# जज साहब की पिटाई #

 

कभी कभी कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में पढने और सुनने को मिलती है, जिस पर अनायास विश्वास करना मुश्किल हो जाता है, लेकिन जो घटना सच में घटी है उस पर विश्वास करना ही पड़ता है |

कुछ दिनों पूर्व ही एक समाचार पढने को मिला था कि अदालत के अपने चैम्बर में बैठे एक जज साहब की पिटाई हुई है |

हमारे देश में खास कर बिहार में समय समय पर कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ होते रहती है और जिससे  कारण बिहार का नाम सुर्ख़ियों में रहता है |

इस घटना की चर्चा के पहले जज साहब के बारे में कुछ चर्चा करना चाहते है | ADJ जज है अविनाश कुमार | युवा है और जोशीले भी है | अपने अदालत में अलग तरह के फैसले देकर हमेशा सुर्ख़ियों में रहते हैं |

एक बार इनके अदालत में एक केस आया था, जिसमे एक धोबी था जो बिहार के लोखा गाँव में रहता था और कपडे धोता था | उस धोबी के ऊपर यह इल्जाम था कि  वह गाँव की महिलाओं  और लड़कियों से  छेड़खानी करता है, उसके  ऊपर छीटा-कसी  करता है |

कुछ महिलाओं की शिकायत के बाद वहाँ की पुलिस  ने उस धोबी को गिरफ्तार कर लिया था और  उस धोबी को छेड़खानी के आरोप में जेल भेज दिया गया |

 उसके बाद  वो धोबी ने अदालत में जमानत की अर्जी लगाईं | तो जमानत का मामला इन्ही जज साहेब के अदालत में सुनवाई हेतु आई |

जज साहब ने अपने स्वभाव के मुताबित एक अलग तरह का फैसला सुनाया | उन्होंने उस धोबी को ज़मानत तो दे दी लेकिन एक शर्त पर  | शर्त यह थी कि गाँव की सभी  महिलाओं और लड़कियों के कपडे छह माह तक फ्री में धोना  और प्रेस करना होगा | शर्त को तोड़ने की स्थिति में उसका ज़मानत कैंसिल कर दिया जायेगा |

कहा जाता है कि  वह धोबी जेल से बाहर आ पाया और अब शर्त के अनुसार उनलोगों के कपडे फ्री में धो रहा है |

इसी  तरह के एक और मामला  जज  अविनाश कुमार के पास आया जो एक टीचर का था  |

उस टीचर पर भ्रष्टाचार  और धोखाधड़ी का इल्जाम था  | पुलिस ने उस टीचर को पकड़ा और जेल भेज दिया था |  उसका  भी जमानत का मामला इन्ही जज साहब के पास आया | जज अविनाश कुमार ने दोनों पक्षों की बहस  सुनी और फिर अपना फैसला  सुनाया |

उन्होंने  अपने फैसले  में उस टीचर को भी ज़मानत दी पर एक शर्त पर |  उन्होंने कहा.. मैं इस शर्त पर ज़मानत दे रहा हूँ कि टीचर को पांचवी कक्षा तक के बच्चो को फ्री में पढ़ना होगा |

इस तरह के अपने फैसले के कारण जज साहब हमेशा चर्चा में रहते थे |

अब जज साहब की पिटाई का मामला पर आते है |  मामला यह है कि दो पुलिसकर्मियों ने कोर्ट रूम में घुसकर जज (Judge) साहब की पिटाई कर दी। यही नही, पुलिसकर्मियों ने न्यायधीश पर पिस्टल तानकर उन्हें गंदी – गंदी गालियां भी दी ।

मारपीट की खबर जैसे ही वकीलों को लगी तो भारी संख्या में वकील जज साहब को बचाने के लिए दौड़ पड़े। वकीलों ने दोनों पुलिसकर्मियों को बाहर खींच लिया और जमकर पिटाई  भी की । घटना के बाद पूरे जनपद में हड़कंप मच गया । आनन-फानन में पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है ।

जानकारी के अनुसार यह हैरान कर देने वाला मामला मधुबनी जनपद के झंझारपुर व्यवहार न्यायालय का है। यहां पर घोघरडीहा थाने में तैनात थानाध्यक्ष (SHO) गोपाल प्रसाद और दारोगा (SI) अभिमन्यु कुमार एक मामले में सुनवाई के सिलसिले में जुडिशल मजिस्ट्रेट अविनाश कुमार के सामने पेश हुए थे। बहस चल रही थी कि इसी बीच अचानक दोनों पुलिसकर्मियों ने जज साहब पर हमला कर दिया।

इस मामले में एक अहम खुलासा हुआ है। बताया जा रहा है कि दोनों आरोपियों ने जज साहब पर हमला इसलिए किया था क्योंकि जज साहब ने मधुबनी SP पर एक मामले में तीखी टिप्पणी की थी । दोनों पुलिसकर्मी एसपी के खास बताए जा रहे हैं।

जांच में यह भी पता चला कि दोनों ने जज के साथ मारपीट करते हुए कहा था कि “तुम्हारी क्या औकात है‚ आज तुम्हें हम बताते हैं। आज तुम्हें हम दुनिया से ही रुखसत कर देते हैं‚ क्योंकि तुमने हमारे बॉस एसपी साहब को बहुत परेशान कर रखा है। बॉस के आदेश पर ही हम तुम्हें तुम्हारी औकात दिखाने के लिए यहां आए हैं |”

दरअसल  जज अविनाश कुमार ने एक मामले में मधुबनी के एसपी डॉक्टर सत्य प्रकाश को कानून की जानकारी नहीं होने पर ट्रेनिंग पर भेजने की बात भी कही थी। दरअसल जज अविनाश कुमार ने भैरव स्थान थाने में दर्ज एक मुकदमे में पॉक्सो एवं बाल विवाह अधिनियम 2006 नहीं लगाने पर केंद्र और राज्य सरकार को 14 जुलाई 2021 को एक साथ नोटिस जारी किया था।

मधुबनी SP और झंझारपुर सीओ की भूमिका पर कोर्ट ने सवाल खड़े किए थे। जज साहब ने उनको कानून की जानकारी नहीं होने की बात कही थी।

इस मारपीट के मामले में जज साहब ने अपने साथ हुई घटना  के खिलाफ पुलिस में  FIR दर्ज करवाई जिसमे उन्होंने इस तरह से अपनी बात रखी ..

