# मन का डर #

दोस्तों ,

हम सभी जानते है कि हिरण के दौड़ने  की गति 90 km प्रति घंटा है और बाघ की गति सिर्फ 60 km प्रति घंटा है,, फिर भी बाघ हिरण का शिकार कर लेता है |

क्योकि हिरण के मन में एक डर होता है कि हम बाघ से कमजोर है और वही डर के कारण  वह  भागते हुए  बार बार पीछे देखने पर मजबूर हो जाता है |

यह बात उसकी गति और मनोबल को कम करता है जिसके कारण वह उस बाघ का शिकार बन जाता है |

 यही हाल आज कोरोना का है | कोरोना से लड़ने के लिए कई गुना रोग प्रतिरोधक शक्ति है हमारे पास | लेकिन हमारा मनोबल और इम्युनिटी केवल कोरोना के भय के कारण कम हो जाता है और हम बीमार हो जाते है |

इसी सिलसिले में एक कहानी याद आ गयी जिसे यहाँ प्रस्तुत करना चाहता हूँ |
एक समय की बात है कि नगर का  एक राजा  था |  एक दिन जब वह सोया हुआ था तभी  उसके सपनो में एक छाया प्रकट हुई और उसने  राजा को बताया कि मैं महामारी हूँ |

उसने नगर के राजा से यह भी कहा कि – राजन, मुझे आदेश प्राप्त हुआ कि मैं तुम्हारे नगर में आकर 500 लोगो की जान लुंगी ।  राजा घबरा कर आँखे खोल दी | वह  सुबह ही सुबह नगर में ढिंढोरा पिटवा दिया कि महामारी नगर में आने वाली है |  महामारी के आने की खबर सुन कर हर तरफ दशहत और डर का माहौल हो गया |

राजा को पता था कि इस  महामारी के कारण ५०० लोगों की जान जाएगी | लेकिन हकीकत में ५५०० लोगों की जाने चली गयी |

यह देख कर  राजा को दुःख हुआ और साथ ही क्रोध भी आ रहा था कि महामारी ने उससे झूठ क्यों बोला ?
जब महामारी वापस जाने लगी तो राजा ने उससे पूछा — तुमने तो 500 लोगो की जान लेने की बात कही थी ,.पर यहाँ 5500 से ज्यादा जाने कैसे चली गयी ?

तो महामारी ने ज़बाब दिया – राजन, मैने तो 500 लोगों की ही जाने ली है, पर जो आपने डर और दहशत का माहौल बनाया, उससे 5 हजार जाने और चली गयी| हैं। इसमें हमारा कोई दोष नहीं है राजन |

आज का माहौल भी ठीक वैसा ही है | आज फिर कोरोना अखबारों में सुर्खियाँ बन रही है क्योंकि शायद कोरोना का  तीसरा लहर दस्तक दे चूका है | पता चला है कि कोरोना का एक नया variant ओमिक्रोन से लोग संक्रमित हो रहे है और यह variant पहले वाला वायरस से ज्यादा खतरनाक है |

लेकिन , इससे हमें घबराना नहीं चाहिए बल्कि आज उत्पन्न स्थिति का मजबूती से मुकाबला करना चाहिए |

  दोस्तों, ऐसे माहौल में घबराएं नहीं | यह वक्त भी गुजर जायेगा, हमें  सयंम और सावधानी रखना होगा | सकारात्मक सोच और अपना व अपने आस पास के माहौल को खुशनुमा  रखना होगा |

सावधानी रखें, बस लापरवाही न करें और अपना पूरा ख्याल रखें | बाकी सब ईश्वर पर छोड़ दें,  जो होना है, वो होकर ही रहेगा। खुश रहें और सारे डर मन से निकाल दें।

आधा बीमार तो इंसान मानसिक रूप से बीमारी को स्वीकार कर लेने से ही हो जाता है। और कोरोना के आंकड़े देखना और सोशल मीडिया पर उसे फॉरवर्ड करने का काम तो बिल्कुल न करें |  जितना पॉजिटिव दिमाग और मन रहेगा उतना ही  स्वस्थ यह शरीर रहेगा।
कृपया यह बात अपने सभी मिलने वालो से कहे ताकि दिमाग पॉजिटिव एवं मन स्वास्थ्य रहे।

अपना और अपने परिवार का ख्याल रखे और कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते रहे | सकारात्मक सोचें और सकारात्मक रहें… अगर वैक्सीन नहीं लगवाया है तो ज़रूर लगवा लें. |

आप स्वस्थ रहें…मस्त रहें |..

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Categories: motivational

9 replies

  1. सचमुच डर ही मनुष्य को कमजोर बनाता है। तभी तो शोले फिल्म का डायलॉग है जो डर गया समझो मर गया।

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  2. बहुत अच्छा।

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  3. बहुत अच्छा।

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  4. धन्यवाद डिअर |

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  5. Fear psychology for the death. Beautiful analysis. Very informative video clip.

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  6. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    A peaceful mind can think better than an exhausted mind.
    Allow a few minutes of silence to the mind every day and
    see how it shapes your life.
    Stay blessed …Stay happy..

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