्हारे पैसे लेकर सिंगापूर भाग गया था |
सोचा था वहाँ फिर से कोई धंधा शुरू करूँगा | लेकिन होनी को कुछ और ही मंज़ूर था | मैं तस्कर माफिया के गिरोह में फंस गया और फिर इससे बाहर निकलने का मौका ही नहीं मिला | लेकिन मैं अब भी तुमसे प्यार करता हूँ | हम अब भी साथ रह सकते है | प्लीज, तुम मुझे माफ़ कर दो |
माफ़ कैसे कर दूँ तुझे ? – जया घृणा से उसकी ओर देखते हुआ कहा |
तुम तो जानते हो कि इस धंधे में धोखे की सजा क्या है ? और मैं इस धंधे का वसूल कैसे तोड़ दूँ ? देख, आज तू उसी कमरे में है और उसी पलंग पर, जहाँ मेरे साथ सोता था | आज मैं तुझे इसी पंखे से लटकता हुआ देखना चाहती हूँ , ताकि मेरे दिल में जो एक साल से आग धधक रही है उसे शांत कर सकूँ | इतना कह वह उसके गले का फंदा पंखे पर डाल कर उसे झुला दिया |
शान्तु की गर्दन लम्बे हो गए | वह थोड़ी देर तड़पता रहा और फिर उसका शरीर शांत हो गया | इस तरह तड़प तड़प कर उसे मरता देख जया के दिल की आग शांत हो गयी | वह नफरत भरी निगाहों से एक बार फिर शान्तु को देखी, जिसके कारण उसकी हँसती खेलती ज़िन्दगी तबाह हो गई थी |
जया के आँखों में आँसू थे और जुवान पर यह अलफ़ाज़ ……
बदला आज मैंने तुझसे कुछ इस कदर लिया ,
जितने ज़ख्म तुमने मुझे दिए थे, सूद सहित
सारे ज़ख्मों का तोहफा मैंने तुम्हे वापस दिया ..||
(एक काल्पनिक कहानी – समाप्त)
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बहुत अच्छी कहानी है ।
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बहुत बहुत धन्यवाद डिअर,
आपके शब्द हमें लिखने की प्रेरणा देते है |
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🙏
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Merry Christmas to you and your family..
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Good tragic story
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Thank you sir..
This keeps me going
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Uff heart 💓 tuching
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Thank you so much dear ..
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बदले की आग
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जी , बहुत बहुत धन्यवाद |
आपने मेरी इस कहानी को पसंद किया है |
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