
आज के वैज्ञानिक युग में सदियों से चला आ रहा अन्धविश्वास आज भी उतना ही मजबूती से खड़ा है जितना की पहले था | हम समय – समय पर इस तरह की बातें सुनते और देखते आ रहे है |
चाहे नंबर -13 का मामला हो, काली बिल्लियाँ, घर में शीशे का टूटना, या सीढ़ियों के नीचे चलना, ऐसी बहुत सारी बातें है जिनसे हम सक्रिय रूप से बचते रहते हैं |
अंधविश्वास यह भी बताता है कि कई इमारतों में 13वीं मंजिल क्यों नहीं है ? – 13 नंबर मंजिल के अंधविश्वासी किरायेदारों के बारे में चिंताओं के कारण लिफ्ट बटन पैनल पर 13 की जगह इसे 14, 14ए 12बी या एम (वर्णमाला का 13वां अक्षर) लेबल करना पसंद करते हैं। क्योकि हमलोग no. 13 को अशुभ मानते है |
यह जान कर हैरानी होती है कि एयर फ्रांस और लुफ्थांसा जैसी कुछ एयरलाइनों की जहाज में 13वीं पंक्ति नहीं होती है। लुफ्थांसा की फ्लाइट में तो 17वीं पंक्ति भी नहीं है, क्योंकि कुछ देशों जैसे इटली और ब्राजील में 13 और 17 विशिष्ट अशुभ संख्या माना जाता है |

आप जानना चाहेंगे कि आज मैं इस विषय पर चर्चा क्यों कर रहा हूँ ?
जी हाँ दोस्तों, मैं भी अपने आप को कुछ दिनों से इस अंध विश्वास से ग्रसित महसूस कर रहा हूँ | एक माह पूर्व मेरे साथ एक ऐसी घटना घट गई थी , जिसके कारण वही अंध विश्वास वाली बातें मेरे मन में भी घुमती रहती है | आपसे इस विषय पर अपने दिल की बात शेयर कर कुछ सुकून महसूस करना चाहता हूँ |
15 नवम्बर को पटना में मेरे नए फ्लैट का गृह प्रवेश था | मैं कोलकाता से 9 नवम्बर को पटना के लिए रवाना होने वाला था, उसी वक़्त घर में एक कांच का ग्लास टूट गया | कांच का ग्लास टूटना अशुभ मानते है , इसलिए मन किसी अनहोनी की आशंकाओं से भर गया |
मैं एअरपोर्ट तो पहुँच गया , लेकिन तरह तरह के नकारात्मक विचार मन में उभरने लगे | तभी मैंने अपने आप को समझाया ..इतने लोगों के साथ हवाई जहाज़ मे सफ़र करना है तो मुझे ही कुछ क्यों होगा | और इस तरह मैं आराम से पटना अपने घर पहुँच गया |
मेरे मन से वहम अब दूर हो ही रहा था कि तभी चाय पीते समय मेरे चाय में मक्खी गिर गयी और मुझे चाय फेकनी तो पड़ी ही, साथ में फिर कुछ अनहोनी वाली नाकारात्मक विचार आने लगे | मैं फिर अपने मन को समझाया कि यह सब एक वहम है |

