एक खुशहाल जीवन जीने के लिए यह स्वीकार करना ज़रूरी है कि
जो कुछ भी हमारे पास है , वो ही सबसे अच्छा है …
खुश रहें …मस्त रहें …

सच पूछा जाए तो हम अपनी ज़िंदगी को जीना ही भूल गए है । हम अपने रोजमर्रा के काम और दिन प्रतिदिन की भाग दौड़ में इतने व्यस्त हो गए है कि अपनी ज़िंदगी को ठीक से कैसे जिए ये ही भूल गए है |
ज़िन्दगी बहुत खुबसूरत है . बहुत कीमती भी है , इसे न सिर्फ जीना चाहिए बल्कि महसूस भी करना चाहिए …
यह कविता ज़िंदगी को सही ढंग से जीने और उसे समझने का एक प्रयास है।

मेरी ज़िन्दगी ..
जाने कैसी है ये ज़िन्दगी ,
एक इच्छा जब पूर्ण होती है ..
तो फिर नयी इच्छाएं जन्म लेती है
यही तो है ज़िन्दगी …|
सुख की चाह में
संघर्ष करती ये ज़िन्दगी
मात्र खुद के लिए
समय न निकाल पाती ये ज़िन्दगी
अटपटी है , अनोखी है
अनबुझ पहेली है ज़िन्दगी
जैसी भी है पर है तो
मेरी अपनी दुलारी ये ज़िन्दगी |
( विजय…
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