मुस्कान और मदद, ये दो ऐसे है,
जिन्हें जितना अधिक, आप दूसरों पर छिड़केंगे
उतने ही सुगन्धित आप स्वयं होंगे …

कभी – कभी हमारा मन उदास हो जाता है , इसके बहुत से कारण हो सकते है | कभी कोई पुराना जख्म हमारे दिल पर दस्तक दे देता है या कभी कभी कोई टूटे रिश्ते की कसक हमें झकझोर देती हैं।
ऐसे में कभी – कभी कुछ लिख कर सोशल मीडिया पर पोस्ट हो जाता है और फिर किसी दोस्त का कॉल आ जाता है … हेल्लो विजय, सब कुछ ठीक तो है ना ?
उन्ही वेदनाओं को परिभाषित करती यह आज की कविता है …
अचानक किसी ने पूछा
हेल्लो विजय ..
कैसे हो तुम..?
तुम पहले जैसे नहीं दीखते
अब खुल कर हँसा नहीं करते ,
नहीं मित्र,
मैं बिलकुल ठीक हूँ
और पहले मैं जैसा था
आज भी वैसा ही हूँ |
कुछ कुछ खुश .
कुछ कुछ उदास
कभी देखता तारे
कभी देखता ख्वाब |
लाख टूटे सपने
पर टुटा नहीं है आस
बनेगे बिगड़े काम…
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