गृह प्रवेश की तैयारी चल रहा था लेकिन सभी काम में कुछ न कुछ बिघ्न उत्पन्न हो रहा था | मैं फिर भी सभी बातों को अनदेखा कर अपने गृह प्रवेश के इंतज़ाम में लगा रहा |
लेकिन उस कार्यक्रम के एक दिन पहले की बात है | मैं कुछ लोगों के साथ नए फ्लैट में गया | फिर उसे फुल माला से सजाया और पूजा के सारे इंतज़ाम पूरा करने के बाद रात में अपने ठिकाने पर वापस लौट आया |
मेरे मन को अब सुकून लग रहा था , क्योकि सभी कुछ कार्यक्रम के अनुसार व्यवस्थित हो चूका था | हमलोगों ने रात के करीब दस बजे खाना खाया | ख़ुशी का माहौल था, परिवार के लोग और रिश्तेदार सभी लोग एकत्रित थे |
तभी हमारे एक रिश्तेदार को अचानक सीने में दर्द उठा, थोड़ी घबराहट हुई | हमलोग कुछ समझ पाते और उसे हॉस्पिटल ले जाते, इसके पहले ही बस पांच मिनट में ही उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया |
हॉस्पिटल घर के पास ही थी , इसलिए दस मिनट के भीतर ही हमलोग हॉस्पिटल पहुँच गए थे | लेकिन डॉ ने जांच के बाद कहा — हार्ट फ़ैल होने के कारण उनकी मृत्यु हो गई | यह सब कुछ घटनाक्रम इतनी तेज़ी से हुआ कि आज भी उस पर विश्वास नहीं हो रहा है |
हमारे मन में वो कांच का टूटना और चाय में मक्खी का गिरना और बहुत सारी वो अशुभ बातें याद आने लगी | मैं अब इस अंधविश्वास से घिर चूका हूँ |

मेरा मन कहता है कि जो लोग भी इस तरह की बातें करते है, उसमे ज़रूर कोई सच्चाई है , वर्ना मेरे साथ इस तरह का बड़ा हादसा नहीं होता | अगर मैं उस अंधविश्वास को सही मान कर वो कार्यक्रम स्थगित कर दिया होता तो शायद इस हकीकत से सामना नहीं करना पड़ता |
इस अंध विश्वास से मैं अपने को बाहर निकाल पाने का भरसक प्रयास कर रहा हूँ, अब देखे कब तक कामयाब हो पाता हूँ ….
दिल की कलम से ब्लॉग हेतु नीचे link पर click करे..
BE HAPPY….BE ACTIVE….BE FOCUSED….BE ALIVE…
If you enjoyed this post, please like, follow, share and comments
Please follow the blog on social media & visit my website to click below..
Categories: मेरे संस्मरण
अपने अंदर की मजबूती और सकारात्मक सोंच ही इन अंधविश्वासों से लड़ने में हमारी मदद करेगा।
LikeLiked by 1 person
यह सच है लेकिन मन का विश्वास वापस पाने में समय तो लगता है ।
LikeLike
Many things are institutioned in our mind and carried out generation to generation. These can not be rectified. Nice.
LikeLiked by 1 person
Yes dear, You are absolutely right ..
But it can be corrected with positive thought .
LikeLike
मैं ने वह पोस्ट पढ़ा था आपका। अत्यंत दुखद घटना थी वह। किंतु कई बार मात्र संयोग और अंधविश्वास में अंतर नही रह जाता।
LikeLiked by 1 person
जी सर्, आपने सही कहा ।
लेकिन ऐसी परिस्थिति से बाहर आने में समय लगेगा । कोशिश कर रहा हूँ ।
LikeLike
ये जिसे हम अंध विश्वास कहते हैं, वास्तव में पुरानी मान्यताएं हैं।जो कभी कभी घट चुकी एक ही प्रकार की कई घटनाओं के तारतम्य को मिलाकर एक रूपता को देखते हुए निर्धारित की गई होंगी। इस सम्बंध में मेरा मानना है कि यह उसी पर लागू होती है जो इसे मानता है।वास्तविकता यह है कि यह नकारात्मक स्पन्दन का परिणाम है। मान लें कहीं हम निकल रहे होते हैं उस समय कांच फूट जाता है तो यदि हम जानते हैं कि ऐसे समय में कांच का फूटना अपशकुन होता है, तो कांच के टूटने के समय से ही हमारे मन मस्तिष्क में एक Negative vibration पैदा होकर हमारे साथ
चलना शुरू हो जाता है और इसका असर हम पर आ जाता है। इसलिए इन मान्यताओं को मन में पालना ही नहीं चाहिए।
LikeLiked by 1 person
बहुत सुन्दर analysis किया है अन्धविश्वास का |हमारी नकारात्मक सोच ही
इसको मन में जगह देता है | अपने विचार साझा करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
LikeLike
Reblogged this on Retiredकलम and commented:
If you can stay positive in a negative situation,
You win…
LikeLike