हमारा नाम अविनाश कुमार, उम्र 45 वर्ष,  वर्तमान में मैं अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर झंझारपुर न्यायालय में पदस्थापित हूं ।

18.11.21 को दोपहर 2 बजे अपने चैंबर में अपना बयान स्वेच्छा से अंकित करता हूं कि 16.11.21 को मुझे घोघरडीहा थानाध्यक्ष के खिलाफ घोघरडीहा प्रखंड की भोलीराही निवासी उषा देवी ने मुझे बीते मंगलवार को एक आवेदन दिया। जिसमें पीडिता  ने बताया था कि घोघरडीहा के थानाध्यक्ष ने उसके पति, ननद, वृद्ध सास व ससुर को झूठे मुकदमे में फंसा दिया गया है। साथ ही, पति के साथ दुर्व्यवहार किए जाने की शिकायत की।

शिकायत मिलने के बाद मैंने सत्यता जानने के लिए 16.11.21 को ही थानाध्यक्ष को पक्ष रखने की सूचना फोन पर दी। लेकिन, थानाध्यक्ष आने से टालमटोल करते रहे। इसके बाद थानाध्यक्ष को गुरुवार को 11 बजे आने का समय दिया गया।

थानाध्यक्ष निर्धारित समय पर न आकर दोपहर 2 बजे मेरे चैंबर में पहुंचे। चैंबर में प्रवेश करते ही थानाध्यक्ष ऊंची आवाज में बात करने लगा। जब हमने शांति से बात करने को कहा तो उसने कहा कि हम इसी अंदाज में बात करेंगे। क्योंकि यही मेरा अंदाज है।

इसी बीच थानाध्यक्ष ने गाली-गलौज शुरू करते हुए कहा कि तुम मेरे बॉस (एसपी साहब) को नोटिस देकर कोर्ट बुलाते हो। आज मैं तुम्हारी औकात बता देता हूँ | और दोनों ने मारपिट शुरू कर दी |

जब हमने उसकी  शिकायत  वरिष्ठ अधिकारी से करने की बात कही तो उसने कहा – मैं SP साहब के आदेश और समर्थन मिलने के बाद  ही यहाँ तुम्हे तुम्हारी औकात दिखाने  आया हूँ |

यह सच है कि लोक तंत्र में  विधायीका और कार्यपालिका के अलावा न्यायपालिका भी एक प्रमुख स्तम्भ है | ..सविंधान में सभी के कार्य और विशेषाधिकार स्पष्ट रूप से अंकित है |

यह न्यायपालिका ही है जो उदंड, अनुशासनहीन कार्यपालिका और विधायीका को नियंत्रित करती है |अगर न्यायपालिका पर हमले होंगे और यह कमज़ोर होगा तो इसके दूरगामी परिणाम  होंगे जो लोकतंत्र के लिए और हमारे आम जनता के लिए विनाशकारी होंगे |

हम सबों को इस घटना की निंदा करनी चाहिए और यह आशा करनी चाहिए कि  सरकार इस पर कड़ा  रूख अपनाएगी  और दोषियों को दण्डित करेगी | (Pic source : Google.com)

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15 replies

  1. घोघरडीहा मैं गया हूं। बहुत छोटी जगह है। आश्चर्य है यह वारदात वहां की है।

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  2. पुलिस का चाल, चरित्र और मनोबल सत्ता में बैठे आकाओं द्वारा संचालित होता है। जब तक वहाँ बदलाव नही होगा, कुछ नही बदलेगा।

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  3. Great post. Aap ko to news writer hona chahiye tha. Crime reporting bahut achhi kar lete aap.

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  4. Mera sasural Belha Gaun main hi hai,jo Ghoghardiha ke najdik hai aur Ghoghardiha hi najdikee Rly station hai,Gaun main to chote se chote padadhikari bhi apne ko PM se Kam samajhta hi nahi hai

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    • बिलकुल सही फरमाया आप ने |आप जनता की दुर्दशा का यही तो कारण है |
      जनता की भलाई के लिए कोई नहीं सोचता है , हालाँकि इस तरह की घटना निन्दनिए है |

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  5. इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए वह कम है। न्यायपालिका,कार्यपालिका और विधायिका में सामंजस्य अति आवश्यक है। यदि ये आपस में ही लड़ेंगे तो सारी विधि ब्यवस्था चरमरा जाएगी। दोषी ब्यक्तियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी ही चाहिए।

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    • आप का विचार सराहनिए है | लेकिन आज के जो हालात है इसमें
      इच्छाशक्ति की कमी है |हाँ, इस घटना की निंदा की जानी चाहिए |

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  6. Story is of different type. Nice.

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  7. Reblogged this on Retiredकलम and commented:

    इच्छाओं की सड़क तो बहुत दूर तक जाती है ,
    बेहतर यही है कि हम ज़रूरतों की गली में मुड जाएँ …
    हमेशा खु रहें …मस्त रहें…

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