प्रेम की भाषा ऐसी होती है जिसे बहरे भी सुन सकते है
और गूंगे भी समझ सकते है …इसलिए हमेशा प्रेम की भाषा बोलिए |

कभी कभी कोई इंसान इतना अच्छा लगता है कि उसका इंतजार करना भी चेहरे पर अजीब सी रौनक ला देता है | बार बार उसी से बारे में सोचने पर मजबूर हो जाते है |
अपना ये दिल अपने बस में नहीं रहता है ..बस इंतज़ार , इंतज़ार और इंतज़ार रहता है उसका |
और दिल में जो भाव उधृत होते है उसी को शब्दों में पिरोने की कोशिश है ये कविता ..
अगर कविता पसंद आये तो अपने दो शब्दों से ज़रूर अवगत कराएँ…
तुम अच्छे लगते हो
जैसे हो तुम , वैसे ही रहो
तुम अच्छे लगते हो,
झील सी आँखे लगती प्यारी
उन्मुक्त स्वछन्द मुस्कान तुम्हारी
तुम सच्चे लगते हो |
तुम्हारी सादगी में है
एक अलग ही सम्मोहन
मुझे तुम जादूगर लगते हो |
गजब का आत्मविश्वास तुम्हारा
पी कर भी ना लडखडाना
तुम पक्के लगते हो |
लाखो गम सिने में छुपाना
और यूँ तेरा…
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बहुत बहुत धन्यवाद |
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