
कभी कभी कुछ ऐसी मूर्खतापूर्ण घटना घट जाती है कि जब भी वो घटना याद आती है, तो अफ़सोस से ज्यादा अपनी मुर्खता पर हँसी आती है |
मैं बैंकर हूँ, और ऐसा माना जाता है कि बैंकर पैसा घर में न रख कर बैंक के अपने खाते में ही रखना पसंद करते है, क्योंकि उन्हें खाते से पैसा निकालने की सुविधा रहती है | उन दिनों ATM का उतना चलन नहीं था |
लेकिन बैंक वालों की गृहणियां आज भी अपने खर्चे से कुछ रूपये बचा कर, कभी किचन में चावल के डब्बे में और कभी आलमारी में छुपा कर रखती है | और कभी पैसों की अचानक बहुत ज़रुरत पड़ी तो उस समय वो छुपा कर रखा पैसे निकाल कर अपने पति को देती है और वाह-वाही लुटती है | मेरी पत्नी भी कुछ ऐसी है |
बात 2016 की है, जब अचानक सरकार ने घोषणा कर दी कि 1000 और 500 रूपये के नोट बंद हो रहे है | जिन लोगों के पास है वो एक सप्ताह के भीतर अपने खाते में जमा करा लें, वर्ना उनकी कीमत शुन्य हो जाएगी |

उन दिनों यह ख़बरों में सुनता था कि जो गृहणिया कल तक उनके पास पैसा न होने की कसमे खाती थी, उनके पास से बहुत सारे ऐसे नोट निकल गए और उनका छुपाया धन उन्हें पति के हाथों गंवाना पड़ा था |
मेरी भी गृहणी चोरी छुपे बचाए गए रुपयों में से 1000 और 500 के कुछ नोट मुझे सरेंडर कर दिए थे, यह तो उनकी मज़बूरी थी |
मैंने उनसे कई बार पूछा .. और भी कुछ नोट छुपा कर तो नहीं रखे है | उन्होंने हमें आश्वस्त किया कि अब ऐसे कोई नोट हमारे पास नहीं है |
मैंने उनके दिए हुए पैसों को खाते में जमा कर आश्वस्त हो गया था |
कुछ दिनों के बाद मैं अपने किताब के सेल्फ और अलमीरा साफ़ कर रहा था तभी किताबों के बीच 1000 और 500 रूपये के कुछ नोट मिले | मुझे बहुत आश्चर्य हुआ, फिर तो घबरा कर हमने घर की पूरी सफाई कर डाली |

फिर रसोई घर से भी कुछ 1000 और 500 के नोट प्राप्त हुए | यह देख कर मुझे गुस्सा आ गया और मैं पत्नी पर बरस पड़ा | दरअसल वे इन रुपयों को रख कर भूल गयी थी | एक बैंकर होने के नाते अब मैं यह बात किसी को बता भी नहीं सकता था क्योंकि उन नोटों की कीमत तो शुन्य हो ही चुकी थी और मैं तो सिर्फ उपहास का पात्र ही बन सकता था |
मैं मन ही मन बहुत दुखी हुआ क्योंकि अब तो उसकी कीमत शुन्य हो चुकी थी | मैं उसे कागज़ का टुकड़ा समझ कर गुस्से में पत्नी को देते हुए कहा ..अब तो इस नोट को भिखारी भी स्वीकार नहीं करेगा |
उस घटना को हुए आज करीब पाँच साल बीत चुके है | अभी मैं अपने एक सम्बन्धी से बात कर रहा था तो उसने मुझे बताया कि वे 1000 और 500 के नोट जो चलन से बंद हो गए थे आज antique category में आ गए है और उसकी कीमत face value से ज्यादा हो गए है |
फिर क्या था , फिर से उन नोटों को घर के अलमारी और जगह जगह खोजने लगा , लेकिन वे अब नहीं मिल रहे थे | मैं तो उसे कागज़ का टुकड़ा समझ कर इधर उधर रख दिया था | तभी मुझे आज ही उन में से 1000 रूपये के दो नोट मिले |
अब उन दो नोटों के कीमत क्या मिलेंगे मुझे पता नहीं लेकिन चूँकि एंटीक केटेगरी में आ गया है तो कुछ तो कीमत ज़रूर मिलेगा और मेरे लिए तो जो भी मिल जाए वही काफी है क्योंकि कहावत है न कि भागते भूत की लंगोटी ही सही |
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Categories: मेरे संस्मरण
दिलचस्प लेख। हंसी आई। लगभग सभी घरों में ऐसा हुआ। किंतु वर्मा जी, जरा संभल के, पुराने नोट अपने पास रखना गैर कानूनी बना दिया गया था।
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हा हा हा ..
सर, एंटीक बना के नहीं रख सकते है ?
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जहां तक मेरी जानकारी है, एक व्यक्ति के पास 10 नोट और numismatics के लिए 25 नोट से ज्यादा रखना criminal offence माना गया है demonetisation के बाद।
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हाहाहा ..तब तो मैं बच गया |
उतने नहीं है सर | अच्छा हुआ आपने सही जानकारी दे दी ,
इस बारे में मेरी कोई जानकारी नहीं थी …आपको तहे दिल से शुक्रिया |
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पढ़ कर मजा आया।
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बहुत बहुत धन्यवाद।
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वाह! मजेदार कहानी। यह घर घर की कहानी रही है। मेरे एक सम्बन्धी के रिश्तेदार या दोस्त की पत्नी के तो लाखों यानि 10 -20 लाख से भी ज्यादा चुराए गये पैसे निकालने पड़े थे। सुन कर घोर आश्चर्य हुआ था।
यह वाक्या बताता है कि गृहणियों के मन में असुरक्षा की भावना अधिक प्रबल होती है। हाला कि इसमें उनका ब्यक्तिगत स्वार्थ नहीं परिवार कल्याण की अहम भावना छिपी होती है। वे किसी बुरे वक्त के लिए संबल तैयार रखना चाहती हैं।
इसलिए इसे सकारात्मक सोच में लेना चाहिए और ऐसी पत्नी पर नाराज नहीं ख़ुश होना चाहिए। कम से कम ऐंटिक का मौका तो मिला। बधाई!
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एंटीक नोट हुआ या पत्नी …हा हा हा |
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Facts written in designed manner.Nice.
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Yes dear,
I was in Bank , I have so many stories during demonetization..
I am also one of the victim.. ha ha ha .
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सम्बन्ध बड़े नहीं होते है , उसे सँभालने वाले बड़े होते है /
सम्बन्ध बनाये रखिये , ज़िन्दगी खुशनुमा बनाये रखिये /
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